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डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभाव नहीं करता : भारत

भारत ने साफ कहा है कि अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ कुछ भी भेदभावपूर्ण नहीं है. भारत का कहना है कि दो प्रतिशत डिजिटल कर सभी प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर लगता है चाहे वे किसी भी देश से क्यों न हों.

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Published : Jan 8, 2021, 4:47 PM IST

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नई दिल्ली : भारत ने गुरुवार को कहा कि दो प्रतिशत डिजिटल कर (समानीकरण शुल्क) लगाना अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नहीं है क्योंकि यह सभी प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर लगता है चाहे वे किसी भी देश से क्यों न हों.

हालांकि, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार इस संदर्भ में अमेरिका के निर्णय का परीक्षण करेगी और देश के हितों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त कदम उठाएगी.

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) द्वारा की गई जांच के संदर्भ में यह बयान दिया गया है. जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ई-वाणिज्य आपूर्ति पर भारत का दो प्रतिशत डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव है और यह अंतररराष्ट्रीय कर सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है.

भारत ने इस संदर्भ में अपनी राय से यूएसटीआई को 15 जुलाई, 2020 को अवगत करा दिया और पांच नवंबर, 2020 को हुये द्विपक्षीय विचार-विमर्श में भाग लिया.

भारत ने इस बात पर जोर दिया था कि डिजिटल कर भेदभावूपर्ण नहीं है. इसके उलट इसमें यह सुनिश्चित किया गया कि ई-वाणिज्य गतिविधियों के संदर्भ में भारतीय और विदेशी इकाइयों या जिनका भारत में स्थायी प्रतिष्ठान नहीं है, सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध हों.

भारत में होने वाली कमाई पर ही लगेगा डिजिटल कर

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डिजिटल कर भारत में होने वाली कमाई पर ही लगेगा, दूसरे क्षेत्रों से इसका कोई लेना-देना नहीं है. बयान के अनुसार इसमें पूर्व प्रभाव से कोई बात नहीं है क्योंकि शुल्क एक अप्रैल 2020 से पहले लगाया गया और यह उसी समय से प्रभाव में आया है.

मंत्रालय के अनुसार डिजिटल कर का मकसद निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है और उन कंपनियों पर कर लगाने की सरकार के अधिकार का उपयोग करना है जिनका डिजिटल परिचालन के जरिये भारतीय बाजार से करीबी जुड़ाव है.

बयान में कहा गया है कि शुल्क इस सिद्धांत को मान्यता देता है कि डिजिटल दुनिया में एक विक्रेता संबंधित देश में दुकान, स्टोर या भौतिक रूप से उपस्थित हुए बिना कारोबार कर सकता है और सरकार के पास ऐसे लेन-देन पर कर लगाने का अधिकार है.

यूएसटीआर कार्यालय ने जारी की रिपोर्ट

यूएसटीआर कार्यालय ने छह जनवरी को भारत के डिजिटल सेवा कर (डीएसटी) के संदर्भ में धारा 301 जांच के बारे में रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि डीएसटी डिजिटल सेवा कर भेदभावपूर्ण है और अमेरिकी व्यवसाय को प्रतिबंधित करता है.

इसी प्रकार की बातें इटली और तुर्की के बारे में भी कही गयी है. यह भी कहा कि भारत की ई-वाणिज्य कंपनियों पर पहले से भारतीय बाजार से होने वाली आय पर कर लग रहा है.

बयान के अनुसार, 'हालांकि डिजिटल कर के अभाव में दूसरे देशों की ई-वाणिज्य कंपनियों (जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है लेकिन आर्थिक रूप से मौजूद है) को भारत में ई-वाणज्यिक आपूर्ति या सेवाओं से प्राप्त आय के एवज में कर नहीं देना पड़ता था.'

मंत्रालय ने साफ किया कि 2 प्रतिशत डिजिटल कर उन प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर भी लगेगा जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है.

बयान में कहा गया है, 'शुल्क की सीमा 2 करोड़ रुपये है जो काफी कम है. और यह समान रूप से दुनिया की उन सभी ई-वाणिज्यि परिचालक कंपनियों पर लागू होगा, जिनका भारत में कारोबार है.'

पढ़ें- ट्रंप सरकार की शुल्क नीतियों से प्रभावित हुआ भारत-अमेरिका व्यापार संबंध: अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट

नई दिल्ली : भारत ने गुरुवार को कहा कि दो प्रतिशत डिजिटल कर (समानीकरण शुल्क) लगाना अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नहीं है क्योंकि यह सभी प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर लगता है चाहे वे किसी भी देश से क्यों न हों.

हालांकि, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार इस संदर्भ में अमेरिका के निर्णय का परीक्षण करेगी और देश के हितों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त कदम उठाएगी.

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) द्वारा की गई जांच के संदर्भ में यह बयान दिया गया है. जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ई-वाणिज्य आपूर्ति पर भारत का दो प्रतिशत डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव है और यह अंतररराष्ट्रीय कर सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है.

भारत ने इस संदर्भ में अपनी राय से यूएसटीआई को 15 जुलाई, 2020 को अवगत करा दिया और पांच नवंबर, 2020 को हुये द्विपक्षीय विचार-विमर्श में भाग लिया.

भारत ने इस बात पर जोर दिया था कि डिजिटल कर भेदभावूपर्ण नहीं है. इसके उलट इसमें यह सुनिश्चित किया गया कि ई-वाणिज्य गतिविधियों के संदर्भ में भारतीय और विदेशी इकाइयों या जिनका भारत में स्थायी प्रतिष्ठान नहीं है, सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध हों.

भारत में होने वाली कमाई पर ही लगेगा डिजिटल कर

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डिजिटल कर भारत में होने वाली कमाई पर ही लगेगा, दूसरे क्षेत्रों से इसका कोई लेना-देना नहीं है. बयान के अनुसार इसमें पूर्व प्रभाव से कोई बात नहीं है क्योंकि शुल्क एक अप्रैल 2020 से पहले लगाया गया और यह उसी समय से प्रभाव में आया है.

मंत्रालय के अनुसार डिजिटल कर का मकसद निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है और उन कंपनियों पर कर लगाने की सरकार के अधिकार का उपयोग करना है जिनका डिजिटल परिचालन के जरिये भारतीय बाजार से करीबी जुड़ाव है.

बयान में कहा गया है कि शुल्क इस सिद्धांत को मान्यता देता है कि डिजिटल दुनिया में एक विक्रेता संबंधित देश में दुकान, स्टोर या भौतिक रूप से उपस्थित हुए बिना कारोबार कर सकता है और सरकार के पास ऐसे लेन-देन पर कर लगाने का अधिकार है.

यूएसटीआर कार्यालय ने जारी की रिपोर्ट

यूएसटीआर कार्यालय ने छह जनवरी को भारत के डिजिटल सेवा कर (डीएसटी) के संदर्भ में धारा 301 जांच के बारे में रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है कि डीएसटी डिजिटल सेवा कर भेदभावपूर्ण है और अमेरिकी व्यवसाय को प्रतिबंधित करता है.

इसी प्रकार की बातें इटली और तुर्की के बारे में भी कही गयी है. यह भी कहा कि भारत की ई-वाणिज्य कंपनियों पर पहले से भारतीय बाजार से होने वाली आय पर कर लग रहा है.

बयान के अनुसार, 'हालांकि डिजिटल कर के अभाव में दूसरे देशों की ई-वाणिज्य कंपनियों (जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है लेकिन आर्थिक रूप से मौजूद है) को भारत में ई-वाणज्यिक आपूर्ति या सेवाओं से प्राप्त आय के एवज में कर नहीं देना पड़ता था.'

मंत्रालय ने साफ किया कि 2 प्रतिशत डिजिटल कर उन प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर भी लगेगा जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है.

बयान में कहा गया है, 'शुल्क की सीमा 2 करोड़ रुपये है जो काफी कम है. और यह समान रूप से दुनिया की उन सभी ई-वाणिज्यि परिचालक कंपनियों पर लागू होगा, जिनका भारत में कारोबार है.'

पढ़ें- ट्रंप सरकार की शुल्क नीतियों से प्रभावित हुआ भारत-अमेरिका व्यापार संबंध: अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट

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