नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि आयुर्वेद के डॉक्टर भी कुल 58 तरह की सर्जरी करेंगे. उन्हें जनरल सर्जरी (सामान्य चीर-फाड़), ईएनटी (नाक, कान, गला), ऑप्थेलमॉलजी (आंख), ऑर्थो (हड्डी) और डेंटल (दांत) से संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी सर्जरी कर पाएंगे. जिसका IMA ने आयुर्वेद डॉक्टरों को दिए गए इस अधिकार का पुरजोर विरोध किया है.
रेसिडेंट डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन
शुक्रवार को सफदरजंग अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर के विरोध किया और कहा कि सरकार को अपने फैसले वापस लेना चाहिए. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए रेसिडेंट डॉक्टर आशु कुमार मीणा बताते हैं कि सरकार डॉक्टरों के साथ गलत कर रही है. सरकार को अपने फैसले पर सोचना चाहिए. इस फैसले को मेडिकल संस्थानों में चोर दरवाजे से एंट्री का प्रयास बताते हुए कहा कि ऐसे में NEET जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा.
डॉ. आशु बताते हैं कि एनएमसी बिल में उन्होंने इसके खिलाफ स्ट्राइक की थी ऑर्थोपेडिक सर्जन बनने के लिए उन्होंने करीब 13 साल की पढ़ाई की है, तब जाकर सर्जन बने हैं. 6 महीने की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर को कैसे सर्जरी कर सकता और इसके विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं और ओपीडी चला रहे हैं.