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Parliament Security Breach: तीन दिन की सजा, तिहाड़ में बिताये दिन, मोहन पाठक को याद आया 29 साल पुराना दौर

Mohan Pathak on Parliament security breach case: 29 साल पहले साल 1994 में उत्तराखंड हल्द्वानी के रहने वाले मोहन पाठक ने भी संसद की दर्शक दीर्घा छलांग लगाई थी. तब उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहनपाठक स्पीकर की कुर्सी तक पहुंच गये थे. इस दौरान मोहन पाठक ने 'आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य अलग दो' का नारे लगाये. आज 29 साल बाद हुये संसद ब्रीच वाक्ये के बाद मोहन पाठक पुराने दिनों को याद करते हैं. उन्होंने 13 दिसंबर को संसद सुरक्षा सेंध मामले को असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा जब वे संसद में घुसे थे तब वे अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं गये थे. उन्होंने तब शांतिपूर्वक और अहिंसात्मक ढंग से अपनी बातों को रखा था.

Uttarakhand state agitator Mohan Pathak
संसद सुरक्षा मामले पर उत्तराखंड के मोहन पाठक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 15, 2023, 7:37 PM IST

Updated : Dec 16, 2023, 1:17 PM IST

संसद सुरक्षा मामले पर उत्तराखंड के मोहन पाठक

हल्द्वानी (उत्तराखंड): देशभर में इन दिनों संसद सिक्योरिटी ब्रीच का मामला सुर्खियों में हैं. संसद सुरक्षा सेंध मामले में अब तक चार आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेजा जा चुका है. इन चारों आरोपियों ने 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंधमारी की थी. इस घटना के बाद संसद की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. 13 दिसंबर 2023 से ठीक 29 साल पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने भी संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई थी. 24 अगस्त 1994 को मोहन पाठक ने भी संसद के दर्शक दीर्घा से कूद स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश की. इस दौरान मोहन पाठक ने उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी भी की थी.

Uttarakhand state agitator Mohan Pathak
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक

29 साल बाद हुई ऐसी ही घटना पर मोहन पाठक से बात की गई. मोहन पाठक ने कहा उन्होंने उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए अपना योगदान दिया. उन्होंने बताया जब वे संसद में घुसे तब वे छात्र राजनीतिक से जुड़े हुये थे. 24 अगस्त 1994 को अपने साथी मनमोहन तिवारी के साथ वे संसद दीर्घा में पहुंचे. जहां उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग को लेकर नारेबाजी की.

पढे़ं- उत्तराखंड का संसद सिक्योरिटी ब्रीच कनेक्शन, 29 साल पहले भी हुआ था ऐसा ही वाक्या, जब संसद में घुसे थे राज्य आंदोलनकारी

इसके बाद वे दर्शक दीर्घा से कूद कर स्पीकर की कुर्सी तक पहुंच गये. इस दौरान राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने 'आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य अलग दो' का नारा लगाया. संसद में घुसे मोहन पाठक ने शांतिपूर्वक अपनी बात को संसद में रखा. उन्होंने अहिंसात्मक प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया तब वो अपने साथ किसी तरह के कोई भी अवैधानिक चीज अंदर नहीं ले गये थे.

पढे़ं- लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से कूदे दो शख्स, सांसदों ने पकड़ा

संसद सिक्योरिटी ब्रीच पर बोलते हुए मोहन पाठक ने कहा 13 दिसंबर 2023 को संसद में जो घटना घटी है वह असंवैधानिक है. उन्होंने कहा अपनी मांगों को मांगने के लिए कई तरह के उपाय हैं. उन्होंने कहा संसद की सुरक्षा देश की सुरक्षा है. इससे कभी भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा सभी को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन असंवैधानिक तरीके से अपनी मांगे रखना पूरी तरह से गलत है. लोगों को इस तरह की कृत्य करने से पहले राष्ट्र के बारे में सोचना चाहिए. मोहन पाठक ने लोगों से संसद की गरिमा बनाये रखने की अपील की.

Uttarakhand state agitator Mohan Pathak
29 साल पहले संसद में घुसे थे मोहन पाठक

तीन दिन की सुनाई गई सजा, भेजा गया तिहाड़ जेल: 24 अगस्त 1994 को उत्तराखंड के दो युवक 13 दिसंबर की तरह ही दर्शक दीर्घा में पहुंचे गए थे. मोहन पाठक और मनमोहन तिवारी दोनों ही राज्य आंदोलनकारी थे. संसद में घुसे मनमोहन तिवारी और मोहन पाठक ने संसद के दर्शक दीर्घा से नारेबाजी की. यह नारेबाजी उत्तर प्रदेश से पहाड़ी क्षेत्र को अलग करते हुए एक नए राज्य के गठन से जुड़ी थी. बताया जाता है कि मोहन पाठक ने दर्शक दीर्घा के चेंबर से छलांग लगाते हुए 13 दिसंबर को हुई घटना की तरह ही सांसदों के बीच जाकर नारेबाजी की.

Parliament security breach case
29 साल पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक

मनमोहन तिवारी ने दर्शक दीर्घा से ही अलग राज्य के गठन को लेकर नारेबाजी कर पर्चे फेंके. इस घटना के बाद संसद की अवमानना को लेकर इन दोनों को ही तीन दिन की सजा सुनाई गई. इसके बाद इन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया. जब यह घटना हुई, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार थी. शिवराज पाटिल तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष थे.

संसद सुरक्षा मामले पर उत्तराखंड के मोहन पाठक

हल्द्वानी (उत्तराखंड): देशभर में इन दिनों संसद सिक्योरिटी ब्रीच का मामला सुर्खियों में हैं. संसद सुरक्षा सेंध मामले में अब तक चार आरोपियों को पुलिस कस्टडी में भेजा जा चुका है. इन चारों आरोपियों ने 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में सेंधमारी की थी. इस घटना के बाद संसद की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. 13 दिसंबर 2023 से ठीक 29 साल पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने भी संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई थी. 24 अगस्त 1994 को मोहन पाठक ने भी संसद के दर्शक दीर्घा से कूद स्पीकर की कुर्सी तक पहुंचने की कोशिश की. इस दौरान मोहन पाठक ने उत्तराखंड अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर नारेबाजी भी की थी.

Uttarakhand state agitator Mohan Pathak
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक

29 साल बाद हुई ऐसी ही घटना पर मोहन पाठक से बात की गई. मोहन पाठक ने कहा उन्होंने उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए अपना योगदान दिया. उन्होंने बताया जब वे संसद में घुसे तब वे छात्र राजनीतिक से जुड़े हुये थे. 24 अगस्त 1994 को अपने साथी मनमोहन तिवारी के साथ वे संसद दीर्घा में पहुंचे. जहां उन्होंने उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग को लेकर नारेबाजी की.

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इसके बाद वे दर्शक दीर्घा से कूद कर स्पीकर की कुर्सी तक पहुंच गये. इस दौरान राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक ने 'आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य अलग दो' का नारा लगाया. संसद में घुसे मोहन पाठक ने शांतिपूर्वक अपनी बात को संसद में रखा. उन्होंने अहिंसात्मक प्रदर्शन किया. उन्होंने बताया तब वो अपने साथ किसी तरह के कोई भी अवैधानिक चीज अंदर नहीं ले गये थे.

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संसद सिक्योरिटी ब्रीच पर बोलते हुए मोहन पाठक ने कहा 13 दिसंबर 2023 को संसद में जो घटना घटी है वह असंवैधानिक है. उन्होंने कहा अपनी मांगों को मांगने के लिए कई तरह के उपाय हैं. उन्होंने कहा संसद की सुरक्षा देश की सुरक्षा है. इससे कभी भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा सभी को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन असंवैधानिक तरीके से अपनी मांगे रखना पूरी तरह से गलत है. लोगों को इस तरह की कृत्य करने से पहले राष्ट्र के बारे में सोचना चाहिए. मोहन पाठक ने लोगों से संसद की गरिमा बनाये रखने की अपील की.

Uttarakhand state agitator Mohan Pathak
29 साल पहले संसद में घुसे थे मोहन पाठक

तीन दिन की सुनाई गई सजा, भेजा गया तिहाड़ जेल: 24 अगस्त 1994 को उत्तराखंड के दो युवक 13 दिसंबर की तरह ही दर्शक दीर्घा में पहुंचे गए थे. मोहन पाठक और मनमोहन तिवारी दोनों ही राज्य आंदोलनकारी थे. संसद में घुसे मनमोहन तिवारी और मोहन पाठक ने संसद के दर्शक दीर्घा से नारेबाजी की. यह नारेबाजी उत्तर प्रदेश से पहाड़ी क्षेत्र को अलग करते हुए एक नए राज्य के गठन से जुड़ी थी. बताया जाता है कि मोहन पाठक ने दर्शक दीर्घा के चेंबर से छलांग लगाते हुए 13 दिसंबर को हुई घटना की तरह ही सांसदों के बीच जाकर नारेबाजी की.

Parliament security breach case
29 साल पहले उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन पाठक

मनमोहन तिवारी ने दर्शक दीर्घा से ही अलग राज्य के गठन को लेकर नारेबाजी कर पर्चे फेंके. इस घटना के बाद संसद की अवमानना को लेकर इन दोनों को ही तीन दिन की सजा सुनाई गई. इसके बाद इन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया. जब यह घटना हुई, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार थी. शिवराज पाटिल तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष थे.

Last Updated : Dec 16, 2023, 1:17 PM IST
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