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Manipur violence : मणिपुर मामले में दर्ज हुई थी जीरो एफआईआर, विस्तार से जानिए क्या होती है Zero FIR

मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का मामला देशभर में सुर्खियां बना हुआ है. शर्मनाक घटना करने वाले छठे आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस केस में सबसे पहले जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद मामला ट्रांसफर किया गया. आइए जानते हैं क्या होती है जीरो एफआईआर, कब से हुई इसकी शुरुआत.

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Published : Jul 22, 2023, 4:43 PM IST

Updated : Jul 22, 2023, 8:59 PM IST

Zero FIR
जीरो एफआईआर

नई दिल्ली: मणिपुर में हुई शर्मनाक घटना में दो और आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यानि 4 मई को कांगपोकपी जिले में दो निर्वस्त्र महिलाओं की परेड कराने के संबंध में गिरफ्तारियों की संख्या बढ़कर छह हो गई है.

सीएम एन. बीरेन सिंह ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं. मणिपुर पुलिस ने भी ट्वीट किया, 'राज्य पुलिस शेष दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.'

  • Manipur viral video case | "Another accused was arrested today. Altogether 6 persons including five main accused and one Juvenile has been arrested," tweets Manipur Police pic.twitter.com/5RpvVJSEbS

    — ANI (@ANI) July 22, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल 4 मई को हुई इस घटना की एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. 18 मई को एक पीड़िता की मां के बयान के आधार पर, दोनों पीड़िताओं के गृहनगर - कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. 21 जून को जीरो एफआईआर को घटना स्थल थोबल के सैकुल थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था.

जीरो एफआईआर : जब एक पुलिस स्टेशन को किसी अन्य पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में किए गए कथित अपराध के बारे में शिकायत मिलती है, तो वह एफआईआर दर्ज करता है और फिर इसे जांच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर देता है. इसे जीरो एफआईआर (Zero FIR) कहा जाता है.

इसमें कोई नियमित एफआईआर नंबर नहीं दिया जाता है. जीरो एफआईआर मिलने के बाद रेवेन्यू पुलिस स्टेशन नई एफआईआर दर्ज करता है और जांच शुरू करता है.

कब हुआ प्रावधान : जीरो एफआईआर का प्रावधान जस्टिस वर्मा कमेटी की रिपोर्ट में सिफारिश के बाद आया. इस कमेटी को 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले के बाद गठित किया गया था.

पुडुचेरी सरकार की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न करने के आरोपी अपराधियों के लिए तेजी से सुनवाई और बढ़ी हुई सजा प्रदान करने के लिए आपराधिक कानून में संशोधन का सुझाव देने के लिए गठित न्यायमूर्ति वर्मा समिति की रिपोर्ट में सिफारिश के बाद जीरो एफआईआर का प्रावधान आया. समिति का गठन 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के बाद किया गया था.

सर्कुलर में कहा गया है कि 'जीरो एफआईआर पीड़ित द्वारा किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है, भले ही उनका निवास स्थान या अपराध घटित होने का स्थान कुछ भी हो.'

जीरो एफआईआर का उद्देश्य क्या है? : जीरो एफआईआर (Zero FIR) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ित को पुलिस शिकायत दर्ज कराने के लिए दर-दर भटकना न पड़े. यह प्रावधान पीड़ित को जल्द समस्या समाधान करने के लिए है ताकि एफआईआर दर्ज होने के बाद समय पर कार्रवाई की जा सके.

एफआईआर क्या है? : प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) शब्द को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 या किसी अन्य कानून में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस नियमों में, सीआरपीसी की धारा 154 के तहत दर्ज की गई जानकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) कहते हैं.

धारा 154 (संज्ञेय मामलों में जानकारी) कहती है कि 'किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने से संबंधित प्रत्येक जानकारी, यदि किसी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को मौखिक रूप से दी जाती है, तो उसके द्वारा या उसके निर्देश के तहत ये लिखित रूप में दी जाएगी. ऐसी प्रत्येक जानकारी पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर होंगे.

साथ ही, रिकॉर्ड की गई जानकारी की एक प्रति...शिकायतकर्ता को तुरंत निःशुल्क दी जाएगी. हालांकि एफआईआर तभी दर्ज की जाती है जब जानकारी किसी संज्ञेय अपराध से संबंधित हो.

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नई दिल्ली: मणिपुर में हुई शर्मनाक घटना में दो और आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यानि 4 मई को कांगपोकपी जिले में दो निर्वस्त्र महिलाओं की परेड कराने के संबंध में गिरफ्तारियों की संख्या बढ़कर छह हो गई है.

सीएम एन. बीरेन सिंह ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं. मणिपुर पुलिस ने भी ट्वीट किया, 'राज्य पुलिस शेष दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.'

  • Manipur viral video case | "Another accused was arrested today. Altogether 6 persons including five main accused and one Juvenile has been arrested," tweets Manipur Police pic.twitter.com/5RpvVJSEbS

    — ANI (@ANI) July 22, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

दरअसल 4 मई को हुई इस घटना की एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. 18 मई को एक पीड़िता की मां के बयान के आधार पर, दोनों पीड़िताओं के गृहनगर - कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी. 21 जून को जीरो एफआईआर को घटना स्थल थोबल के सैकुल थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था.

जीरो एफआईआर : जब एक पुलिस स्टेशन को किसी अन्य पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में किए गए कथित अपराध के बारे में शिकायत मिलती है, तो वह एफआईआर दर्ज करता है और फिर इसे जांच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर देता है. इसे जीरो एफआईआर (Zero FIR) कहा जाता है.

इसमें कोई नियमित एफआईआर नंबर नहीं दिया जाता है. जीरो एफआईआर मिलने के बाद रेवेन्यू पुलिस स्टेशन नई एफआईआर दर्ज करता है और जांच शुरू करता है.

कब हुआ प्रावधान : जीरो एफआईआर का प्रावधान जस्टिस वर्मा कमेटी की रिपोर्ट में सिफारिश के बाद आया. इस कमेटी को 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले के बाद गठित किया गया था.

पुडुचेरी सरकार की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न करने के आरोपी अपराधियों के लिए तेजी से सुनवाई और बढ़ी हुई सजा प्रदान करने के लिए आपराधिक कानून में संशोधन का सुझाव देने के लिए गठित न्यायमूर्ति वर्मा समिति की रिपोर्ट में सिफारिश के बाद जीरो एफआईआर का प्रावधान आया. समिति का गठन 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के बाद किया गया था.

सर्कुलर में कहा गया है कि 'जीरो एफआईआर पीड़ित द्वारा किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है, भले ही उनका निवास स्थान या अपराध घटित होने का स्थान कुछ भी हो.'

जीरो एफआईआर का उद्देश्य क्या है? : जीरो एफआईआर (Zero FIR) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़ित को पुलिस शिकायत दर्ज कराने के लिए दर-दर भटकना न पड़े. यह प्रावधान पीड़ित को जल्द समस्या समाधान करने के लिए है ताकि एफआईआर दर्ज होने के बाद समय पर कार्रवाई की जा सके.

एफआईआर क्या है? : प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) शब्द को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 या किसी अन्य कानून में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस नियमों में, सीआरपीसी की धारा 154 के तहत दर्ज की गई जानकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) कहते हैं.

धारा 154 (संज्ञेय मामलों में जानकारी) कहती है कि 'किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने से संबंधित प्रत्येक जानकारी, यदि किसी पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को मौखिक रूप से दी जाती है, तो उसके द्वारा या उसके निर्देश के तहत ये लिखित रूप में दी जाएगी. ऐसी प्रत्येक जानकारी पर शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर होंगे.

साथ ही, रिकॉर्ड की गई जानकारी की एक प्रति...शिकायतकर्ता को तुरंत निःशुल्क दी जाएगी. हालांकि एफआईआर तभी दर्ज की जाती है जब जानकारी किसी संज्ञेय अपराध से संबंधित हो.

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Last Updated : Jul 22, 2023, 8:59 PM IST
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