नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपये की मंजूरी दी.
इस पर ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की सचिव पुष्पा सुब्रमण्यम से बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि ये प्रोत्साहन आवश्यकता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों को दी जाएगी. छोटे उद्यमों के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
पुष्पा सुब्रह्मण्यम ने कहा खाद्य क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन से अगले छह वर्षों में भारत में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में 30,000 करोड़ रुपये का इजाफा होगा. उत्पादन से जुड़ी योजना को अगले महीने के अंत तक लागू किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि सभी चार क्षेत्रों के लिए एक सांकेतिक आवंटन होगा, हम रेडी-टू-ईट सेगमेंट के लिए अधिक आवंटन कर सकते हैं, यह 40% तक हो सकता है. फिर हमारे पास फल और सब्जियां हैं, हमने उस खंड के लिए 35% तक रखा है. फिर हम मोत्ज़ारेला चीज निर्माताओं के लिए कुछ धन आवंटित करेंगे.
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि सरकार ने बाजार के आकार और रुझानों के आधार पर सांकेतिक आवंटन किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी, जिससे 2.5 लाख लोगों को रोजगार मिलने और निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद है. साथ ही इससे उपभोक्ताओं को मूल्य वर्धित उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी.
खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए कहा, 'खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 10,900 करोड़ रुपये की राशि के साथ पीएलआई को मंजूरी दी गई है. यह निर्णय हमारे किसानों के लिए एक उचित समर्पण है.'
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बजट में सरकार ने 12-13 क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना लाने की बात कही थी. छह क्षेत्रों के लिए पहले ही पीएलआई की घोषणा की जा चुकी है.
उन्होंने कहा, 'आज, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए पीएलआई को मंजूरी दी गई.'
उन्होंने कहा कि इस घोषणा से मूल्यवर्धित खाद्य उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, विदेशी निवेश में बढ़ोतरी होगी और किसानों को अपनी पैदावार की उचित कीमत मिलने के साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत विनिर्माण प्रोत्साहन, ब्रांडिंग और विपणन मदद दी जाएगी.
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योजना 2021-22 से 2026-27 तक छह वर्षों के लिए लागू की जाएगी.
विज्ञप्ति के मुताबिक यह योजना परियोजना प्रबंधन एजेंसी (पीएमए) के माध्यम से लागू की जाएगी.
पीएमए आवेदनों के मूल्यांकन, पात्रता सत्यापन, प्रोत्साहन वितरण के लिए पात्र दावों की जांच के लिए उत्तरदायी होगी.
योजना की निगरानी केंद्र में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाले सचिवों के अधिकार संपन्न समूह द्वारा की जाएगी.
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय योजना के अंतर्गत कवरेज के लिए आवेदकों के चयन को स्वीकृति देगा, प्रोत्साहन रूप में धन स्वीकृत और जारी करेगा.
इस योजना के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी, जहां आवेदक उद्यमी इस योजना में हिस्सा लेने के लिए आवदेन कर सकता है.