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स्विस बैंकों में भारतीयों के निष्क्रिय खातों का कोई 'वारिस' नहीं, छह साल में एक भी दावा नहीं

स्विट्जरलैंड सरकार ने 2015 में निष्क्रिया खातों के ब्योरे को सार्वजनिक करना शुरू किया था. इसके तहत इन खातों के दावेदारों को खाते के धन को हासिल करने के लिए आवश्यक प्रमाण उपलब्ध कराने थे. इनमें से दस खाते भारतीयों के भी हैं. इनमें से कुछ खाते भारतीय निवासियों और ब्रिटिश राज के दौर के नागरिकों से जुड़े हैं.

स्विस बैंकों में भारतीयों के निष्क्रिय खातों का कोई 'वारिस' नहीं, छह साल में एक भी दावा नहीं
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Published : Nov 10, 2019, 1:30 PM IST

नई दिल्ली/ज्यूरिख: स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के करीब एक दर्जन निष्क्रिय खातों के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है. ऐसे में यह आशंका बन रही है कि इन खातों में पड़े धन को स्विट्जरलैंड सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है.

स्विट्जरलैंड सरकार ने 2015 में निष्क्रिया खातों के ब्योरे को सार्वजनिक करना शुरू किया था. इसके तहत इन खातों के दावेदारों को खाते के धन को हासिल करने के लिए आवश्यक प्रमाण उपलब्ध कराने थे. इनमें से दस खाते भारतीयों के भी हैं. इनमें से कुछ खाते भारतीय निवासियों और ब्रिटिश राज के दौर के नागरिकों से जुड़े हैं.

स्विस प्राधिकरणों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले छह साल के दौरान इनमें से एक भी खाते पर किसी भारतीय के 'वारिस' ने सफलतापूर्वक दावा नहीं किया है. इनमें से कुछ खातों के लिए दावा करने की अवधि अगले महीने समाप्त हो जाएगी. वहीं कुछ अन्य खातों पर 2020 के अंत तक दावा किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद का वाणिज्य मंत्रालय से एसईआईएस में और सेवाओं को जोड़ने का आग्रह

दिलचस्प यह है कि निष्क्रिय खातों में से पाकिस्तानी निवासियों से संबंधित कुछ खातों पर दावा किया गया है. इसके अलावा खुद स्विट्जरलैंड सहित कुछ और देशों के निवासियों के खातों पर भी दावा किया गया है. दिसंबर, 2015 में पहली बार ऐसे खातों को सार्वजनिक किया गया है. सूची में करीब 2,600 खाते हैं जिनमें 4.5 करोड़ स्विस फ्रैंक या करीब 300 करोड़ रुपये की राशि पड़ी है. 1955 से इस राशि पर दावा नहीं किया गया है.

सूची को पहली बार सार्वजनिक किए जाते समय करीब 80 सुरक्षा जमा बॉक्स थे. स्विस बैंकिंग कानून के तहत इस सूची में हर साल नए खाते जुड़ रहे हैं. अब इस सूची में खातों की संख्या करीब 3,500 हो गई है. स्विस बैंक खाते पिछले कई साल से भारत में राजनीतिक बहस का विषय हैं. माना जाता है कि भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड के बैंकों में अपने बेहिसाबी धन को रखा जाता है.

ऐसे भी संदेह जताया जाता रहा है कि पूर्ववर्ती रियासतों की ओर से भी स्विट्जरलैंड के बैंक खातों में धन रखा जाता था. हाल के बरसों में वैश्विक दबाव की वजह से स्विट्जरलैंड ने अपनी बैंकिंग प्रणाली को नियामकीय जांच के लिए खोला है. साथ ही स्विट्जरलैंड ने भारत सहित विभिन्न देशों के साथ वित्तीय मामलों पर सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के लिए समझौता भी किया है.

भारत को सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान की व्यवस्था के तहत हाल में स्विट्जरलैंड स्थित वित्तीय संस्थानों में भारतीयों के खातों की पहली सूची मिली है. इस बारे में दूसरी सूची सितंबर, 2020 में मिलेगी. इस बीच, निष्क्रिय खातों के दावों का प्रबंधन स्विस बैंकिंग ओम्बुड्समैन द्वारा स्विस बैंकर्स एसोसिएशन के सहयोग से किया जा रहा है.

नई दिल्ली/ज्यूरिख: स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के करीब एक दर्जन निष्क्रिय खातों के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है. ऐसे में यह आशंका बन रही है कि इन खातों में पड़े धन को स्विट्जरलैंड सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है.

स्विट्जरलैंड सरकार ने 2015 में निष्क्रिया खातों के ब्योरे को सार्वजनिक करना शुरू किया था. इसके तहत इन खातों के दावेदारों को खाते के धन को हासिल करने के लिए आवश्यक प्रमाण उपलब्ध कराने थे. इनमें से दस खाते भारतीयों के भी हैं. इनमें से कुछ खाते भारतीय निवासियों और ब्रिटिश राज के दौर के नागरिकों से जुड़े हैं.

स्विस प्राधिकरणों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले छह साल के दौरान इनमें से एक भी खाते पर किसी भारतीय के 'वारिस' ने सफलतापूर्वक दावा नहीं किया है. इनमें से कुछ खातों के लिए दावा करने की अवधि अगले महीने समाप्त हो जाएगी. वहीं कुछ अन्य खातों पर 2020 के अंत तक दावा किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद का वाणिज्य मंत्रालय से एसईआईएस में और सेवाओं को जोड़ने का आग्रह

दिलचस्प यह है कि निष्क्रिय खातों में से पाकिस्तानी निवासियों से संबंधित कुछ खातों पर दावा किया गया है. इसके अलावा खुद स्विट्जरलैंड सहित कुछ और देशों के निवासियों के खातों पर भी दावा किया गया है. दिसंबर, 2015 में पहली बार ऐसे खातों को सार्वजनिक किया गया है. सूची में करीब 2,600 खाते हैं जिनमें 4.5 करोड़ स्विस फ्रैंक या करीब 300 करोड़ रुपये की राशि पड़ी है. 1955 से इस राशि पर दावा नहीं किया गया है.

सूची को पहली बार सार्वजनिक किए जाते समय करीब 80 सुरक्षा जमा बॉक्स थे. स्विस बैंकिंग कानून के तहत इस सूची में हर साल नए खाते जुड़ रहे हैं. अब इस सूची में खातों की संख्या करीब 3,500 हो गई है. स्विस बैंक खाते पिछले कई साल से भारत में राजनीतिक बहस का विषय हैं. माना जाता है कि भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड के बैंकों में अपने बेहिसाबी धन को रखा जाता है.

ऐसे भी संदेह जताया जाता रहा है कि पूर्ववर्ती रियासतों की ओर से भी स्विट्जरलैंड के बैंक खातों में धन रखा जाता था. हाल के बरसों में वैश्विक दबाव की वजह से स्विट्जरलैंड ने अपनी बैंकिंग प्रणाली को नियामकीय जांच के लिए खोला है. साथ ही स्विट्जरलैंड ने भारत सहित विभिन्न देशों के साथ वित्तीय मामलों पर सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के लिए समझौता भी किया है.

भारत को सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान की व्यवस्था के तहत हाल में स्विट्जरलैंड स्थित वित्तीय संस्थानों में भारतीयों के खातों की पहली सूची मिली है. इस बारे में दूसरी सूची सितंबर, 2020 में मिलेगी. इस बीच, निष्क्रिय खातों के दावों का प्रबंधन स्विस बैंकिंग ओम्बुड्समैन द्वारा स्विस बैंकर्स एसोसिएशन के सहयोग से किया जा रहा है.

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नई दिल्ली/ज्यूरिख: स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के करीब एक दर्जन निष्क्रिय खातों के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है. ऐसे में यह आशंका बन रही है कि इन खातों में पड़े धन को स्विट्जरलैंड सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है.

स्विट्जरलैंड सरकार ने 2015 में निष्क्रिया खातों के ब्योरे को सार्वजनिक करना शुरू किया था. इसके तहत इन खातों के दावेदारों को खाते के धन को हासिल करने के लिए आवश्यक प्रमाण उपलब्ध कराने थे. इनमें से दस खाते भारतीयों के भी हैं. इनमें से कुछ खाते भारतीय निवासियों और ब्रिटिश राज के दौर के नागरिकों से जुड़े हैं.

स्विस प्राधिकरणों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले छह साल के दौरान इनमें से एक भी खाते पर किसी भारतीय के 'वारिस' ने सफलतापूर्वक दावा नहीं किया है. इनमें से कुछ खातों के लिए दावा करने की अवधि अगले महीने समाप्त हो जाएगी. वहीं कुछ अन्य खातों पर 2020 के अंत तक दावा किया जा सकता है.

दिलचस्प यह है कि निष्क्रिय खातों में से पाकिस्तानी निवासियों से संबंधित कुछ खातों पर दावा किया गया है. इसके अलावा खुद स्विट्जरलैंड सहित कुछ और देशों के निवासियों के खातों पर भी दावा किया गया है. दिसंबर, 2015 में पहली बार ऐसे खातों को सार्वजनिक किया गया है. सूची में करीब 2,600 खाते हैं जिनमें 4.5 करोड़ स्विस फ्रैंक या करीब 300 करोड़ रुपये की राशि पड़ी है. 1955 से इस राशि पर दावा नहीं किया गया है.

सूची को पहली बार सार्वजनिक किए जाते समय करीब 80 सुरक्षा जमा बॉक्स थे. स्विस बैंकिंग कानून के तहत इस सूची में हर साल नए खाते जुड़ रहे हैं. अब इस सूची में खातों की संख्या करीब 3,500 हो गई है. स्विस बैंक खाते पिछले कई साल से भारत में राजनीतिक बहस का विषय हैं. माना जाता है कि भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड के बैंकों में अपने बेहिसाबी धन को रखा जाता है.

ऐसे भी संदेह जताया जाता रहा है कि पूर्ववर्ती रियासतों की ओर से भी स्विट्जरलैंड के बैंक खातों में धन रखा जाता था. हाल के बरसों में वैश्विक दबाव की वजह से स्विट्जरलैंड ने अपनी बैंकिंग प्रणाली को नियामकीय जांच के लिए खोला है. साथ ही स्विट्जरलैंड ने भारत सहित विभिन्न देशों के साथ वित्तीय मामलों पर सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के लिए समझौता भी किया है.

भारत को सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान की व्यवस्था के तहत हाल में स्विट्जरलैंड स्थित वित्तीय संस्थानों में भारतीयों के खातों की पहली सूची मिली है. इस बारे में दूसरी सूची सितंबर, 2020 में मिलेगी. इस बीच, निष्क्रिय खातों के दावों का प्रबंधन स्विस बैंकिंग ओम्बुड्समैन द्वारा स्विस बैंकर्स एसोसिएशन के सहयोग से किया जा रहा है.

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