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लॉकडाउन से बिजली वितरण कंपनियों को हो सकता है 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान: सीआईआई

सीआईआई ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा, बिजली वितरण कंपनियों के लिये उत्पादन कंपनियों का बकाया चुकाने को लेकर आसान ऋण सुविधा, उद्योग व व्यवसाय से संबंधित उपभोक्ताओं के लिये बिजली की कम दरें तथा बिजली शुल्क व कोयला उपकर जैसे अप्रत्यक्ष करों की छूट जैसे उपाय किये जाने चाहिये.

लॉकडाउन से बिजली वितरण कंपनियों को हो सकता है 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान: सीआईआई
लॉकडाउन से बिजली वितरण कंपनियों को हो सकता है 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान: सीआईआई
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Published : Apr 17, 2020, 6:57 PM IST

नई दिल्ली: उद्योग संगठन सीआईआई ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन के कारण बिजली वितरण कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है और उन्हें करीब 50 हजार करोड़ रुपये के नकदी संकट का सामना करना पड़ सकता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर फरवरी 2020 तक बिजली उत्पादन कंपनियों का 92,602 करोड़ रुपये बकाया है.

सीआईआई ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा, बिजली वितरण कंपनियों के लिये उत्पादन कंपनियों का बकाया चुकाने को लेकर आसान ऋण सुविधा, उद्योग व व्यवसाय से संबंधित उपभोक्ताओं के लिये बिजली की कम दरें तथा बिजली शुल्क व कोयला उपकर जैसे अप्रत्यक्ष करों की छूट जैसे उपाय किये जाने चाहिये.

देश भर में कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिये लॉकडाउन (बंद) लागू है. पहले बंद की समयसीमा 14 अप्रैल को समाप्त हो रही थी, लेकिन अब इसे तीन मई तक के लिये बढ़ा दिया गया है.

सीआईआई ने कहा कि बिजली क्षेत्र बंद के दौरान जरूरी सेवाओं में शामिल है. इस क्षेत्र के समक्ष मांग के साथ ही नकदी की कमी का दोहरा संकट उपस्थित हो रहा है.

ये भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने घटाया रिवर्स रेपो रेट; एमएसएमई, एग्री और हाउसिंग सेक्टर को दिया राहत पैकेज

उसने कहा कि बंद को आगे बढ़ाने से मांग में अतिरिक्त कमी आ सकती है जिससे वितरण कंपनियों को 25 हजार से 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है. इसके अलावा उनका नकदी संकट भी बढ़कर 45 से 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. जबकि लॉकडाउन से पहले का ही उनके ऊपर उत्पादक कंपनियों का 90 हजार करोड़ रुपये बकाया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उद्योग संगठन सीआईआई ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन के कारण बिजली वितरण कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है और उन्हें करीब 50 हजार करोड़ रुपये के नकदी संकट का सामना करना पड़ सकता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर फरवरी 2020 तक बिजली उत्पादन कंपनियों का 92,602 करोड़ रुपये बकाया है.

सीआईआई ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा, बिजली वितरण कंपनियों के लिये उत्पादन कंपनियों का बकाया चुकाने को लेकर आसान ऋण सुविधा, उद्योग व व्यवसाय से संबंधित उपभोक्ताओं के लिये बिजली की कम दरें तथा बिजली शुल्क व कोयला उपकर जैसे अप्रत्यक्ष करों की छूट जैसे उपाय किये जाने चाहिये.

देश भर में कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिये लॉकडाउन (बंद) लागू है. पहले बंद की समयसीमा 14 अप्रैल को समाप्त हो रही थी, लेकिन अब इसे तीन मई तक के लिये बढ़ा दिया गया है.

सीआईआई ने कहा कि बिजली क्षेत्र बंद के दौरान जरूरी सेवाओं में शामिल है. इस क्षेत्र के समक्ष मांग के साथ ही नकदी की कमी का दोहरा संकट उपस्थित हो रहा है.

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उसने कहा कि बंद को आगे बढ़ाने से मांग में अतिरिक्त कमी आ सकती है जिससे वितरण कंपनियों को 25 हजार से 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है. इसके अलावा उनका नकदी संकट भी बढ़कर 45 से 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. जबकि लॉकडाउन से पहले का ही उनके ऊपर उत्पादक कंपनियों का 90 हजार करोड़ रुपये बकाया है.

(पीटीआई-भाषा)

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