नई दिल्ली: व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ई-कॉमर्स और दूसरे खुदरा व्यापार के मॉडल में व्याप्त विकृतियों के अध्यन के लिए मंत्रियों के समूह का गठन करने का आग्रह किया है.
कैट ने रविवार को बयान में आरोप लगाया कि केवल अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में विभिन्न ब्रांड के स्वामित्व वाली कंपनियां जिनमें खासतौर पर मोबाइल, एफएमसीजी, इलेक्ट्रॉनिक्स,इलेक्ट्रिकल उपकरण,फुटवियर ,गारमेंट, गिफ्ट आइटम्स, घड़ियाँ और अन्य क्षेत्रों के ब्रांड और विभिन्न बैंक भी ऑनलाइन पोर्टल्स पर विभिन्न उत्पादों की कीमतों में भारी रियायत देने के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं.
उन्होंने कहा कि ये ब्रांड ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार दोनों के लिए अलग-अलग मूल्य नीति रखते हैं जो प्रतिस्पर्धा कानून का स्पष्ट उल्लंघन है. कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने उन बैंकों को भी आड़े हाथ लिया जो ई कॉमर्स पोर्टल पर खरीद करने पर अपने संबंधित क्रेडिट/डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान होने पर कैश बैक और अन्य विभिन्न प्रकार की छूट दे रहे हैं.
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उन्होंने आरोप लगाया है कि न केवल ई कॉमर्स कंपनियां सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उल्लंघन करते हुए लागत से कम दाम पर माल बेच रही हैं बल्कि ब्रांड कंपनियों एवं विभिन्न बैंकों और अन्य सेवा प्रदाताओं के बीच भी साठगांठ है.
कैट ने केंद्र सरकार से ई कॉमर्स बाजार, विभिन्न ब्रांडों वाली कंपनियों और बैंकों की साठगांठ की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है. कैट ने कहा कि यह विशुद्ध रूप से एक गैर कानूनी अपवित्र गठबंधन है.
कैट ने कहा कि उसका प्रतिनिधिमंडल जल्द इस बारे में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास से मुलाकात करेगा और न्याय की मांग करेगा.