नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी दिल्ली कांग्रेस कमेटी में गुटबाजी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. लोकसभा चुनाव से पहले शीला दीक्षित को इस गुटबाजी के चलते ही अध्यक्ष पद सौंपा गया था. जिससे कि वह अपने विश्वास के जरिए सभी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा कर सकें और इस गुटबाजी को खत्म कर सकें.
लेकिन मौजूदा स्थिति की बात करें तो अभी भी यह गुटबाजी कांग्रेस में खत्म होती नहीं दिख रही है. जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.
टिकट को लेकर खींचातानी
आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर दिल्ली कांग्रेस कमेटी में नेताओं ने खींचातानी शुरू कर दी है. शीला दीक्षित के समय में जो वरिष्ठ नेता रहे हैं वह इन दिनों इस जद्दोजहद में लगे हैं कि या तो उन्हें टिकट मिले या फिर उनके करीबी नेताओं को टिकट मिले. इस बाबत नेता लगातार शीला दीक्षित से मिलकर टिकट की होड़ में लगे हुए हैं.
गौरतलब है कि 2014 में जिस तरह से कांग्रेस को वोट मिले थे उसके हिसाब इस 2019 में वोट बैंक तो बढ़ा है. लेकिन गुटबाजी का ही नतीजा था जिसकी वजह से 2019 में दिल्ली की सात सीट में से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं मिली.
गुटबाजी के आरोप से झाड़ा पल्ला
दिल्ली में कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से बातचीत की. उन्होंने बताया कि दिल्ली के सभी कार्यकर्ता मिलकर काम करते हैं और किसी भी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है. यह बात अलग है कि अध्यक्ष बदलने के बाद रणनीतियां बदल जाती है. जिसके चलते कुछ बदलाव दिखते हैं. लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी में गुटबाजी है.