उत्तरकाशी : देश और प्रदेश में बेरोजगारी की मार और उसके बाद लॉकडाउन के वार ने युवाओं के रोजगार की कमर पूरी तरह तोड़ कर रख दी है. उच्च शैक्षिक योग्यता के चलते प्राइवेट कंपनियों में नौकरी कर रहे युवाओं का रोजगार छिन गया. कई युवा ऐसे हैं, जिन्होंने एमबीए सहित एमए योग और डबल एमए करने के बाद रोजगार की तलाश की. लेकिन उसके बाद भी रोजगार नहीं मिल पाया.
वहीं, अब युवा रोजगार की तलाश में अपनी शैक्षिक योग्यता को तव्वजो नहीं दे रहे हैं. उनका कहना है कि इस बेरोजगारी के दौर में अब जो भी नौकरी मिले, वही करेंगे. यही कारण है कि उत्तराखंड में 8वीं पास शैक्षिक योग्यता की नौकरी के लिए उच्च शैक्षिक योग्यता वाले युवा भी आवेदन करने को मजबूर हैं.
इन दिनों उत्तरकाशी जनपद में जिला युवा कल्याण, प्रांतीय रक्षक दल के पीआरडी जवानों का प्रशिक्षण चल रहा है. इसमें 150 नए पीआरडी जवान हैं. पीआरडी में शैक्षिक योग्यता मात्र 8वीं पास है. लेकिन उसके बाद भी पीआरडी के लिए आवेदन करने वालों में एमबीए (मास्टर इन बिजनेस) सहित एमए योग और डबल एमए पास युवा शामिल हैं. साथ ही बीए, बीएससी, एमएससी कर रहे छात्रों ने भी आवेदन किए हैं.
देश और प्रदेश में बढ़ रही बेरोजगारी के डर से युवाओं को मजबूरी में अपनी शैक्षिक योग्यता से कम का रोजगार अपनाना पड़ रहा है. हालांकि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, लेकिन अपनी शैक्षिक योग्यता के अनुसार रोजगार न मिलने के कारण युवाओं के मन में टीस है.
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वहीं, पीआरडी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे ब्रह्मखाल निवासी हिमांशु भंडारी ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2018 में एमबीए किया था. लेकिन नौकरी ढूंढने के बाद भी रोजगार नहीं मिला. उसके बाद लॉकडाउन के कारण अब लगा कि जो भी रोजगार मिले उसे ही अपना लिया जाए और फिर पीआरडी के लिए आवेदन किया.
वहीं, मोरी के दूरस्थ भितरी गांव के राज किरण बौद्ध का कहना है कि उन्होंने एमए योग से पढ़ाई पूरी की है. लेकिन कहीं पर रोजगार नहीं मिला.
युवाओं की यह मजबूरी प्रदेश सरकार की रोजगार नीतियों पर सवाल खड़े कर रही है कि आखिर क्यों युवाओं को उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर रोजगार नहीं मिल रहा है.