हैदराबाद : क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या सीओपीडी को दुनियाभर में स्वास्थ्य कारणों से होने वाली मौत का तीसरा प्रमुख कारण माना जाता है. मुख्यतः धूम्रपान या तम्बाकू के ज्यादा सेवन के कारण तथा प्रदूषित वातावरण या हानिकारक धूंए के ज्यादा देर तक संपर्क में रहने के कारण होने वाले फेफड़ों के इस रोग में ज्यादातर मामलों में स्थायी उपचार संभव नहीं हो पाता है. जिसका एक कारण इस रोग के लक्षणों को लेकर लोगों में जानकारी की कमी या उनकी अनदेखी के कारण जांच व इलाज में हुई देरी को भी माना जाता है.
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जानकार मानते हैं कि यदि समय से इस रोग की पहचान हो जाए तो रोग की गंभीरता के आधार पर दवा व सावधानियों से इसका इलाज तथा इस पर नियंत्रण किया जा सकता है. इसलिए इस रोग के कारणों व लक्षणों को लेकर जागरूकता तथा समय से इलाज व प्रबंधन की जरूरत को लेकर लोगों में जानकारी का प्रसार करना बेहद जरूरी हो जाता है. इसी उद्देश्य के साथ वर्ष 2002 से हर साल नवंबर माह के तीसरे बुधवार को अलग-अलग थीम के साथ विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाता रहा है. इस वर्ष यह वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल दिवस 15 नवंबर को 'सांस लेना ही जीवन है - पहले कार्य करें' थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या है सीओपीडी
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या सीओपीडी दरअसल फेफड़ों की गंभीर समस्या है, जिसमें फेफड़े क्षतिग्रस्त होने लगते हैं. यह एक क्रोनिक समस्या होती हैं जिसकी गंभीरता समय के साथ बढ़ती रहती है. वहीं इसके चले पीड़ित को ह्रदय रोग तथा फेफड़ों के कैंसर सहित कई गंभीर रोग होने का जोखिम भी बढ़ जाता हैं.
ऐसे लोग जो ज्यादा धूम्रपान करते हैं, ऐसे स्थान पर कार्य करते हैं या रहते हैं जहां वायु प्रदूषण ज्यादा होता है, या किसी भी कारण से ज्यादा देर तक धुएं के संपर्क में रहते हैं उनमें यह रोग होने का जोखिम ज्यादा रहता है. इस बीमारी के निदान की बात करें तो यदि बिल्कुल शुरुआत में इसका पता चल जाए तथा समय से इलाज शुरू हो जाए तो मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है. लेकिन जांच व इलाज में देरी होने पर ना सिर्फ इसके स्थाई इलाज की संभावना कम हो सकती हैं बल्कि पीड़ित में कई अन्य गंभीर रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है. वहीं कई बार इसके कारण जान जाने का जोखिम भी बढ़ जाता है.
उद्देश्य तथा महत्व
आंकड़ों की माने पिछले कुछ दशकों में सीओपीडी के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. जिसके चलते ना सिर्फ इस बीमारी के लक्षणों , कारणों, निदान व प्रबंधन के तरीकों को लेकर लोगों को जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करना बेहद जरूरी हो गया है, बल्कि इस रोग का कारण माने जाने वाले वायु प्रदूषण तथा धूम्रपान जैसे जोखिम कारकों पर नियंत्रण के लिए प्रयास करना तथा इन व इस रोग से जुड़े अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा करना भी बेहद जरूरी हो गया है.
ऐसे में विश्व सीओपीडी दिवस ना सिर्फ एक स्वास्थ्य देखभाल दिवस के रूप में बल्कि वायु प्रदूषण तथा धूम्रपान के खतरों जैसे मुद्दों को लेकर लोगों को जागरूक करने तथा हर संभव तरह से उन पर नियंत्रण के लिए प्रयास करने के लिए भी महत्वपूर्ण मौका माना जा सकता है.
सीओपीडी को सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडा और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक कार्य योजना, दोनों में शामिल किया गया है. जिसके चलते 50 से अधिक देशों में संबंधित मुद्दों पर विभिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाती है.
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज द्वारा विश्व भर में स्वास्थ्य कर्मचारियों और सीओपीडी रोगियों के सहयोग से विश्व सीओपीडी दिवस को मनाए जाने की शुरुआत की गई थी. तब से हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को इस स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम को मनाया जाता है. इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ,यूएन तथा ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज सहित दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, सीओपीडी रोगी समूह तथा कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, अभियानों, गोष्ठियों तथा शिविरों व दौड़ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.