जयपुर. राजस्थान में पारिवारिक विवाद के मामले में पति की ओर से 11 महीने की बकाया भरण-पोषण राशि 55 हजार रुपये को सिक्कों में देने से जुड़े मामले में सोमवार को पत्नी ने जयपुर फैमिली कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर सिक्कों में राशि लेने से इनकार कर दिया है. पत्नी की ओर से प्रार्थना पत्र दायर कर कहा गया कि सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 के तहत एक हजार रुपये मूल्य से ज्यादा मूल्य की रकम का सिक्कों के जरिए लेन-देन वैध नहीं है, इसलिए पति से भरण-पोषण की राशि सिक्कों की बजाय कागजी मुद्रा में दिलवाई जाए. यदि राशि नहीं दी जाए तो कोर्ट के आदेश की पालना में उसे जेल भेजा जाए. पीठासीन अधिकारी के आधे दिन के अवकाश पर होने के चलते प्रार्थना पत्र पर सुनवाई नहीं हो पाई. अदालत मामले में अब 5 जुलाई को सुनवाई करेगा.
भत्ते के लिए सिक्के लेकर पहुंचा था पति : पति दशरथ कुमावत के अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने अपना आदेश दे दिया है. ऐसे में आदेश को चुनौती हाईकोर्ट में ही दी जा सकती है. दरअसल, पिछले सप्ताह पति ने पत्नी के भरण-पोषण की राशि 55 हजार रुपये को एक-दो रुपये के सिक्कों के रूप में कोर्ट में जमा कराया था. इस पर कोर्ट ने पति को निर्देश दिए थे कि वह आगामी सुनवाई पर एक-एक हजार रुपये की थैलियां बनाकर सिक्कों की गिनती करवाए. पत्नी की ओर से कहा था कि पति ने जानबूझकर उन्हें परेशान करने के लिए भरण-पोषण राशि सिक्कों में दी है. जबकि पति की ओर से सिक्कों को वैध भारतीय मुद्रा बताते हुए कोर्ट से राशि स्वीकार करने की गुहार की थी.
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बता दें कि इन दोनों की शादी करीब 12 साल पहले हुई थी. पिछले पांच साल से दोनों के बीच पारिवारिक विवाद चल रहा है. महिला ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज करा रखा है, जिसका ट्रायल चल रहा है. पति पर 11 महीने के 55 हजार रुपये भरण-पोषण देने के बाद भी करीब 1.70 लाख रुपये भरण-पोषण भत्ता बकाया है.