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कांग्रेस को एकजुट करने में शीला भी हुईं फेल? लिलोठिया बोले- बदलाव है, गुटबाजी नहीं - rajesh lilothiya

दिल्ली कांग्रेस कमेटी में नेताओं ने टिकट को लेकर गुटबाजी करना शुरू कर दी है. इस बाबत नेता लगातार शीला दीक्षित से मिलकर टिकट की होड़ में लगे हुए हैं.

शीला दीक्षित
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Published : Jun 22, 2019, 5:53 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी दिल्ली कांग्रेस कमेटी में गुटबाजी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. लोकसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित को इस गुटबाजी के चलते ही अध्यक्ष पद सौंपा गया था. जिससे कि वह अपने विश्वास के जरिए सभी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा कर सकें और इस गुटबाजी को खत्म कर सकें.


लेकिन मौजूदा स्थिति की बात करें तो अभी भी यह गुटबाजी कांग्रेस में खत्म होती नहीं दिख रही है. जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

राजेश लिलोठिया, कार्यकारी अध्यक्ष, दिल्ली कांग्रेस कमेटी

टिकट को लेकर खींचातानी
आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर दिल्ली कांग्रेस कमेटी में नेताओं ने खींचातानी शुरू कर दी है. शीला दीक्षित के समय में जो वरिष्ठ नेता रहे हैं वह इन दिनों इस जद्दोजहद में लगे हैं कि या तो उन्हें टिकट मिले या फिर उनके करीबी नेताओं को टिकट मिले. इस बाबत नेता लगातार शीला दीक्षित से मिलकर टिकट की होड़ में लगे हुए हैं.


गौरतलब है कि 2014 में जिस तरह से कांग्रेस को वोट मिले थे उसके हिसाब इस 2019 में वोट बैंक तो बढ़ा है. लेकिन गुटबाजी का ही नतीजा था जिसकी वजह से 2019 में दिल्ली की सात सीट में से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली.

गुटबाजी के आरोप से झाड़ा पल्ला
दिल्ली में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से बातचीत की. उन्होंने बताया कि दिल्ली के सभी कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं और किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है. यह बात अलग है कि अध्यक्ष बदलने के बाद रणनीतियां बदल जाती है. जिसके चलते कुछ बदलाव दिखते हैं. लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी में गुटबाजी है.

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी दिल्ली कांग्रेस कमेटी में गुटबाजी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. लोकसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित को इस गुटबाजी के चलते ही अध्यक्ष पद सौंपा गया था. जिससे कि वह अपने विश्वास के जरिए सभी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा कर सकें और इस गुटबाजी को खत्म कर सकें.


लेकिन मौजूदा स्थिति की बात करें तो अभी भी यह गुटबाजी कांग्रेस में खत्म होती नहीं दिख रही है. जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

राजेश लिलोठिया, कार्यकारी अध्यक्ष, दिल्ली कांग्रेस कमेटी

टिकट को लेकर खींचातानी
आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर दिल्ली कांग्रेस कमेटी में नेताओं ने खींचातानी शुरू कर दी है. शीला दीक्षित के समय में जो वरिष्ठ नेता रहे हैं वह इन दिनों इस जद्दोजहद में लगे हैं कि या तो उन्हें टिकट मिले या फिर उनके करीबी नेताओं को टिकट मिले. इस बाबत नेता लगातार शीला दीक्षित से मिलकर टिकट की होड़ में लगे हुए हैं.


गौरतलब है कि 2014 में जिस तरह से कांग्रेस को वोट मिले थे उसके हिसाब इस 2019 में वोट बैंक तो बढ़ा है. लेकिन गुटबाजी का ही नतीजा था जिसकी वजह से 2019 में दिल्ली की सात सीट में से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली.

गुटबाजी के आरोप से झाड़ा पल्ला
दिल्ली में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से बातचीत की. उन्होंने बताया कि दिल्ली के सभी कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं और किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है. यह बात अलग है कि अध्यक्ष बदलने के बाद रणनीतियां बदल जाती है. जिसके चलते कुछ बदलाव दिखते हैं. लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी में गुटबाजी है.

Intro:शीला नहीं कर पाई अंदरूनी गुटबाजी खत्म, लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी नहीं है पार्टी एक्टिव

नई दिल्ली: दिल्ली कांग्रेस कमेटी में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित को इस गुटबाजी के चलते ही अध्यक्ष पद सौंपा गया था.जिससे कि वह अपने विश्वास के जरिए सभी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा कर सकें और इस गुटबाजी को खत्म कर सकें. लेकिन मौजूदा स्थिति की बात करें तो अभी भी यह गुटबाजी कांग्रेस मेंखत्म होती नहीं दिख रही है. जिसका खामियाजा जहां एक और दिल्ली में कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ा तो वही विधानसभा चुनाव करीब आते ही यह है गहमागहमी भी देखी जा सकती है.


Body:विधानसभा चुनाव को लेकर चल रही खींचातानी
वहीं आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी टिकट को लेकर भी दिल्ली कांग्रेस कमेटी में खींचातानी शुरू हो गई है. शीला दीक्षित के समय में जो वरिष्ठ नेता रहे वह इन दिनों इस जद्दोजहद में लगे हैं कि या तो उन्हें टिकट मिले या फिर उनके करीबी नेताओं को.इस बाबत लगातार शीला दीक्षित से मिलकर टिकट की होड़ में लगे हुए हैं.इसस बाबत स्थानीय नेता है वह गुटबाजी में लगे हुए हैं जिससे कि कांग्रेस में दो फाड़ होता दिख रहा है.

गुटबाजी के चलते 2014 में कटे थे वोट
आपको बता दें कि 2014 में जिस तरह से कांग्रेस को वोट मिले थे उसके हिसाब इस 2019 मे वोट बैंक तो बढ़ा है, लेकिन यह गुटबाजी का ही नतीजा था.जिसकी वजह से 2019 में दिल्ली की साथ सीट में से एक भी सीट ओर कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हो सकी.

क्या कहते हैं राजेश लिलोठिया
वहीं दिल्ली में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से बातचीत की.उन्होंने बताया कि दिल्ली के सभी कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं और किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है.यह बात अलग है कि अध्यक्ष बदलने के बाद रणनीतियां बदल जाती है. जिसके चलते कुछ बदलाव दिखते हैं. लेकिन यह इसी प्रकार में नहीं कहा जा सकता कि पार्टी में गुटबाजी है.


Conclusion:फिलहाल देखना होगा कि जिस तरीके से 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली उसके बाद या गुटबाजी का असर विधानसभा चुनाव में दूर हो पाता है या नहीं.
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