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वितरण कंपनियों का कर्ज 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने की आशंका: क्रिसिल

क्रिसिल ने कहा कि हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण बिजली मांग कम है और नकदी का नुकसान हो रहा है, ऐसे में वितरण कंपनियो के ऊपर वित्तीय संस्थानों का कर्ज बढ़कर 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये या पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक हो जाने की आशंका है.

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Published : Jun 6, 2020, 6:28 PM IST

वितरण कंपनियों का कर्ज 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने की आशंका: क्रिसिल
वितरण कंपनियों का कर्ज 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने की आशंका: क्रिसिल

नई दिल्ली: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को कहा कि बिजली वितरण कंपनियों का कर्ज चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 4.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की आशंका है.

क्रिसिल ने एक बयान में कहा कि सरकार ने वितरण कंपनियों के लिये पिछले महीने 90,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की. इससे कंपनियों को राहत मिली है. लेकिन वितरण कंपनियों के सतत विकास के लिये संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है.

बयान के अनुसार पैकेज से राज्य की वितरण कंपनियों को बिजली उत्पादक कंपनियों के पिछले बकाये के निपटान में मदद मिलेगी.

क्रिसिल ने कहा कि हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण बिजली मांग कम है और नकदी का नुकसान हो रहा है, ऐसे में वितरण कंपनियो के ऊपर वित्तीय संस्थानों का कर्ज बढ़कर 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये या पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक हो जाने की आशंका है.

रेटिंग एजेंसी ने 15 राज्यों की 34 सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण कंपनियों के अध्ययन के आधार पर कहा कि कर्ज में इतनी मात्रा में वृद्धि से वितरण कंपनियों का ऋण 'प्रोफाइल' कमजोर होगा. ऐसे में उनके बाजार में बने रहने के लिये संरचनात्मक सुधारों की जरूरत होगी. देश की कुल बिजली मांग में इन वितरण कंपनियों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है.

ये भी पढ़ें: सरकार अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रही, यह नोटबंदी 2.0 है: राहुल

बयान के अनुसार फिलहाल पांच वितरण कंपनियों में से केवल एक अपनी नकद स्थिति बजटीय सब्सिडी के आधार पर कर्ज की किस्त लौटाने की स्थिति में हैं.

क्रिसिल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' से चालू वित्त वर्ष में बिजली मांग कम होने, लागत बढ़ने तथा नुकसान से स्थिति खराब होगी जबकि मांग के लिहाज से पिछले वित्त वर्ष का तुलनात्मक आधार पहले से ही कमजोर था.

क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने कहा, "मांग में गिरावट के बीच उच्च लागत और नकद प्रवाह में बाधा से चालू वित्त वर्ष में वितरण कंपनियों का प्रति यूनिट परिचालन अंतर बढ़कर 83 पैसा प्रति यूनिट हो जाएगा. अन्य शब्दों में राज्य सरकारों से अधिक सब्सिडी मदद के बावजूद पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में नकदी नुकसान लगभग दोगुना होकर 58,000 करोड़ रुपये का हो जाने का अनुमान है."

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने शुक्रवार को कहा कि बिजली वितरण कंपनियों का कर्ज चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 4.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की आशंका है.

क्रिसिल ने एक बयान में कहा कि सरकार ने वितरण कंपनियों के लिये पिछले महीने 90,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की. इससे कंपनियों को राहत मिली है. लेकिन वितरण कंपनियों के सतत विकास के लिये संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है.

बयान के अनुसार पैकेज से राज्य की वितरण कंपनियों को बिजली उत्पादक कंपनियों के पिछले बकाये के निपटान में मदद मिलेगी.

क्रिसिल ने कहा कि हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण बिजली मांग कम है और नकदी का नुकसान हो रहा है, ऐसे में वितरण कंपनियो के ऊपर वित्तीय संस्थानों का कर्ज बढ़कर 2020-21 के अंत तक 4.5 लाख करोड़ रुपये या पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक हो जाने की आशंका है.

रेटिंग एजेंसी ने 15 राज्यों की 34 सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण कंपनियों के अध्ययन के आधार पर कहा कि कर्ज में इतनी मात्रा में वृद्धि से वितरण कंपनियों का ऋण 'प्रोफाइल' कमजोर होगा. ऐसे में उनके बाजार में बने रहने के लिये संरचनात्मक सुधारों की जरूरत होगी. देश की कुल बिजली मांग में इन वितरण कंपनियों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है.

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बयान के अनुसार फिलहाल पांच वितरण कंपनियों में से केवल एक अपनी नकद स्थिति बजटीय सब्सिडी के आधार पर कर्ज की किस्त लौटाने की स्थिति में हैं.

क्रिसिल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' से चालू वित्त वर्ष में बिजली मांग कम होने, लागत बढ़ने तथा नुकसान से स्थिति खराब होगी जबकि मांग के लिहाज से पिछले वित्त वर्ष का तुलनात्मक आधार पहले से ही कमजोर था.

क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने कहा, "मांग में गिरावट के बीच उच्च लागत और नकद प्रवाह में बाधा से चालू वित्त वर्ष में वितरण कंपनियों का प्रति यूनिट परिचालन अंतर बढ़कर 83 पैसा प्रति यूनिट हो जाएगा. अन्य शब्दों में राज्य सरकारों से अधिक सब्सिडी मदद के बावजूद पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष में नकदी नुकसान लगभग दोगुना होकर 58,000 करोड़ रुपये का हो जाने का अनुमान है."

(पीटीआई-भाषा)

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