नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय के पैनल ने अडानी डिफेंस जेवी द्वारा लगाई गई एक बोली को अस्वीकार कर दिया है. बता दें कि अडानी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) के एक संयुक्त उद्यम ने भारतीय नौसेना के लिए 45,000 रुपये के छह पारंपरिक-पनडुब्बी (पी-75 आई पनडुब्बी परियोजना) बनाने के लिए आवेदन दिया था.
हालांकि स्रोत ने एमओडी पैनल ने निर्णय लिया के बारे में बताया कि यह कहना मुश्किल है कि निर्णय कब लिया गया है. उसने बताया कि एमओडी पैनल की इस तरह की बैठकें आवश्यकतानुसार होते रहती हैं.
मंगलवार को एमओडी के शीर्ष खरीद पैनल डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने 2020 की अपनी पहली बैठक में भारतीय रणनीतिक साझेदारों और संभावित मूल उपकरण निर्माताओं की लघु-सूची के अनुमोदन पर अपनी मुहर लगा दी थी.
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पिछले बुधवार को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया ता कि केंद्र की मोदी सरकार नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों और रक्षा खरीद प्रक्रिया के नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए 45 हजार करोड़ रुपये की पनडुब्बी खरीद परियोजना का ठेका पीएम मोदी के करीबी गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी डिफेंस को देने की तैयारी में है.
यह बताते हुए कि भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने पहले ही अडाणी रक्षा जेवी बोली को खारिज कर दिया था, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार ने शून्य अनुभव वाली अडाणी की कंपनी को ठेके की बोली में शामिल करने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया- 2016 (डीपीपी) को रोक दिया है.
वर्तमान स्थिति में पनडुब्बी बनाने के लिए देश में एकमात्र शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) अनुबंध को हासिल करने के लिए सबसे आगे है.
रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पी-75आई के लिए एमओडी द्वारा जारी किए गए अप्रैल 2019 के 'रिक्वेस्ट ऑफ एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' के जवाब में पांच बोलियां प्राप्त हुईं थी. जिनमें एमडीएसएल, एलएंडटी, रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड और आखिरी अडाणी रक्षा और एचएसएल संयुक्त उद्यम शामिल थी.
नौसेना के नियंत्रक उत्पादन और अधिग्रहण के नेतृत्व वाली भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने विनिर्माण सुविधाओं, वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य मानदंडों की जांच के बाद पहले से ही मजगांव डॉक लिमिटेड और एलएंडटी की निविदा को वैध पाते हुए रक्षा मंत्रालय से इनके नामों पर विचार करने की सिफारिश की थी.
एमडीएसएल रक्षा उत्पादन विभाग एमओडी के तहत एक सरकारी स्वामित्व वाला रक्षा क्षेत्र का उपक्रम है जो कि भारतीय नौसेना और वाणिज्यिक ग्राहकों के लिए अन्य जहाजों द्वारा उपयोग के लिए युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और मरम्मत करता है.
बता दें कि इस ठेके के तहत छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है, जिनमें पेट्रोल और डीजल दोनों पर चलने वाली पनडुब्बियां शामिल हैं. इस परियोजना की अनुमानित लागत 45 हजार करोड़ रुपये है.
संजीब बरुआ, वरिष्ट पत्रकार
नौसेना पनडुब्बी परियोजना: रक्षा मंत्रालय ने खारिज की अडाणी डिफेंस की बोली - नौसेना पनडुब्बी परियोजना
नौसेना के नियंत्रक उत्पादन और अधिग्रहण के नेतृत्व वाली भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने विनिर्माण सुविधाओं, वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य मानदंडों की जांच के बाद अडानी डिफेंस जेवी द्वारा लगाई गई एक बोली को अस्वीकार कर दिया है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय के पैनल ने अडानी डिफेंस जेवी द्वारा लगाई गई एक बोली को अस्वीकार कर दिया है. बता दें कि अडानी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) के एक संयुक्त उद्यम ने भारतीय नौसेना के लिए 45,000 रुपये के छह पारंपरिक-पनडुब्बी (पी-75 आई पनडुब्बी परियोजना) बनाने के लिए आवेदन दिया था.
हालांकि स्रोत ने एमओडी पैनल ने निर्णय लिया के बारे में बताया कि यह कहना मुश्किल है कि निर्णय कब लिया गया है. उसने बताया कि एमओडी पैनल की इस तरह की बैठकें आवश्यकतानुसार होते रहती हैं.
मंगलवार को एमओडी के शीर्ष खरीद पैनल डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने 2020 की अपनी पहली बैठक में भारतीय रणनीतिक साझेदारों और संभावित मूल उपकरण निर्माताओं की लघु-सूची के अनुमोदन पर अपनी मुहर लगा दी थी.
ये भी पढ़ें- जोमैटो ने भारत में ऊबर ईट्स के कारोबार का किया अधिग्रहण
पिछले बुधवार को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया ता कि केंद्र की मोदी सरकार नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों और रक्षा खरीद प्रक्रिया के नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए 45 हजार करोड़ रुपये की पनडुब्बी खरीद परियोजना का ठेका पीएम मोदी के करीबी गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी डिफेंस को देने की तैयारी में है.
यह बताते हुए कि भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने पहले ही अडाणी रक्षा जेवी बोली को खारिज कर दिया था, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार ने शून्य अनुभव वाली अडाणी की कंपनी को ठेके की बोली में शामिल करने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया- 2016 (डीपीपी) को रोक दिया है.
वर्तमान स्थिति में पनडुब्बी बनाने के लिए देश में एकमात्र शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) अनुबंध को हासिल करने के लिए सबसे आगे है.
रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पी-75आई के लिए एमओडी द्वारा जारी किए गए अप्रैल 2019 के 'रिक्वेस्ट ऑफ एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' के जवाब में पांच बोलियां प्राप्त हुईं थी. जिनमें एमडीएसएल, एलएंडटी, रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड और आखिरी अडाणी रक्षा और एचएसएल संयुक्त उद्यम शामिल थी.
नौसेना के नियंत्रक उत्पादन और अधिग्रहण के नेतृत्व वाली भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने विनिर्माण सुविधाओं, वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य मानदंडों की जांच के बाद पहले से ही मजगांव डॉक लिमिटेड और एलएंडटी की निविदा को वैध पाते हुए रक्षा मंत्रालय से इनके नामों पर विचार करने की सिफारिश की थी.
एमडीएसएल रक्षा उत्पादन विभाग एमओडी के तहत एक सरकारी स्वामित्व वाला रक्षा क्षेत्र का उपक्रम है जो कि भारतीय नौसेना और वाणिज्यिक ग्राहकों के लिए अन्य जहाजों द्वारा उपयोग के लिए युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और मरम्मत करता है.
बता दें कि इस ठेके के तहत छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है, जिनमें पेट्रोल और डीजल दोनों पर चलने वाली पनडुब्बियां शामिल हैं. इस परियोजना की अनुमानित लागत 45 हजार करोड़ रुपये है.
संजीब बरुआ, वरिष्ट पत्रकार
नौसेना पनडुब्बी परियोजना: रक्षा मंत्रालय ने खारिज की अडाणी डिफेंस की बोली
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय के पैनल ने अडानी डिफेंस जेवी द्वारा लगाई गई एक बोली को अस्वीकार कर दिया है. बता दें कि अडानी डिफेंस और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) के एक संयुक्त उद्यम ने भारतीय नौसेना के लिए 45,000 रुपये के छह पारंपरिक-पनडुब्बी (पी-75 आई पनडुब्बी परियोजना) बनाने के लिए आवेदन दिया था.
हालांकि स्रोत ने एमओडी पैनल ने निर्णय लिया के बारे में बताया कि यह कहना मुश्किल है कि निर्णय कब लिया गया है. उसने बताया कि एमओडी पैनल की इस तरह की बैठकें आवश्यकतानुसार होते रहती हैं.
मंगलवार को एमओडी के शीर्ष खरीद पैनल डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने 2020 की अपनी पहली बैठक में भारतीय रणनीतिक साझेदारों और संभावित मूल उपकरण निर्माताओं की लघु-सूची के अनुमोदन पर अपनी मुहर लगा दी थी.
ये भी पढ़ें-
पिछले बुधवार को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया ता कि केंद्र की मोदी सरकार नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों और रक्षा खरीद प्रक्रिया के नियमों को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए 45 हजार करोड़ रुपये की पनडुब्बी खरीद परियोजना का ठेका पीएम मोदी के करीबी गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी डिफेंस को देने की तैयारी में है.
यह बताते हुए कि भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने पहले ही अडाणी रक्षा जेवी बोली को खारिज कर दिया था, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार ने शून्य अनुभव वाली अडाणी की कंपनी को ठेके की बोली में शामिल करने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया- 2016 (डीपीपी) को रोक दिया है.
वर्तमान स्थिति में पनडुब्बी बनाने के लिए देश में एकमात्र शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) अनुबंध को हासिल करने के लिए सबसे आगे है.
रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पी-75आई के लिए एमओडी द्वारा जारी किए गए अप्रैल 2019 के 'रिक्वेस्ट ऑफ एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' के जवाब में पांच बोलियां प्राप्त हुईं थी. जिनमें एमडीएसएल, एलएंडटी, रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड, हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड और आखिरी अडाणी रक्षा और एचएसएल संयुक्त उद्यम शामिल थी.
नौसेना के नियंत्रक उत्पादन और अधिग्रहण के नेतृत्व वाली भारतीय नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने विनिर्माण सुविधाओं, वित्तीय रिकॉर्ड और अन्य मानदंडों की जांच के बाद पहले से ही मजगांव डॉक लिमिटेड और एलएंडटी की निविदा को वैध पाते हुए रक्षा मंत्रालय से इनके नामों पर विचार करने की सिफारिश की थी.
एमडीएसएल रक्षा उत्पादन विभाग एमओडी के तहत एक सरकारी स्वामित्व वाला रक्षा क्षेत्र का उपक्रम है जो कि भारतीय नौसेना और वाणिज्यिक ग्राहकों के लिए अन्य जहाजों द्वारा उपयोग के लिए युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण और मरम्मत करता है.3
बता दें कि इस ठेके के तहत छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है, जिनमें पेट्रोल और डीजल दोनों पर चलने वाली पनडुब्बियां शामिल हैं. इस परियोजना की अनुमानित लागत 45 हजार करोड़ रुपये है.
संजीब बरुआ, वरिष्ट पत्रकार
Conclusion: