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मानवाधिकारों का हनन : अमेरिका ने भारत पर बढ़ाई निगरानी

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Published : Apr 12, 2022, 10:25 AM IST

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने पाया है कि भारत में मानवाधिकारों के हनन के मामले में वृद्धि हुई है. ब्लिंकन ने यह बात भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ साझा संवाददाता सम्मेलन में कही....

अमेरिकी एवं भारतीय विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन एवं  एस जयशंकर
अमेरिकी एवं भारतीय विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन एवं एस जयशंकर

वॉशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने पाया है कि भारत में मानवाधिकारों के हनन के मामले में काफी इजाफा हुआ है. अमेरिका के भारत में स्थित अधिकारियों ने अपनी गहन स्टडी में ऐसा पाया है. उन्होंने दोहराया, "हम (अमेरिका) इन साझा मूल्यों (मानवाधिकारों के) पर अपने भारतीय भागीदारों के साथ नियमित रूप से जुड़ते हैं और हम भारत में कुछ हालिया घटनाओं की स्टडी कर रहे हैं जिनमें सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि शामिल है. ब्लिंकन ने सोमवार को अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान ये बातें कहीं.

हालांकि ब्लिंकन ने विस्तार से नहीं बताया. ब्रीफिंग में ब्लिंकन के बाद बोलने वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जयशंकर ने मानवाधिकारों के हनन के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की. ब्लिंकन की यह टिप्पणी अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर द्वारा मानवाधिकारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना करने के लिए अमेरिकी सरकार की कथित अनिच्छा पर सवाल उठाने के कुछ दिनों बाद आई है. राष्ट्रपति जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंधित इल्हान उमर ने पिछले हफ्ते कहा था कि मोदी को भारत की मुस्लिम आबादी के साथ क्या करने की जरूरत है, इससे पहले कि हम उन्हें शांति में भागीदार मानना ​​बंद करना होगा.

भारत के कई राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून पारित कर चुके हैं या उन पर विचार कर रहे हैं, जो स्वतंत्रता के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार को चुनौती देते हैं. 2019 में मोदी सरकार ने एक नागरिकता कानून पारित किया था, जिसको लेकर आलोचकों ने कहा था कि पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को बाहर करके भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कमजोर किया गया है. यह कानून बौद्धों, ईसाइयों, हिंदुओं, जैनियों, पारसियों और सिखों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने के लिए था, जो 2015 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आकर भारत में शरण लिए थे. उसी वर्ष मोदी सरकार ने देश के बाकी हिस्सों के साथ मुस्लिम-बहुल क्षेत्र को पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया. हाल ही में कर्नाटक ने राज्य में कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

यह भी पढ़ें-राजनाथ सिंह ने दिया अमेरिकी रक्षा कंपनियों को भारत में निवेश का निमंत्रण

वॉशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने पाया है कि भारत में मानवाधिकारों के हनन के मामले में काफी इजाफा हुआ है. अमेरिका के भारत में स्थित अधिकारियों ने अपनी गहन स्टडी में ऐसा पाया है. उन्होंने दोहराया, "हम (अमेरिका) इन साझा मूल्यों (मानवाधिकारों के) पर अपने भारतीय भागीदारों के साथ नियमित रूप से जुड़ते हैं और हम भारत में कुछ हालिया घटनाओं की स्टडी कर रहे हैं जिनमें सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के हनन में वृद्धि शामिल है. ब्लिंकन ने सोमवार को अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान ये बातें कहीं.

हालांकि ब्लिंकन ने विस्तार से नहीं बताया. ब्रीफिंग में ब्लिंकन के बाद बोलने वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जयशंकर ने मानवाधिकारों के हनन के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की. ब्लिंकन की यह टिप्पणी अमेरिकी प्रतिनिधि इल्हान उमर द्वारा मानवाधिकारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना करने के लिए अमेरिकी सरकार की कथित अनिच्छा पर सवाल उठाने के कुछ दिनों बाद आई है. राष्ट्रपति जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंधित इल्हान उमर ने पिछले हफ्ते कहा था कि मोदी को भारत की मुस्लिम आबादी के साथ क्या करने की जरूरत है, इससे पहले कि हम उन्हें शांति में भागीदार मानना ​​बंद करना होगा.

भारत के कई राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून पारित कर चुके हैं या उन पर विचार कर रहे हैं, जो स्वतंत्रता के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार को चुनौती देते हैं. 2019 में मोदी सरकार ने एक नागरिकता कानून पारित किया था, जिसको लेकर आलोचकों ने कहा था कि पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को बाहर करके भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान को कमजोर किया गया है. यह कानून बौद्धों, ईसाइयों, हिंदुओं, जैनियों, पारसियों और सिखों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने के लिए था, जो 2015 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आकर भारत में शरण लिए थे. उसी वर्ष मोदी सरकार ने देश के बाकी हिस्सों के साथ मुस्लिम-बहुल क्षेत्र को पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया. हाल ही में कर्नाटक ने राज्य में कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

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