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देहरादून में बैठकर अमेरिका के लोगों को बना रहे थे ठगी का शिकार, ऐसे हुए गिरफ्तार

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Published : Jun 26, 2021, 7:28 PM IST

उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और साइबर क्राइम पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह (international cyber crime gang) का खुलासा करते हुए देहरादून में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर (international fake call center) से दो लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरोह के लोग अमेरिका के लोगों को अपना शिकार बनाते थे.

एसटीएफ  उत्तराखंड
एसटीएफ उत्तराखंड

देहरादून : उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और साइबर क्राइम पुलिस ने देहरादून में अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह (International Cyber Crime Gang) का पर्दाफाश किया है. उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उत्तराखंड एसटीएफ ने करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के मामले का भी खुलासा किया है. ये गिरोह देहरादून में एक फर्जी कॉल सेंटर (International Fake Call Center) चला रहा था, जिसके जरिए ये गिरोह अमेरिका के लोगों के साथ बड़े पैमाने पर ठगी कर रहे थे. इस गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला थी. जो अमेरिका में रहकर पूरे गातिविधियों पर अपनी नजर बनाए हुए थी.

उत्तराखंड एसटीएफ के डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि ये मामला अंतरराष्ट्रीय है, इसीलिए इसकी सूचना इंटरपोल (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन) को भी दी गई. इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस बारे में अवगत कराया गया है. क्योंकि ये मामला इंटरनेशनल रैकेट से जुड़ा है.

उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) ने इस गिरोह के जिन दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उनके नाम वैभव गुप्ता और सूद खान है. इन दोनों के पास से उत्तराखंड एसटीएफ को कई डिजिटल सबूत भी मिले हैं. जिनके आधार पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार किया है. दोनों ही आरोपियों को देहरादून के पटेल नगर कोतवाली क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है. वैभव गुप्ता देहरादून के पटेल नगर का ही रहने वाला है, जबकि सूद खान मूलचंद एनक्लेव पटेल नगर का रहने वाला है.

उत्तराखंड एसटीएफ ने की बड़ी कार्रवाई.

बनाया था फर्जी कॉल सेंटर

जानकारी के मुताबिक ये गिरोह मुख्य रूप से अमेरिका में लोगों को कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे सिस्टमों की सर्विस देने के नाम पर ठगी करता था. इसलिए इन आरोपियों ने फर्जी कॉल सेंटर भी बना रखा था. अभी तक ये गिरोह इसी तरह लाखों-करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है.

उत्तराखंड एसटीएफ की प्रारंभिक जांच में जो सच निकल कर सामने आया है, उसके मुताबिक इस गिरोह की सरगना एक महिला है जो अमेरिका में रहती है. उसी महिला ने अपना नेटवर्क भारत के अलग-अलग शहरों में फैला रखा है. महिला गूगल के माध्यम से ग्राहकों के नंबर हैक कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने का काम करती है.

साइबर क्राइम पुलिस की गिरफ्त में आए वैभव गुप्ता ने कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट किया था. उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है.

डेस्कटॉप और लैपटॉप सर्विस के नाम पर करते थे ठगी

उत्तराखंड एसटीएफ ने सूचना के आधार पर गुरु राम राय पीजी कॉलेज के पास स्थिति एक प्लैट में छापेमारी की, इस दौरान पुलिस को वहां दो लोग मिले. पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो पता चला कि यह लोग डेस्कटॉप और लैपटॉप की सर्विस के नाम पर अमेरिका के लोगों को अपना शिकार बनाते थे.

आरोपियों ने बताया कि वे फर्जी कस्टमर केयर अधिकारी बनकर अमेरिका के लोगों को पहले फोन करते थे, फिर सिस्टम में तकनीकी खराबी को ठीक करने का झांसा देकर सर्विस के नाम पर उनसे साइबर ठगी करते थे. जानकारी में यह भी पता चला कि इस गिरोह ने दो टोल फ्री नंबर खरीदे थे, जो उनके लैपटॉप और कंप्यूटर पर मौजूद सॉफ्टवेयर से कनेक्ट थे.

ऐसे करते थे ठगी

कोई भी व्यक्ति अमेरिका से सिस्टम डिवाइस के रिपेयर के लिए गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करता था, तो वो इस गिरोह के संपर्क में आ जाता था. आरोपी उसी व्यक्ति के नंबर को हैक कर उसे फोन करते थे और फर्जी कस्मटर केयर अधिकारी बनकर बात करते थे. इसके बाद ये एक रिमोट एक्सेस के जरिए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाकर अमेरिका में बैठे नागरिकों के सिस्टम में तकनीकी खराबी को ठीक करने के नाम पर 100 से लेकर 900 डॉलर तक की ठगी किया करते थे.

गिरोह की मास्टरमाइंड अमेरिका में

आरोपी वैभव गुप्ता ने उत्तराखंड एसटीएफ को बताया कि इस गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला है, जो अमेरिका में रहती है, वो अमेरिका में ही बैठकर अपने गिरोह के सदस्यों को जानकारियां देती है. उसी के जरिए उनका कमिशन मिलता है. महिला का नाम मलिसा (Melissa) है. महिला अपना कमिशन लेने के बाद दिल्ली से लेकर देहरादून तक गिरोह के सदस्यों के खातों में पैसा ट्रांसफर कर देती थी.

एक करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फ्रीज

इस गिरोह के बैंक खाते में करीब 1.25 करोड़ रुपए की ट्रांजेक्शन सामने आई है. गिरोह के खाते में जमा करीब एक करोड़ 10 लाख रुपयों को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है. ये सभी रकम पीएनबी, एचडीएफसी और बैंक ऑफ बड़ौदा के खातों में जमा थी.

पढ़ेंः राष्ट्रपति के काफिले को लेकर रोका था ट्रैफिक, जाम में फंसी एंबुलेंस, IIA अध्यक्ष की मौत

देहरादून : उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और साइबर क्राइम पुलिस ने देहरादून में अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह (International Cyber Crime Gang) का पर्दाफाश किया है. उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) ने अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उत्तराखंड एसटीएफ ने करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी के मामले का भी खुलासा किया है. ये गिरोह देहरादून में एक फर्जी कॉल सेंटर (International Fake Call Center) चला रहा था, जिसके जरिए ये गिरोह अमेरिका के लोगों के साथ बड़े पैमाने पर ठगी कर रहे थे. इस गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला थी. जो अमेरिका में रहकर पूरे गातिविधियों पर अपनी नजर बनाए हुए थी.

उत्तराखंड एसटीएफ के डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा कि ये मामला अंतरराष्ट्रीय है, इसीलिए इसकी सूचना इंटरपोल (अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन) को भी दी गई. इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस बारे में अवगत कराया गया है. क्योंकि ये मामला इंटरनेशनल रैकेट से जुड़ा है.

उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) ने इस गिरोह के जिन दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उनके नाम वैभव गुप्ता और सूद खान है. इन दोनों के पास से उत्तराखंड एसटीएफ को कई डिजिटल सबूत भी मिले हैं. जिनके आधार पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार किया है. दोनों ही आरोपियों को देहरादून के पटेल नगर कोतवाली क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है. वैभव गुप्ता देहरादून के पटेल नगर का ही रहने वाला है, जबकि सूद खान मूलचंद एनक्लेव पटेल नगर का रहने वाला है.

उत्तराखंड एसटीएफ ने की बड़ी कार्रवाई.

बनाया था फर्जी कॉल सेंटर

जानकारी के मुताबिक ये गिरोह मुख्य रूप से अमेरिका में लोगों को कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे सिस्टमों की सर्विस देने के नाम पर ठगी करता था. इसलिए इन आरोपियों ने फर्जी कॉल सेंटर भी बना रखा था. अभी तक ये गिरोह इसी तरह लाखों-करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है.

उत्तराखंड एसटीएफ की प्रारंभिक जांच में जो सच निकल कर सामने आया है, उसके मुताबिक इस गिरोह की सरगना एक महिला है जो अमेरिका में रहती है. उसी महिला ने अपना नेटवर्क भारत के अलग-अलग शहरों में फैला रखा है. महिला गूगल के माध्यम से ग्राहकों के नंबर हैक कर इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने का काम करती है.

साइबर क्राइम पुलिस की गिरफ्त में आए वैभव गुप्ता ने कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट किया था. उत्तराखंड एसटीएफ और साइबर पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है.

डेस्कटॉप और लैपटॉप सर्विस के नाम पर करते थे ठगी

उत्तराखंड एसटीएफ ने सूचना के आधार पर गुरु राम राय पीजी कॉलेज के पास स्थिति एक प्लैट में छापेमारी की, इस दौरान पुलिस को वहां दो लोग मिले. पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो पता चला कि यह लोग डेस्कटॉप और लैपटॉप की सर्विस के नाम पर अमेरिका के लोगों को अपना शिकार बनाते थे.

आरोपियों ने बताया कि वे फर्जी कस्टमर केयर अधिकारी बनकर अमेरिका के लोगों को पहले फोन करते थे, फिर सिस्टम में तकनीकी खराबी को ठीक करने का झांसा देकर सर्विस के नाम पर उनसे साइबर ठगी करते थे. जानकारी में यह भी पता चला कि इस गिरोह ने दो टोल फ्री नंबर खरीदे थे, जो उनके लैपटॉप और कंप्यूटर पर मौजूद सॉफ्टवेयर से कनेक्ट थे.

ऐसे करते थे ठगी

कोई भी व्यक्ति अमेरिका से सिस्टम डिवाइस के रिपेयर के लिए गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करता था, तो वो इस गिरोह के संपर्क में आ जाता था. आरोपी उसी व्यक्ति के नंबर को हैक कर उसे फोन करते थे और फर्जी कस्मटर केयर अधिकारी बनकर बात करते थे. इसके बाद ये एक रिमोट एक्सेस के जरिए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करवाकर अमेरिका में बैठे नागरिकों के सिस्टम में तकनीकी खराबी को ठीक करने के नाम पर 100 से लेकर 900 डॉलर तक की ठगी किया करते थे.

गिरोह की मास्टरमाइंड अमेरिका में

आरोपी वैभव गुप्ता ने उत्तराखंड एसटीएफ को बताया कि इस गिरोह की मास्टरमाइंड एक महिला है, जो अमेरिका में रहती है, वो अमेरिका में ही बैठकर अपने गिरोह के सदस्यों को जानकारियां देती है. उसी के जरिए उनका कमिशन मिलता है. महिला का नाम मलिसा (Melissa) है. महिला अपना कमिशन लेने के बाद दिल्ली से लेकर देहरादून तक गिरोह के सदस्यों के खातों में पैसा ट्रांसफर कर देती थी.

एक करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फ्रीज

इस गिरोह के बैंक खाते में करीब 1.25 करोड़ रुपए की ट्रांजेक्शन सामने आई है. गिरोह के खाते में जमा करीब एक करोड़ 10 लाख रुपयों को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है. ये सभी रकम पीएनबी, एचडीएफसी और बैंक ऑफ बड़ौदा के खातों में जमा थी.

पढ़ेंः राष्ट्रपति के काफिले को लेकर रोका था ट्रैफिक, जाम में फंसी एंबुलेंस, IIA अध्यक्ष की मौत

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