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लॉकडाउन की मार झेल रहा है कपड़ा क्षेत्र, उत्पादन बुरी तरह प्रभावित

विशेषज्ञों ने कहा कि कताई मिलों को कपास उत्पाक राज्योंसे कपास की ढुलाई में अड़चन है और कताई मिलों को कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है. कपास का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में होता है.

लॉकडाउन की मार झेल रहा है कपड़ा क्षेत्र, उत्पादन बुरी तरह प्रभावित
लॉकडाउन की मार झेल रहा है कपड़ा क्षेत्र, उत्पादन बुरी तरह प्रभावित
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Published : Mar 28, 2020, 8:27 PM IST

नई दिल्ली: देशभर में बंदी की वजह से कपड़ा उद्योग विशेष रूप से होजरी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उद्योग विशेषज्ञों ने शनिवार को बताया कि आवागमन पर 21 दिन के लिए देश व्यापी रोक की वजह से कारखानों में सूत का उत्पादन बंद हो गया है और यह सूती कपड़ा क्षेत्र के लिए बड़ी समस्या है.

विशेषज्ञों ने कहा कि कताई मिलों को कपास उत्पाक राज्योंसे कपास की ढुलाई में अड़चन है और कताई मिलों को कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है. कपास का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में होता है.

ये भी पढ़ें- यदि ईएमआई भुगतान को कर रहे हैं स्थगित, तो देना पड़ सकता है अधिक ब्याज

डॉलर इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक विनोद कुमार गुप्ता ने पीटीआई भाषा से कहा, "कच्ची कपास गुजरात और महाराष्ट्र में उपलब्ध है. बंद की वजह से सूत का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कताई मिलें बंद पड़ी हैं."

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से कारखानों के आसपास रहने वाले श्रमिक भी अपने-अपने गांवों को लौट गए हैं.

गुप्ता ने कहा कि सिर्फ कपास ही नहीं पूरा कपड़ा उद्योग इस बंदी की वजह से प्रभावित हुआ है. कारखाने बंद पड़े हैं.

एक और कपड़ा कंपनी बीएसएल लि. के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण चूड़ीवाल ने कहा कि सिर्फ कपास उद्योग ही नहीं पूरा कपड़ा क्षेत्र कोविड-19 की मार झेल रहा है। बीएसएल का कारखाना राजस्थान में है.

उन्होंने कहा कि अक्टूबर में कपास की बंपर फसल हुई है, लेकिन समस्या यह है कि खरीदार नहीं हैं. चूड़ीवल ने कहा कि गोदाम भरे हुए हैं. धागे का उत्पादन और उठाव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में तैयार उत्पादों का उत्पादन और बिक्री भी नहीं हो रही है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: देशभर में बंदी की वजह से कपड़ा उद्योग विशेष रूप से होजरी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उद्योग विशेषज्ञों ने शनिवार को बताया कि आवागमन पर 21 दिन के लिए देश व्यापी रोक की वजह से कारखानों में सूत का उत्पादन बंद हो गया है और यह सूती कपड़ा क्षेत्र के लिए बड़ी समस्या है.

विशेषज्ञों ने कहा कि कताई मिलों को कपास उत्पाक राज्योंसे कपास की ढुलाई में अड़चन है और कताई मिलों को कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है. कपास का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में होता है.

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डॉलर इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक विनोद कुमार गुप्ता ने पीटीआई भाषा से कहा, "कच्ची कपास गुजरात और महाराष्ट्र में उपलब्ध है. बंद की वजह से सूत का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कताई मिलें बंद पड़ी हैं."

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से कारखानों के आसपास रहने वाले श्रमिक भी अपने-अपने गांवों को लौट गए हैं.

गुप्ता ने कहा कि सिर्फ कपास ही नहीं पूरा कपड़ा उद्योग इस बंदी की वजह से प्रभावित हुआ है. कारखाने बंद पड़े हैं.

एक और कपड़ा कंपनी बीएसएल लि. के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण चूड़ीवाल ने कहा कि सिर्फ कपास उद्योग ही नहीं पूरा कपड़ा क्षेत्र कोविड-19 की मार झेल रहा है। बीएसएल का कारखाना राजस्थान में है.

उन्होंने कहा कि अक्टूबर में कपास की बंपर फसल हुई है, लेकिन समस्या यह है कि खरीदार नहीं हैं. चूड़ीवल ने कहा कि गोदाम भरे हुए हैं. धागे का उत्पादन और उठाव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में तैयार उत्पादों का उत्पादन और बिक्री भी नहीं हो रही है.

(पीटीआई-भाषा)

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