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भारत में मानवाधिकार के मामलों पर अमेरिकी विदेश विभाग ने जारी की रिपोर्ट - राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट

अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है. 2020 की मानवाधिकार रिपोर्ट में अत्याचार, क्रूरता, अपमानजनक व्यवहार के मामले, जेल अधिकारियों द्वारा यातना, सरकारी अधिकारियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस पर प्रतिबंध, हिंसा की धमकी या पत्रकारों की अनुचित गिरफ्तारियों का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में सोशल मीडिया टिप्पणी, सेंसरशिप और साइट ब्लॉक करने के लिए आपराधिक परिवाद कानूनों का उपयोग करने के अलावा गैर-सरकारी संगठनों पर अत्यधिक प्रतिबंधात्मक नियम लगाने का भी जिक्र किया गया है.

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Published : Mar 31, 2021, 4:01 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिका के विदेश विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मानवाधिकारों से संबंधित कई अहम मुद्दे हैं. जिनमें गैर कानूनी हत्याएं, अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी, भ्रष्टाचार और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की सहनशीलता शामिल है.

अमेरिकी कांग्रेस को ‘2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रेक्टिसेज’ में विदेश विभाग ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति में सुधार हुआ है. विदेश विभाग रिपोर्ट के भारत खंड में कहता है कि सरकार कुछ सुरक्षा एवं संचार पाबंदियों को हटाकर जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे सामान्य हालात बहाल करने के लिए लगातार कदम उठा रही है. उसने कहा कि सरकार ने ज्यादातर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत से छोड़ दिया है.

मानवाधिकार के मामलों पर चिंता

विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भारत में एक दर्जन से अधिक मानवाधिकारों से जुड़े अहम मुद्दों को सूचीबद्ध किया है. जिनमें पुलिस द्वारा न्यायेत्तर हत्याओं समेत अवैध कत्ल, कुछ पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने, क्रूरता करने, अमानवीयता या अपमानजनक व्यवहार या सजा के मामले, सरकारी अधिकारियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारियां और कुछ राज्यों में राजनीतिक कैदी के मामले प्रमुख हैं. हालांकि भारत अतीत में ऐसी रिपोर्टों को खारिज कर चुका है.

सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत सरकार के सभी स्तरों पर व्यापक भ्रष्टाचार की लगातार सूचनाएं हैं. धार्मिक संबद्धता या सामाजिक स्थिति के आधार पर अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाली हिंसा और भेदभाव, बंधुआ मजदूर सहित बाल श्रम के लिए मजबूर करने की रिपोर्ट भी है. अमेरिकी कांग्रेस को मानवाधिकार प्रथाओं पर 2020 के अपने देश की रिपोर्ट में विभाग ने कहा कि सरकारी कदाचार के लिए जवाबदेही की कमी सरकार के सभी स्तरों पर बनी रही. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत मामलों की जांच और अभियोजन की कार्रवाई हुई लेकिन शिथिल प्रवर्तन, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की कमी और अति उत्साहित व अल्पपोषित अदालत प्रणाली ने कम संख्या में सजा में योगदान दिया है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तत्कालीन गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के आंकड़ों के ऊपरी सदन में प्रस्तुत किया था. जिसमें कहा गया था कि 2018 और जनवरी 2019 के बीच कुल 22 कथित फर्जी मुठभेड़ हुई. अहीर ने कहा था कि इनमें से 17 कथित मुठभेड़ उत्तर प्रदेश राज्य में हुईं. एनकाउंटर डेथ एक शब्द है जिसका उपयोग सुरक्षा या पुलिस बलों और कथित अपराधियों या विद्रोहियों के बीच मुठभेड़ का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप मौत हो जाती है.

यूपी की घटनाओं पर जताई गई चिंता

एनएचआरसी ने 2017-2018 में समान मामलों की रिपोर्ट की थी जिसमें 20 जनवरी तक NHRC ने 14 नकली मुठभेड़ मामलों के लिए 14.5 मिलियन रुपये ($ 203,000) की मौद्रिक क्षतिपूर्ति की सिफारिश की थी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश में 2017 से पुलिस द्वारा कम से कम 59 असाधारण हत्याओं के आरोपों के बारे में चिंता व्यक्त की थी.

यह भी पढ़े-असम की पहचान नहीं हो सकता बदरुद्दीन अजमल: शाह

वहीं अमेरिकी रिपोर्ट में आतंकवादी समूहों द्वारा हत्याओं की कई रिपोर्टों का जिक्र किया गया है. जिसमें 22 मार्च को लश्कर-ए-तैयबा जो कि एक अमेरिकी-नामित आतंकवादी संगठन है, ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में 12 वर्षीय आतिफ मीर की हत्या कर दी थी.

नई दिल्ली : अमेरिका के विदेश विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मानवाधिकारों से संबंधित कई अहम मुद्दे हैं. जिनमें गैर कानूनी हत्याएं, अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी, भ्रष्टाचार और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की सहनशीलता शामिल है.

अमेरिकी कांग्रेस को ‘2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रेक्टिसेज’ में विदेश विभाग ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति में सुधार हुआ है. विदेश विभाग रिपोर्ट के भारत खंड में कहता है कि सरकार कुछ सुरक्षा एवं संचार पाबंदियों को हटाकर जम्मू-कश्मीर में धीरे-धीरे सामान्य हालात बहाल करने के लिए लगातार कदम उठा रही है. उसने कहा कि सरकार ने ज्यादातर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत से छोड़ दिया है.

मानवाधिकार के मामलों पर चिंता

विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भारत में एक दर्जन से अधिक मानवाधिकारों से जुड़े अहम मुद्दों को सूचीबद्ध किया है. जिनमें पुलिस द्वारा न्यायेत्तर हत्याओं समेत अवैध कत्ल, कुछ पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने, क्रूरता करने, अमानवीयता या अपमानजनक व्यवहार या सजा के मामले, सरकारी अधिकारियों द्वारा मनमानी गिरफ्तारियां और कुछ राज्यों में राजनीतिक कैदी के मामले प्रमुख हैं. हालांकि भारत अतीत में ऐसी रिपोर्टों को खारिज कर चुका है.

सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत सरकार के सभी स्तरों पर व्यापक भ्रष्टाचार की लगातार सूचनाएं हैं. धार्मिक संबद्धता या सामाजिक स्थिति के आधार पर अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाली हिंसा और भेदभाव, बंधुआ मजदूर सहित बाल श्रम के लिए मजबूर करने की रिपोर्ट भी है. अमेरिकी कांग्रेस को मानवाधिकार प्रथाओं पर 2020 के अपने देश की रिपोर्ट में विभाग ने कहा कि सरकारी कदाचार के लिए जवाबदेही की कमी सरकार के सभी स्तरों पर बनी रही. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत मामलों की जांच और अभियोजन की कार्रवाई हुई लेकिन शिथिल प्रवर्तन, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की कमी और अति उत्साहित व अल्पपोषित अदालत प्रणाली ने कम संख्या में सजा में योगदान दिया है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तत्कालीन गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के आंकड़ों के ऊपरी सदन में प्रस्तुत किया था. जिसमें कहा गया था कि 2018 और जनवरी 2019 के बीच कुल 22 कथित फर्जी मुठभेड़ हुई. अहीर ने कहा था कि इनमें से 17 कथित मुठभेड़ उत्तर प्रदेश राज्य में हुईं. एनकाउंटर डेथ एक शब्द है जिसका उपयोग सुरक्षा या पुलिस बलों और कथित अपराधियों या विद्रोहियों के बीच मुठभेड़ का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप मौत हो जाती है.

यूपी की घटनाओं पर जताई गई चिंता

एनएचआरसी ने 2017-2018 में समान मामलों की रिपोर्ट की थी जिसमें 20 जनवरी तक NHRC ने 14 नकली मुठभेड़ मामलों के लिए 14.5 मिलियन रुपये ($ 203,000) की मौद्रिक क्षतिपूर्ति की सिफारिश की थी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश में 2017 से पुलिस द्वारा कम से कम 59 असाधारण हत्याओं के आरोपों के बारे में चिंता व्यक्त की थी.

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वहीं अमेरिकी रिपोर्ट में आतंकवादी समूहों द्वारा हत्याओं की कई रिपोर्टों का जिक्र किया गया है. जिसमें 22 मार्च को लश्कर-ए-तैयबा जो कि एक अमेरिकी-नामित आतंकवादी संगठन है, ने जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में 12 वर्षीय आतिफ मीर की हत्या कर दी थी.

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