अहमदाबाद : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सीबीआई अदालत में कहा कि इशरत मामले में पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह फैसला गुजरात सरकार द्वारा लिया गया है. इस मामले में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों डी जी वंजारा और एन के अमीन शामिल है.
सरकार का फैसला वंजारा और अमीन के खिलाफ विवादित मामले के खत्म होने का रास्ता साफ कर सकता है.
धारा 197 के तहत आरोपी
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जे के पांडया की अदालत में सीबीआई के वकील आर सी कोडेकर द्वारा सौंपे गए एक पत्र को पढ़ने के बाद, अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से मना कर दिया. ये पुलिस अधिकारी इशरत मामले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत आरोपी हैं.
कार्रवाई वापस लेने के लिए आवेदन
बचाव पक्ष के वकील ने तब दोनों पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल करने की अनुमति मांगी. अदालत ने उनका अनुरोध स्वीकार करते हुए उन्हें 26 मार्च को आवेदन दाखिल करने के लिए कहा.
अब फैसला सीबीआई के ऊपर
अब इस पर फैसला करना सीबीआई के ऊपर है कि सरकार की मंजूरी के बिना दोनों के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाया जाए या नहीं.
पूर्व अनुमति की जरूरत
सीआरपीसी की धारा 197 के अनुसार, किसी लोक सेवक के अभियोजन के लिए संबंधित प्राधिकार से पूर्व अनुमति की जरूरत होती है.
सीबीआई से रूख स्पष्ट करने को कहा
पूर्व में अदालत ने दोनों पूर्व अधिकारियों को बरी करने की मांग करने वाले आवेदन खारिज करते हुए सीबीआई से इस बारे में रूख स्पष्ट करने को कहा था कि क्या वह दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति चाहती है.
राज्य सरकार को लिखा पत्र
इसके बाद सीबीआई ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा था.
सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए
वंजारा और अमीन उन सात आरोपियों में शामिल हैं जिनके खिलाफ इस मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए हैं.
वंजारा पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक हैं और अमीन सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक हैं.
2004 में हुई थी मुठभेड़
मुंबई के समीप मुंब्रा की 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जिशान जौहर को 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में पुलिस ने एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था.
तत्कालीन पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की थी साजिश
गुजरात पुलिस ने तब दावा किया था कि इन चारों के आतंकवादियों से संबंध थे और ये लोग गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे.