ETV Bharat / bharat

बिना जानकारी दिए पत्नी की कॉल रिकॉर्डिंग निजता का हनन : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट

author img

By

Published : Dec 13, 2021, 10:41 AM IST

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने एक फैसले में कहा है कि कोई भी पति अपनी जीवनसाथी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना उसकी मंजूरी के रिकॉर्ड नहीं कर सकता है. पत्नी की जानकारी के बिना उसकी टेलीफोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग निजता का स्पष्ट उल्लंघन है.

right to privacy
right to privacy

हैदराबाद : पत्नी को जानकारी दिए बिना फोन पर बातचीत के दौरान की गई रेकॉर्डिंग निजता का स्पष्ट उल्लंघन है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने यह फैसला एक महिला की याचिका पर दिया. महिला के पति ने तलाक के मुकदमे की सुनवाई के दौरान कॉल रिकॉर्डिंग को फैमली कोर्ट में बतौर सबूत पेश किया था. जस्टिस लिसा गिल की खंडपीठ ने इस अवलोकन में एक फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है.

कोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, महिला के पति ने पारिवारिक विवाद के बाद 2017 में तलाक के लिए बठिंडा के फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान पति ने बठिंडा फैमिली कोर्ट में महिला से टेलीफोन पर की गई बातचीत को बतौर सबूत पेश किया. इस रिकॉर्डिंग के जरिये उसने तलाक के मुकदमे में पत्नी के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराया था. बठिंडा फैमिली कोर्ट ने फोन पर रिकॉर्ड की गई कॉल पर सबूत मानते हुए उसे स्‍वीकार भी कर लिया.

फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महिला ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पत्नी ने याचिका में दावा किया था कि बिना जानकारी दिए फोन पर की गई रिकॉर्डिंग उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है, इसलिए इसे कोर्ट में बतौर सबूत पेश नहीं किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए हैरानी जताई और फैमिली कोर्ट में पेश किए गए पति के फोन रेकॉर्डिंग वाले सबूत को खारिज कर दिया.

जस्टिस लिसा गिल की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कोई भी पति अपनी जीवनसाथी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना उसकी मंजूरी के रिकॉर्ड नहीं कर सकता है. अगर पति ऐसा करता है तो यह निजता के अधिकार का हनन माना जाएगा.

हैदराबाद : पत्नी को जानकारी दिए बिना फोन पर बातचीत के दौरान की गई रेकॉर्डिंग निजता का स्पष्ट उल्लंघन है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने यह फैसला एक महिला की याचिका पर दिया. महिला के पति ने तलाक के मुकदमे की सुनवाई के दौरान कॉल रिकॉर्डिंग को फैमली कोर्ट में बतौर सबूत पेश किया था. जस्टिस लिसा गिल की खंडपीठ ने इस अवलोकन में एक फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है.

कोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, महिला के पति ने पारिवारिक विवाद के बाद 2017 में तलाक के लिए बठिंडा के फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान पति ने बठिंडा फैमिली कोर्ट में महिला से टेलीफोन पर की गई बातचीत को बतौर सबूत पेश किया. इस रिकॉर्डिंग के जरिये उसने तलाक के मुकदमे में पत्नी के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराया था. बठिंडा फैमिली कोर्ट ने फोन पर रिकॉर्ड की गई कॉल पर सबूत मानते हुए उसे स्‍वीकार भी कर लिया.

फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महिला ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पत्नी ने याचिका में दावा किया था कि बिना जानकारी दिए फोन पर की गई रिकॉर्डिंग उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है, इसलिए इसे कोर्ट में बतौर सबूत पेश नहीं किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए हैरानी जताई और फैमिली कोर्ट में पेश किए गए पति के फोन रेकॉर्डिंग वाले सबूत को खारिज कर दिया.

जस्टिस लिसा गिल की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि कोई भी पति अपनी जीवनसाथी के साथ फोन पर की गई बातचीत को बिना उसकी मंजूरी के रिकॉर्ड नहीं कर सकता है. अगर पति ऐसा करता है तो यह निजता के अधिकार का हनन माना जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.