नई दिल्ली : प्रतिबंध के बावजूद ई-सिगरेट आसानी से ऑनलाइन और तंबाकू की दुकानों पर उपलब्ध होने के कारण केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के निर्माण, बिक्री और विज्ञापनों पर रोक लगाने वाले कानून को सख्ती से लागू करने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का निषेध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) कानून (पीईसीए) 2019 में लागू हुआ.
मंत्रालय ने सभी उत्पादकों, निर्माताओं, आयातकों, निर्यातकों, वितरकों, विज्ञापनदाताओं, कोरियर सहित ट्रांसपोर्टर, सोशल मीडिया वेबसाइट, ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट, दुकानदारों/खुदरा विक्रेताओं समेत अन्य को ई-सिगरेट का वितरण या भंडारण पूर्ण उत्पाद या उसके किसी भाग के रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादन या निर्माण, आयात या निर्यात या परिवहन या बिक्री नहीं करने का निर्देश दिया है.
हाल में जारी नोटिस में उनसे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का विज्ञापन नहीं करने या ऐसे विज्ञापन में हिस्सा नहीं लेने को भी कहा है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देता हो. सार्वजनिक नोटिस में एक नोट जोड़ते हुए, मंत्रालय ने कहा, 'इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री (ऑनलाइन बिक्री सहित), वितरण, भंडारण और विज्ञापन का अपराध कानून के वैधानिक प्रावधानों के अनुसार संज्ञेय और दंडनीय है.'
'वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया' के प्रबंधक बिनॉय मैथ्यू ने कहा, '2019 में भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, वे तंबाकू की दुकानों और ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध हैं और 18 साल से कम उम्र वालों को बेची जाती हैं.' उन्होंने कानून को सख्ती से लागू करने के लिए सार्वजनिक नोटिस लाने के सरकार के कदम का स्वागत करते हुए कहा, 'हमारी युवा पीढ़ी को जहरीले व्यसन के एक नए रूप से बचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया गया था. हालांकि, इसका क्रियान्वयन कमजोर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार सस्ते और बिना ब्रांड वाली चीनी निर्मित ई-सिगरेट से भर गया है.'
भारी जुर्माने और कारावास के प्रावधान के बावजूद, ई-सिगरेट तंबाकू विक्रेताओं, सामान्य दुकानों और ऑनलाइन प्रदाताओं सहित कई स्रोतों में व्यापक रूप से उपलब्ध हैं. स्कूली बच्चों सहित युवाओं में ई-सिगरेट का बड़े पैमाने पर उपयोग देखा गया है. मैथ्यू ने कहा, 'ई-सिगरेट के व्यापारी अवैध रूप से बाजार में पैर जमाने में कामयाब रहे हैं, जिसका प्रतिबंध से पूरी तरह से समाधान नहीं हो पाया है.'
उच्चतम न्यायालय में वकालत करने वाले रंजीत सिंह ने कहा, 'ई-सिगरेट और आकर्षक स्वाद वाले उत्पादों को युवा पीढ़ी को निकोटीन की लत में फंसाने के लिए तैयार किया गया है. यह चिंताजनक है कि एक प्रतिबंधित उत्पाद भारतीय बाजार में इतनी आसानी से उपलब्ध है.' उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस, प्रतिबंधित उत्पाद पर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ पीईसीए, 2019 प्रावधानों के विवरण को स्पष्ट करते हुए, इस खतरनाक उत्पाद को भारत में विपणन से रोकने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प को दिखाता है. ई-सिगरेट और इस तरह के तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए राज्य सरकारों को समान कदम उठाने चाहिए.'
फरवरी में, मंत्रालय ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा था, जिसमें चिंता व्यक्त की थी कि ये उपकरण अभी भी ऑनलाइन और स्थानीय विक्रेताओं के पास उपलब्ध हैं. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को संबोधित एक पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा था कि ई-सिगरेट जैसे उपकरणों को दुकानों या स्टेशनरी स्टोर और शैक्षणिक संस्थानों के पास बेचे जाने की भी सूचना मिली है, जिसके परिणामस्वरूप छोटे बच्चों द्वारा ऐसे उत्पादों के लिए आसान पहुंच है.
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(पीटीआई-भाषा)