हैदराबाद: विश्व टीकाकरण सप्ताह हर साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह (24-30 अप्रैल) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य बीमारी से सभी लोगों को सुरक्षा देने के लिए टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना है. टीकाकरण से हर साल लाखों लोगों की जान बचाई जाती है और ये दुनिया के सबसे सफल बचाव के तरीकों के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है. इसके बावजूद आज भी दुनिया में लगभग 20 मिलियन बच्चों को वो टीके नहीं मिल पाते जिनकी उन्हें जरूरत है, और कई किशोर, व्यस्क और बुजुर्गों को लगने वाले जरूरी टीके नहीं मिल पाते.
'टीके हमें करीब लाते हैं' की थीम के साथ विश्व टीकाकरण सप्ताह 2021 के दौरान दुनियाभर में टीकाकरण के महत्व को बढ़ावा देने और जिंदगीभर हर जगह सबके स्वास्थ्य में सुधार के लिए टीकाकरण से जुड़ने के लिए जागरुक किया जाएगा.
टीके (वैक्सीन) हमें करीब लाए हैं, और हमें फिर से करीब लाएंगे
200 सालों से टीकों ने हमें उन बीमारियों से बचाया है जो जिंदगी के लिए खतरा हैं और हमारे विकास की राह का रोड़ा हैं. टीकों की मदद से हम चेचक और पोलियों जसी बीमारियों पर काबू पा सके हैं. ये बीमारियां लाखों लोगों की जान लेती थी. अब विकास की राह में हमें पोलियों और चेचक जैसे रोगों की फिक्र नहीं है. वैक्सीन की मदद से हम ऐसी दुनिया की तरफ बढ़ रहे हैं जहां हम सब एक साथ होंगे. टीकों के विकास से ही आज दुनिया टीबी, सर्वाइकल कैंसर और खसरे जैसी बचपन की बीमारियों से मुक्ति के करीब है. निवेश और नए शोध वैक्सीन के विकास के लिए गंभीर दृष्टिकोण को सक्षम कर रहे हैं. जो टीकाकरण के विज्ञान को बदल रहे हैं, हमें एक स्वस्थ भविष्य के करीब ला रहे हैं.
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम 1978 में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विस्तारित कार्यक्रम टीकाकरण के रूप में शुरू किया गया था. साल 1985 में इस कार्यक्रम को सार्वभौनिक (यूनिवर्सिल) टीकाकरण कार्यक्रम के रूप में संशोधित किया गया, जिसे अलग-अलग चरणों में देश के सभी जिलों को कवर करने के लिए साल 1989-90 तक दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रम से एक बनाया गया. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस टीकाकरण कार्यक्रम के तहत शिशुओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई तरह की टीके दिये गए.
टीकाकरण
टीकाकरण वो प्रक्रिया है जिसके तहत किसी व्यक्ति को एक संक्रामक बीमारी के लिए प्रतिरक्षा या प्रतिरोधी बनाया जाता है. टीके ऐसे पदार्थ हैं जो शरीर के स्वयं की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करते हैं ताकि बाद के संक्रमण या बीमारी से व्यक्ति की रक्षा हो सके.
मिशन इंद्रधनुष
मिशन इन्द्रधनुष को दिसंबर 2014 में लॉन्च किया गया था और इसका उद्देश्य बच्चों को पूर्ण टीकाकरण कवरेज बढ़ाकर 90% करना था.
यूआईपी के तहत टीकाकरण द्वारा संरक्षित रोग
1. डिप्थीरिया
2. पर्ट्युसिस (कुकुरखांसी)
3. टिटनेस
4. पोलियो
5. टीबी
6. खसरा
7. हेपेटाइटिस बी
8. जापानी एन्सेफलाइटिस (आमतौर पर दिमागी बुखार के रूप में जानते हैं)
इस बार खास है विश्व टीकाकरण सप्ताह
हर साल अप्रैल के आखिरी हफ्ते को विश्व टीकाकरण सप्ताह के रूप में मनाया जाता है. इस साल ये टीकाकरण सप्ताह खास है क्योंकि इस बार दुनिया कोरोना संक्रमण का दौर झेल रही है. दुनिया पहले भी महामारी का दौर देख चुकी है लेकिन कोरोना महामारी जैसी त्रासदी दुनिया ने नहीं झेली थी. कोरोना के खिलाफ कई देशों ने वैक्सीन बनाई और अब कई देशों में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान चल रहा है. टीकाकरण सप्ताह का मकसद लोगों को टीकाकरण के फायदे बताकर बीमारियों के खिलाफ टीकों की उपयोगिता बताना है और इस बार जब दुनिया सबसे खतरनाक कोरोना वायरस से जूझ रही है तो दुनिया को कोविड 19 के खिलाफ टीकाकरण के फायदे बताना भी विश्व टीकाकरण सप्ताह का उद्देश्य है.
कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण
जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस संक्रमण के कारण महामारी का मुकाबला कर रही थी तो टीकाकरण ही इस महामारी से निपटने का एक तरीका था. महामारी के एक वर्ष के अंदर ही दुनिया ने कोरोना वायरस के खिलाफ कई टीके विकसित किए हैं. टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जोर शोर से चल रही है. फिलहाल दुनिया भर में कई वैक्सीन बन चुकी है जिनकी खुराक लोगों को मिल रही है.
भारत में कोविड-19 टीकाकरण
16 जनवरी, 2021 को भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया है. जिसमें दो टीके हैं जो केद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा मंजूरी मिली है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) और भारत में निर्मित कोवैक्सीन. अब स्पुतनिक वी नाम के साथ रूसी वैक्सीन को भी भारत में आपातकालीन उपयोग को मंजूरी मिल गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 23 अप्रैल 2021 की सुबह 7 बजे तक 13,54,78,420 डोज़ दी जा चुकी है.
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