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बाजार में 15 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी वाली टेलिकॉम कंपनियों को न्यूनतम शुल्क से छूट दी जाए

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Published : Mar 8, 2020, 7:27 PM IST

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के ताजा आंकड़े के अनुसार भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) पूरे देश में मोबाइल ग्राहकों के आधार पर बाजार हिस्सेदारी करीब 10.3 प्रतिशत है. कंपनी दिल्ली और मुंबई सर्किल को छोड़कर पूरे देश में सेवा देती है.

बाजार में 15 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी वाली टेलिकॉम कंपनियों को न्यूनतम शुल्क से छूट दी जाए
बाजार में 15 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी वाली टेलिकॉम कंपनियों को न्यूनतम शुल्क से छूट दी जाए

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल ने क्षेत्रीय नियामक ट्राई से कहा है कि सेवाओं की न्यूनतम दर रखने का प्रावधान केवल उन्हीं दूरसंचार कंपनियों के लिये हो जिनका संबंधित सेवा क्षेत्र में ग्राहकों का आधार 15 प्रतिशत से अधिक है. जिन कंपनियों का ग्राहकों का आधार न के बराबर है या बहुत कम है, उन्हें न्यूनतम दरों से छूट दी जानी चाहिए.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के ताजा आंकड़े के अनुसार भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) पूरे देश में मोबाइल ग्राहकों के आधार पर बाजार हिस्सेदारी करीब 10.3 प्रतिशत है. कंपनी दिल्ली और मुंबई सर्किल को छोड़कर पूरे देश में सेवा देती है. महानगर टेलीफोन निगम लि. (एमटीएनएल) दिल्ली और मुंबई में काम करती है और उसकी बाजार हिस्सेदारी 0.29 प्रतिशत है.

आंकड़े के अनुसार रिलायंस जियो 32.1 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है. भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की बाजार हिस्सेदारी क्रमश: 28.43 प्रतिशत और 28.89 प्रतिशत है.

ट्राई को दिये अपने सुझाव में सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों कंपनियों ने कहा कि दूरसंचार उद्योग को क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण पूंजी से भरपूर दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की अप्रत्याशित रूप से बाजार में आना है.

ये भी पढ़ें- राणा कपूर का 2,000 करोड़ रुपये का निवेश, दर्जनों मुखौटा कंपनियां ईडी जांच के घेरे में

ये कंपनियां मुक्त और काफी कम दर पर सेवाओं की पेशकश कर रही हैं. इसके कारण कई कंपनियों को अपना कारोबार समेटना पड़ा है. पुन: उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद समायोजित सकल आय (एजीआर) भुगतान के कारण उनकी समस्या और बढ़ी है.

दोनों कंपनियों ने एक जैसे पत्रों में ट्राई से कहा है, "दूरसंचार उद्योग को बाजार में बने रहने के लिये प्राधिकरण से कम-से-कम अल्पकाल के लिये मदद की जरूरत है."

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने शर्त के साथ ट्राई द्वारा न्यूनतम दर तय किये जाने का समर्थन किया है.

बीएसएनएल और एमटीएनएल ने कहा, "न्यूनतम मूल्य नियत करने को सीमित रखा जाना चाहिए. इस व्यवस्था को केवल उन्हीं कंपनियों पर लागू करना चाहिए जिनका लाइसेंस वाले सेवा क्षेत्र (एलएसए) में न्यूनतम 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हो. अगर ऐसा नहीं होता है तो न्यूनतम मूल्य से संभावित नये दूरंसवार सेवा प्रदाताओं को नुकसान हो सकता है जिनका ग्राहकों का आधार कम है."

दोनों कंपनियों ने मौजूदा दबाव को कम करने और भविष्य की प्रौद्योगिकी अपनाने को लेकर बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों को ट्राई के शुल्क निर्धारण के लिये नियामीय हस्तक्षेप का समर्थन करना चाहिए. यह इस शर्त पर होना चाहिए कि जिस सेवा क्षेत्र में संबंधित कंपनी का 15 प्रतिशत या उससे कम बाजार हिस्सेदारी है, उसे इससे छूट मिले.

दोनों ने ट्राई को के परामर्श पत्र दूरसंवार सेवाअइों के शुल्क मुद्दे पर जारी परामर्श पत्र में अपनी टिप्पणी में कहा कि दूरसंचार कंपनियों को व्यवहारिक और बाजार में बने रहने के लिये न्यूनतम ग्राहक आधार जरूरी है.

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने यह भी कहा कि हालांकि परिचालकों ने हाल में शुल्क में बढ़ोतरी की है, वे अपने ग्राहकों को जोड़े रखने को लेकर एक-दूसरे से संशकित हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) स्तर दीर्घकाल में बने रहने के लिये जरूरी स्तर से कम है.

दोनों कंपनियों ने औसत उद्योग लागत के आधार पर न्यूनतम मूल्य तय करने का समर्थन किया. यह लागत से 25 प्रतिशत अधिक (मार्क अप) या ट्राई द्वारा मंजूर मौजूदा उद्योग लागत से ऊपर होना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल ने क्षेत्रीय नियामक ट्राई से कहा है कि सेवाओं की न्यूनतम दर रखने का प्रावधान केवल उन्हीं दूरसंचार कंपनियों के लिये हो जिनका संबंधित सेवा क्षेत्र में ग्राहकों का आधार 15 प्रतिशत से अधिक है. जिन कंपनियों का ग्राहकों का आधार न के बराबर है या बहुत कम है, उन्हें न्यूनतम दरों से छूट दी जानी चाहिए.

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के ताजा आंकड़े के अनुसार भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) पूरे देश में मोबाइल ग्राहकों के आधार पर बाजार हिस्सेदारी करीब 10.3 प्रतिशत है. कंपनी दिल्ली और मुंबई सर्किल को छोड़कर पूरे देश में सेवा देती है. महानगर टेलीफोन निगम लि. (एमटीएनएल) दिल्ली और मुंबई में काम करती है और उसकी बाजार हिस्सेदारी 0.29 प्रतिशत है.

आंकड़े के अनुसार रिलायंस जियो 32.1 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है. भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की बाजार हिस्सेदारी क्रमश: 28.43 प्रतिशत और 28.89 प्रतिशत है.

ट्राई को दिये अपने सुझाव में सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों कंपनियों ने कहा कि दूरसंचार उद्योग को क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण पूंजी से भरपूर दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की अप्रत्याशित रूप से बाजार में आना है.

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ये कंपनियां मुक्त और काफी कम दर पर सेवाओं की पेशकश कर रही हैं. इसके कारण कई कंपनियों को अपना कारोबार समेटना पड़ा है. पुन: उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद समायोजित सकल आय (एजीआर) भुगतान के कारण उनकी समस्या और बढ़ी है.

दोनों कंपनियों ने एक जैसे पत्रों में ट्राई से कहा है, "दूरसंचार उद्योग को बाजार में बने रहने के लिये प्राधिकरण से कम-से-कम अल्पकाल के लिये मदद की जरूरत है."

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने शर्त के साथ ट्राई द्वारा न्यूनतम दर तय किये जाने का समर्थन किया है.

बीएसएनएल और एमटीएनएल ने कहा, "न्यूनतम मूल्य नियत करने को सीमित रखा जाना चाहिए. इस व्यवस्था को केवल उन्हीं कंपनियों पर लागू करना चाहिए जिनका लाइसेंस वाले सेवा क्षेत्र (एलएसए) में न्यूनतम 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हो. अगर ऐसा नहीं होता है तो न्यूनतम मूल्य से संभावित नये दूरंसवार सेवा प्रदाताओं को नुकसान हो सकता है जिनका ग्राहकों का आधार कम है."

दोनों कंपनियों ने मौजूदा दबाव को कम करने और भविष्य की प्रौद्योगिकी अपनाने को लेकर बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों को ट्राई के शुल्क निर्धारण के लिये नियामीय हस्तक्षेप का समर्थन करना चाहिए. यह इस शर्त पर होना चाहिए कि जिस सेवा क्षेत्र में संबंधित कंपनी का 15 प्रतिशत या उससे कम बाजार हिस्सेदारी है, उसे इससे छूट मिले.

दोनों ने ट्राई को के परामर्श पत्र दूरसंवार सेवाअइों के शुल्क मुद्दे पर जारी परामर्श पत्र में अपनी टिप्पणी में कहा कि दूरसंचार कंपनियों को व्यवहारिक और बाजार में बने रहने के लिये न्यूनतम ग्राहक आधार जरूरी है.

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने यह भी कहा कि हालांकि परिचालकों ने हाल में शुल्क में बढ़ोतरी की है, वे अपने ग्राहकों को जोड़े रखने को लेकर एक-दूसरे से संशकित हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) स्तर दीर्घकाल में बने रहने के लिये जरूरी स्तर से कम है.

दोनों कंपनियों ने औसत उद्योग लागत के आधार पर न्यूनतम मूल्य तय करने का समर्थन किया. यह लागत से 25 प्रतिशत अधिक (मार्क अप) या ट्राई द्वारा मंजूर मौजूदा उद्योग लागत से ऊपर होना चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

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