शिमला : हिमाचल प्रदेश में इस साल स्क्रब टाइफस के मामलो ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है. जिसने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. हर साल बरसात के मौसम में सामने आने वाले स्क्रब टाइफस के मामले इस बार 973 तक पहुंच गए हैं. जबकि अभी बरसात का मौसम बचा हुआ है और अक्टूबर महीने तक स्क्रब टाइफस के मामले सामने आते हैं.
अब तक 10 लोगों की मौत- हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस को देखते हुए इस बार अब तक 5834 सैंपल लिए गए हैं जिनमें से 973 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल आईजीएमसी, शिमला में ही रोजाना औसतन 15 से 20 मामले सामने आ रहे हैं. जबकि अब तक प्रदेशभर में 10 मरीजों की मौत हो चुकी है. इनमें से 8 मरीजों की मौत शिमला आईजीएमसी और 2 मरीजों की मौत टांडा मेडिकल कॉलेज में हुई है.
स्क्रब टाइफस के रिकॉर्डतोड़ मामले- प्रदेश में बीते सालों के मामलो पर नजर डालें तो साल 2018 में 413 पॉजिटिव मामले थे जबकि 17 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2019 में पॉजिटिव मामले 247 थे और 17 मरीजों के लिए स्क्रब टाइफस जानलेवा साबित हुआ. 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते स्क्रब टाइफस के मामलों की जांच नहीं हो पाई थी. वहीं साल 2022 में 500 लोग स्क्रब टाइफस से संक्रमित हुए और इस दौरान 20 लोगों की मौत हुई. इस साल अब तक 973 पॉजिटिव मामले आ चुके हैं और 10 मरीजों की मौत हो चुकी है. लगातार सामने आ रहे मामलों को देखते हुए इन आंकड़ों में आने वाले दिनों में इजाफा हो सकता है.
स्क्रब टाइफस क्या होता है- स्क्रब टाइफस चिगर माइट्स नाम के एक कीट के काटने से फैलता है. जिसे कई लोग पिस्सू भी कहते हैं. मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा के मुताबिक माइट नाम के कीट का लारवा चिगर कहलाता है. अगर ये लारवा स्किन पर काट ले तो स्क्रब का बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाता है. जिससे कोई इंसान स्क्रब टाइफस का शिकार हो जाता है. ये बीमारी ज्यादातर घास, झाड़ियों, जंगल, वनस्पति के संपर्क में आने से होती है. यही वजह है कि ये बीमारी पहले पहाड़ी या ग्रामीण इलाकों में ही सामने आती थी. जहां लोग घास काटने के लिए जाते हैं, लेकिन अब ये बीमारी शहरों में भी पहुंच गई है. इसकी वजह भी बताएंगे लेकिन पहले जानते हैं.
स्क्रब टाइफस के लक्षण- आईजीएमसी शिमला के मेडिसिन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. बलवीर वर्मा के मुताबिक स्क्रब टाइफस के मरीज को तेज बुखार आता है जो 104 डिग्री तक भी पहुंच सकता है. इसके अलावा कंपकंपी छूटना, शरीर में अकड़न, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है. इसके अलावा शरीर पर कीड़े के काटने का निशान दिखता है और शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चकत्ते पड़ सकते हैं.
लापरवाही पड़ सकती है भारी- कई लोग बरसात के सीजन में होने वाले इस बुखार को आम बुखार समझकर हल्के में लेते हैं. आईजीएमसी के डॉक्टर राहुल गुप्ता बताते हैं कि स्क्रब टाइफस के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें. जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेने पर ये बीमारी दवाओं से ठीक हो जाती है लेकिन अगर लक्षणों को अनदेखा करें और डॉक्टर तक पहुंचने में देरी हो तो स्क्रब टाइफस मरीज की किडनी, दिल, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर भी असर डाल सकता है. डॉ. गुप्ता कहते हैं कि हिमाचल में 15 जून से 15 अक्टूबर के बीच घास या झाड़ियों में जाने के बाद कोई भी लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. मरीज डॉक्टर को जंगल, झाड़ियों या घास के संपर्क में आने की बात भी जरूर बताएं. ताकि डॉक्टर लक्षणों को देखकर तुरंत इलाज कर सकें.
शहरों में क्यों फैल रहा है स्क्रब टाइफस- डॉक्टर मनोज सलूजा बताते हैं कि पहले सिर्फ पहाड़ी या ग्रामीण इलाकों से सामने आने वाले स्क्रब टाइफस के मामले शहरों में भी आ रहे हैं. कई बार लोग पिकनिक के लिए घास वाली जगहों को चुनते हैं, कुछ लोग मॉर्निंग वॉक के लिए नंगे पांव घास पर चलते हैं खासकर बारिश के मौसम में बड़ी-बड़ी घास वाले इलाकों में जाते हैं. ऐसा करने से लोग संक्रमित हो सकते हैं. कई बार आपका पालतू जानवर ऐसे इलाकों से होकर आता है और फिर आप उसके संपर्क में आते हैं तो भी आप स्क्रब टाइफस के शिकार हो सकते हैं.
AIIMS Delhi के डॉक्टर नीरज निश्चल के मुताबिक पहले पहाड़ी राज्यों से स्क्रब टाइफस के मामले सामने आते थे लेकिन अब शहर भी इससे अछूते नहीं है. नेचर के साथ इंसान का बढ़ता इंटरेक्शन इसकी वजह है. इसलिये अगर ऐसी जगह जा रहे हैं तो ध्यान रखें और पूरी सावधानी बरतें.
क्या करें, क्या ना करें- डॉ. बलवीर वर्मा के मुताबिक जब भी घास वाले इलाकों में जाएं तो शरीर को पूरी तरह ढककर रखें. ऐसे इलाकों में नंगे पांव की बजाय जूते पहनें और सफाई का विशेष ध्यान रखें. ऐसे इलाकों से लौटने के बाद नहाना ना भूलें और उन कपड़ों को भी धोएं. अगर घर के आस-पास घास वाला क्षेत्र है तो साफ-सफाई रखें और कीटनाशक का छिड़काव करें. इसके अलावा अगर स्क्रब टाइफस से जुड़े कोई भी लक्षण दिखें तो इसे अनदेखा या घरेलू इलाज करने की बजाय तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपकी जान पर भारी पड़ सकती है.
हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल के मुताबिक प्रदेश में अधिक बारिश, नमी होने के साथ-साथ अपनी सेहत और साफ सफाई को लेकर लापरवाही मामलों के बढ़ने की वजह है. स्क्रब टाइफस के बढ़ते मामलो को देखते हुए अस्पतालों में दवा समेत अन्य बंदोबस्त किए गए हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर घास काटने के लिए जाने वाली महिलाएं स्क्रब टाइफस का शिकार होती है. कई बार लोग लक्षणों को अनदेखा करते हैं, जिससे हालात बिगड़ जाते हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से सावधानी बरतने और लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह लेने की अपील की है.
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