नई दिल्ली: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने दूरसंचार विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल को 4जी नेटवर्क स्थापित करने के लिए जारी किये गए 9,000 करोड़ रुपये के टेंडर रोकने के लिए कहा है. यह आदेश निविदा में विदेशी कंपनियों का पक्षपात लिए जाने के आरोप के बाद दिया गया. एक संचार में यह बात कही गई. यह शिकायत घरेलू दूरसंचार उत्पादों, उपकरणों और सेवाओं को बढ़ावा देने वाली सरकारी संस्था टीईपीसी की शिकायत के बाद किया गया.
बीएसएनएल के नए प्रबंधन ने मार्च में 4जी नेटवर्क स्थापित करने के लिए निविदा मंगाई थी. सरकार ने अक्टूबर 2019 में बीएसएनएल और एमटीएमएल को 68,751 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी, जिसके बाद दूरसंचार पीएसयू ने यह निविदा जारी की थी.
दूरसंचार उपकरण और सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (टीईपीसी) ने डीपीआईआईटी में बीएसएनएल के साथ ही दूरसंचार विभाग (डीओटी) के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि निविदा खरीद मानदंडों का उल्लंघन करती है और विदेशी कंपनियों के पक्ष में है.
टीईपीसी ने कहा, "बीएसएनएल और एमटीएनएल सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया) के आदेश की अनदेखी कर रहे हैं और इसमें सरकार के आदेशों के अनुपालन के लिए कोई प्रावधान नहीं है."
बीएसएनएल की निविदा में एनटीएनएल की मांग भी शामिल थीं.
बीएसएनएल के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, "यह तय किया गया था कि एमटीएनएल 4जी सेवाओं के लिए बीएसएनएल के मुख्य नेटवर्क का उपयोग करेगा. एमटीएनएल ने बीएसएनएल के साथ टावरों आदि को साझा किया था. कुल टेंडर की कीमत लगभग 9,000 करोड़ रुपये है."
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सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया) आदेश 2017 सभी सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित परियोजनाओं में घरेलू विनिर्माताओं के लिए वरीयता को अनिवार्य करता है.
डीपीआईआईटी ने डीओआईटी, बीएसएनएल और टीईपीसी को भेजे पत्र में कहा कि जब तक उपरोक्त शिकायत का सक्षम अधिकारी द्वारा निस्तारण नहीं किया जाता, तब तक खरीद को अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा. इस बारे में बीएसएनएल को भेजे गए सवालों के जवाब नहीं मिले.
(पीटीआई-भाषा)