नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को चाहिए कि वह डिफाल्टरों की सूची जारी करे, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत डिफाल्टरों की सूची जारी करने का आरबीआई को एक अंतिम मौका दिया है.
कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मित्र पूंजीपतियों का पक्ष ले रही है.
कांग्रेस प्रवक्त अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि आरबीआई और सरकार के बीच 100 सबसे बड़े ऋण डिफाल्टरों की सूची का खुलासा न करने के लिए सांठ-गांठ है.
सिंघवी ने सवाल किया, "कई सहकारी बैंक, खासतौर से गुजरात में, डिफाल्टरों की सूची का खुलासा नहीं कर रहे हैं. सरकार अपने मित्र पूंजीपतियों का पक्ष ले रही है. सरकार आरबीआई को जानकारी का खुलासा करने के लिए निर्देश क्यों नहीं दे रही है?"
कांग्रेस आरबीआई की नवंबर 2016 की खुलासा नीति का जिक्र कर रही है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न प्रकार की जानकारियों के खुलासे की मनाही करती है. इसमें विलफुल डिफाल्टर और वार्षिक निरीक्षण रपटें भी शामिल हैं, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस नीति को रद्द कर दिया.
कांग्रेस ने यह भी कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां मार्च 2014 से मार्च 2018 के बीच चार वर्षो में पांच गुना बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपये से 10.36 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं, खासतौर से गुजरात के सहकारी बैंकों की.
सिंघवी ने कहा, "सरकार को इन डिफाल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई को आरटीआई के तहत जानकारी जारी करने का अंतिम मौका दिया है, अन्यथा न्यायालय इसे अवमानना मानेगा. ऐसा लगता है कि सरकार जानकारी छिपा रही है."
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