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जानिए नए वित्तीय वर्ष में आयकर, कर्ज समेत किन नियमों में आएंगे बदलाव

1 अप्रैल से देश में नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो गई, जिसके बाद से बैंक, कर्ज और आयकर जैसे तमाम नियमों में बदलाव आ जाएंगे.

जानिए नए वित्तीय वर्ष में आयकर, कर्ज समेत किन नियमों में आएंगे बदलाव
जानिए नए वित्तीय वर्ष में आयकर, कर्ज समेत किन नियमों में आएंगे बदलाव
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Published : Apr 2, 2020, 12:11 AM IST

हैदराबाद: 1 अप्रैल से देश में नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो गई, जिसके बाद से बैंक, कर्ज और आयकर जैसे तमाम नियमों में बदलाव आ जाएंगे. आइए जानते हैं इन्हीं नियमों के बारे में जो जानने हैं आपके लिए जरूरी.

बैंकों का विलय: 1 अप्रैल 2020 से सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंकों का निर्माण होगा. विलय का यह प्रस्ताव देश में बड़े मजबूत बैंकों के निर्माण के उद्देश्य के साथ किया गया. ज्ञात हो कि हाल के ही दिनों में पीएमसी बैंक और येस बैंक जैसे मामलों ने देश का ध्यान बैंकिंग क्षेत्र की तरफ आकर्षित किया.

आयकर के नियमों में बदलाव: 1 अप्रैल से ही देश में आयकर के नए नियम लागू हो जाएंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट के दौरान यह नियम संसद में प्रस्तावित किया था. इसके तहत कोई करदाता बिना किसी बचत के भी छूट प्राप्त कर सकता है. हालांकि यह एक वैकल्पिक व्यवस्था है और करदाता पूराने नियमों से भी जुड़े रह सकते हैं.

मिलेगी ज्यादा पेंशन: केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने 1 अप्रैल से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के नियमें में बदलाव किया है, जिससे कम्युटेशन का विकल्प चुनने वाले ईपीएफओ पेंशनधारकों को ज्यादा पेंशन मिलेगी. जिससे सीधे तौर पर 26 सितंबर 2008 के पहले रिटायर हुए 6.3 लाख पेंशनधारकों को लाभ होगा.

बीएस6 वाहनों की बिक्री: नए वाहन नियमों के अंतर्गत 1 अप्रैल 2020 से देश में केवल बीएस6 वाहनों की ही बिक्री होगी. हालांकि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में 10 दिनों के लिए बीएस4 वाहनों की बिक्री को सशर्त मंजूरी दी है. यह नियम कोरोना से बचाव को लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से प्रभावी होगा.

मोबाइल फोन पर जीएसटी: 1 अप्रैल से देश में मोबाइल फोन पर लगने वाले जीएसटी के दरों में भी वृद्धि होगी. अब से मोबाइल फोन पर 12 फीसदी लगने वाले जीएसटी को बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया जाएगा. इससे मोबाइल फोन खरीदना खरीदने के लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है.

कर्ज संबंधी नए नियम: 1 अप्रैल से लघु और मध्यम कारोबारियों को नए नियमों के हिसाब से कर्ज मिलेगा. परिवर्तनशील दरों पर दिए जाने वाले कर्ज को अब रेपो दर जैसे मानकों से लिंक्ड किया जाएगा, जिससे कारोबारियों को ब्याज दरों में कमी की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें: बैंकों का विलय देश के बैंक क्षेत्र के लिये एक नया सवेरा: वित्त मंत्रालय

हैदराबाद: 1 अप्रैल से देश में नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो गई, जिसके बाद से बैंक, कर्ज और आयकर जैसे तमाम नियमों में बदलाव आ जाएंगे. आइए जानते हैं इन्हीं नियमों के बारे में जो जानने हैं आपके लिए जरूरी.

बैंकों का विलय: 1 अप्रैल 2020 से सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंकों का निर्माण होगा. विलय का यह प्रस्ताव देश में बड़े मजबूत बैंकों के निर्माण के उद्देश्य के साथ किया गया. ज्ञात हो कि हाल के ही दिनों में पीएमसी बैंक और येस बैंक जैसे मामलों ने देश का ध्यान बैंकिंग क्षेत्र की तरफ आकर्षित किया.

आयकर के नियमों में बदलाव: 1 अप्रैल से ही देश में आयकर के नए नियम लागू हो जाएंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट के दौरान यह नियम संसद में प्रस्तावित किया था. इसके तहत कोई करदाता बिना किसी बचत के भी छूट प्राप्त कर सकता है. हालांकि यह एक वैकल्पिक व्यवस्था है और करदाता पूराने नियमों से भी जुड़े रह सकते हैं.

मिलेगी ज्यादा पेंशन: केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने 1 अप्रैल से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के नियमें में बदलाव किया है, जिससे कम्युटेशन का विकल्प चुनने वाले ईपीएफओ पेंशनधारकों को ज्यादा पेंशन मिलेगी. जिससे सीधे तौर पर 26 सितंबर 2008 के पहले रिटायर हुए 6.3 लाख पेंशनधारकों को लाभ होगा.

बीएस6 वाहनों की बिक्री: नए वाहन नियमों के अंतर्गत 1 अप्रैल 2020 से देश में केवल बीएस6 वाहनों की ही बिक्री होगी. हालांकि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में 10 दिनों के लिए बीएस4 वाहनों की बिक्री को सशर्त मंजूरी दी है. यह नियम कोरोना से बचाव को लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से प्रभावी होगा.

मोबाइल फोन पर जीएसटी: 1 अप्रैल से देश में मोबाइल फोन पर लगने वाले जीएसटी के दरों में भी वृद्धि होगी. अब से मोबाइल फोन पर 12 फीसदी लगने वाले जीएसटी को बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया जाएगा. इससे मोबाइल फोन खरीदना खरीदने के लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है.

कर्ज संबंधी नए नियम: 1 अप्रैल से लघु और मध्यम कारोबारियों को नए नियमों के हिसाब से कर्ज मिलेगा. परिवर्तनशील दरों पर दिए जाने वाले कर्ज को अब रेपो दर जैसे मानकों से लिंक्ड किया जाएगा, जिससे कारोबारियों को ब्याज दरों में कमी की उम्मीद है.

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