नई दिल्ली : पूर्वोत्तर में स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए सरकारी धन के उपयोग की स्थिति संतोषजनक नहीं है. इस बारे में गृह मामलों की एक संसदीय समिति (Parliamentary committee) ने पाया है कि भले ही केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लागू करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों को आवश्यक धन जारी कर दिया है. बावजूद इसके असम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में आवंटित राशि का उपयोग संतोषजनक ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा है.
इस बारे में स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लागू करने की वर्तमान स्थिति से अवगत कराते हुए राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा (Rajya Sabha MP Anand Sharma) की अध्यक्षता वाली समिति का विचार है कि धन के कम उपयोग की वजह से इन राज्यों में परियोजना के तहत बुनियादी ढांचे को पूरा करने में देरी हो सकती है. इस कारण इसकी लागत में वृद्धि हो सकती है. इसी क्रम में समिति ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को सुझाव देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा, 'पांच राज्यों को इस योजना के तहत उनके द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने की सलाह दी जा सकती है.'
वहीं समिति ने स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के तहत धन जारी धन के उपयोग के लिए नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के मंत्रालय और राज्य सरकारों के प्रयासों की भी सराहना भी की है.आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश (ईटानगर और पासीघाट) में दो स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए 304.00 करोड़ रुपये जारी किए हैं, लेकिन यहां पर राज्य सरकार द्वारा केवल 162.92 करोड़ का उपयोग किया गया है.इसी प्रकार अरुणाचल प्रदेश में कुल 71 परियोजनाओं में से केवल 11 परियोजनाएं ही पूरी हुई हैं.
वहीं गुवाहाटी स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए असम को जारी कुल 196.00 करोड़ रुपये में से 74.25 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग किया गया है. इसी तरह, केंद्र सरकार द्वारा जारी 196.00 करोड़ रुपये में से केवल 143.86 करोड़ रुपये का उपयोग किया जा सका है. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा मेघालय को जारी की गई कुल 55.00 करोड़ रुपये की राशि में से 26.23 करोड़ रुपये का उपयोग हो सका है. इसी तरह, मिजोरम (आइजोल) को जारी कुल 128.00 करोड़ रुपये की राशि में से अब तक केवल 54.37 करोड़ रुपये का उपयोग किया गया है.
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हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा जारी धन की लगभग पूरी राशि का उपयोग नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे राज्य करने में सक्षम रहे हैं. इसमें नागालैंड को जारी किए गए 196.00 करोड़ रुपये में से राज्य 191.77 करोड़ रुपये कोहिमा में अपनी एकमात्र स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए उपयोग करने में सक्षम रहा. वहीं आंकड़ों के अनुसार, गुवाहाटी स्मार्ट सिटी की कुल 24 परियोजनाओं में से केवल 6 परियोजनाएं ही पूरी हुई हैं. मणिपुर में 45 परियोजनाओं में से केवल 4 ही पूरी हुई हैं. इसी तरह, मेघालय में 37 परियोजनाओं में से केवल 1 ही पूरी हुई है.
मिजोरम ने कुल 106 परियोजनाओं में से 15 परियोजनाओं को पूरा किया जा सका है. जबकि नागालैंड ने कुल 59 परियोजनाओं में से 20 परियोजनाओं पूर्ण हो सकी हैं. वहीं सिक्किम ने कुल 66 परियोजनाओं में से 8 परियोजनाओं को पूरा किया है और त्रिपुरा ने कुल 79 स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में से 46 परियोजनाओं को पूरा किया है. बता दें कि 2015 में लांस किए गए स्मार्ट सिटी मिशन का मुख्य उद्देश्य 'स्मार्ट सॉल्यूशंस' के अनुप्रयोग के माध्यम से नागरिकों को बुनियादी ढांचा, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण और जीवन की एक अच्छी गुणवत्ता प्रदान करना था. इस मिशन का उद्देश्य शहर के सामाजिक, आर्थिक, भौतिक और संस्थागत स्तंभों पर व्यापक कार्य के माध्यम से आर्थिक विकास को गति देने के साथ ही लोगों के जीवन में सुधार करना भी है. स्मार्ट सिटी के रूप में 100 शहरों के विकास के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना शुरू की गई थी. इसमें जनवरी 2016 से जून 2018 तक चार दौर के चयन के माध्यम से 100 स्मार्ट शहरों का चयन पूरा कर लिया गया.
गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा मिशन को पांच वर्षों में औसतन 500 करोड़ रुपये प्रति शहर के हिसाब से 48,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी. साथ ही राज्य और शहरी स्थानीय निकाय द्वारा एक समान राशि का योगदान दिया जाएगा. इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अगरतला, आइजोल, गंगटोक, गुवाहाटी, इंफाल, ईटानगर, कोहिमा, नामची, पासीघाट और शिलांग सहित उत्तर पूर्वी क्षेत्र के 10 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकास के लिए चुना गया है.
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इस साल जनवरी तक, पूर्वोत्तर के इन सभी 10 स्मार्ट शहरों ने 7,302 करोड़ रुपये की 287 परियोजनाओं का टेंडर किया गया.वहीं 5684 करोड़ रुपये की 235 परियोजनाओं में कार्यादेश जारी किया गया है और 1,523 करोड़ रुपये की 111 परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है. दूसरी तरफ संसदीय समिति की सिफारिश है कि इस मिशन के तहत विकास प्रक्रिया के मूल्यांकन और समीक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए और परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए.