इंफाल: हिंसाग्रस्त मणिपुर में सेना के जवानों के लिए महिला प्रदर्शनकारी जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के संचालन में हस्तक्षेप कर रही हैं. भारतीय सेना ने कहा है कि सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही को अवरुद्ध करना न केवल गैरकानूनी है बल्कि कानून एवं व्यवस्था बहाल करने के उनके प्रयासों के लिए भी हानिकारक है.
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Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx
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सोमवार को एक ट्वीट में भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें महिला कार्यकर्ताओं द्वारा सुरक्षा बलों के अभियानों में जानबूझकर हस्तक्षेप करते हुए देखा जा सकता है. सेना का कहना है कि मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के संचालन में हस्तक्षेप कर रही हैं. इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए गंभीर परिस्थितियों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा समय पर प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक है.
भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने एक ट्वीट में कहा कि भारतीय सेना आबादी के सभी वर्गों से शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है. ऐसा ही एक हालिया उदाहरण पिछले हफ्ते हुआ जब सुरक्षा बलों को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के 12 कैडरों को रिहा करना पड़ा, जिसमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तम्बा भी शामिल थे, जो 2015 के 6 डोगरा घात मामले का मास्टरमाइंड है, जिसमें सेना के 18 लोग मारे गए थे.
दरअसल, 24 जून के ऑपरेशन में कांगलेई यावोल कन्ना लूप (केवाईकेएल) के 12 कैडरों को हथियारों, गोला-बारूद और युद्ध जैसे भंडार के साथ पकड़ा गया था. सेना ने कहा कि महिलाओं और स्थानीय नेता के नेतृत्व में लगभग 1200-1500 की भीड़ ने तुरंत लक्ष्य क्षेत्र को घेर लिया और सुरक्षा बलों को जाने से रोक दिया, जिसके बाद जमीन पर मौजूद अधिकारी ने सभी 12 कैडरों को स्थानीय नेता को सौंपने का निर्णय लिया.
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के मणिपुर दौरे से गृह मंत्रालय ने किया इनकार: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने संघर्षग्रस्त मणिपुर का दौरा करने के लिए एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के लिए कई राजनीतिक दलों द्वारा रखे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. मामले से जुड़े सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जो प्रस्ताव रखा गया था, उसे खारिज कर दिया गया है.
सूत्रों ने कहा कि सरकार को नहीं लगता कि सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का यह सही समय है. केंद्र और राज्य सरकार दोनों हिंसा प्रभावित मणिपुर में सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-मार्क्सवादी) और कई अन्य पार्टियों ने गृह मंत्री को राज्य में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव दिया था.
(अतिरिक्त इनपुट एजेंसी)