नई दिल्ली : एअर इंडिया के विनिवेश के लिए बोली लगाने के लिए दो कंपनियों- टाटा समूह और स्पाइसजेट ने बुधवार को अपनी बोली सौंपी. इसके एक दिन बाद, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) ने कहा कि सरकार एअर इंडिया के विनिवेश को लेकर बहुत आशावादी है.
नागरिक उड्डयन मंत्री ने गुरुवार को कहा कि बोली पूरी हो चुकी हैं. सरकार प्राप्त बोलियों के तकनीकी पहलुओं का मूल्यांकन कर रही है और हमें बहुत उम्मीद है. सिंधिया ने कहा कि हम अब पूरी विनिवेश प्रक्रिया को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने की उम्मीद कर रहे हैं.
वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने बुधवार को बताया था, 'लेनदेन सलाहकार को एअर इंडिया के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां मिली हैं. प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है.'
सूत्रों के मुताबिक, एअर इंडिया पर कुल कर्ज बढ़कर करीब 43,000 करोड़ रुपये हो गया है और सरकार इस कर्ज को एयरलाइन के नए मालिकों को ट्रांसफर करने से पहले वहन करेगी.
टाटा संस के प्रवक्ता ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की थी कि समूह ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी के लिए बोली सौंपी है.
वित्तीय बोलियों का मूल्यांकन एक अघोषित आरक्षित मूल्य के आधार पर किया जाएगा और उस मानक से अधिक मूल्य की पेशकश करने वाली बोली को मंजूरी दी जाएगी. मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास सिफारिश भेजने से पहले लेनदेन सलाहकार शुरुआत में बोली की समीक्षा करेंगे.
टाटा की बोली सफल हुई तो यह 67 वर्षों के बाद टाटा की एअर इंडिया में वापसी होगी. टाटा समूह ने अक्टूबर, 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी जिसे बाद में एअर इंडिया का नाम दिया गया. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण किया था.
यह भी पढ़ें- टाटा संस ने एअर इंडिया के लिए बोली सौंपी
टाटा सिंगापुर एयरलाइंस के साथ साझेदारी में एक प्रीमियम विमान सेवा विस्तार का संचालन करती है. हालांकि यह पता नहीं चला है कि समूह ने खुद से या बजट एयरलाइन एयरएशिया इंडिया के माध्यम से बोली लगायी है. एयरएशिया इंडिया टाटा संस और मलेशिया की एयरएशिया इन्वेस्टमेंट लि. का संयुक्त उपक्रम है.
खबरों के मुताबिक सिंगापुर एयरलाइंस विनिवेश कार्यक्रम में भाग लेने के लिए इच्छुक नहीं थी क्योंकि इससे विस्तार और उसकी अपनी वित्तीय समस्याएं ही बढ़ेंगी.