ETV Bharat / bharat

सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए जून 2023 तक पीएचडी अनिवार्य नहीं

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बड़ी राहत दी है. असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए जुलाई 2023 से पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी. तब तक बिना पीएचडी वाले भी असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अप्लाई कर सकेंगे.

author img

By

Published : Oct 12, 2021, 10:46 PM IST

UGC
UGC

नई दिल्ली : देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए जुलाई 2023 से पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी. यह अनिवार्यता 1 जुलाई 2023 से लागू की जाएगी. तब तक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में पीएचडी की अनिवार्यता से राहत प्रदान की गई है.

यूजीसी ने मंगलवार शाम यह अहम निर्णय लिया है. इस संदर्भ में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए पीएचडी डिग्री की अनिवार्यता से 1 वर्ष की छूट प्रदान की गई थी, हालांकि अब निर्णय लिया गया है की है छूट 1 जुलाई 2023 तक जारी रहेगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने बताया कि 1 जुलाई 2023 से विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के पद पर होने वाली सभी नियुक्ति के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी.

मंगलवार को लिए गए इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा शैक्षणिक वर्ष में भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए पीएचडी को अनिवार्य नहीं करेगा. सभी शिक्षण संस्थान इस नियम का पालन करेंगे. इससे पहले कुछ विश्वविद्यालयों ने सहायक प्रोफेसर के पद के लिए पीएचडी अनिवार्य कर दी थी.

छूट केवल 30 जून 2023 तक के लिए
शिक्षा मंत्रालय केंद्रीय के मुताबिक विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए पीएचडी की अनिवार्यता अभी नहीं होगी. ऐसे उम्मीदवार जिनके पास पीएचडी की डिग्री नहीं है वह भी असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन यह यह छूट केवल 30 जून 2023 तक के लिए है.

दरअसल कोरोना संकट के चलते कई छात्र समय पर अपनी पीएचडी थीसिस समय पर जमा नहीं करा सके हैं. इसी के चलते यूजीसी नेट पास कर चुके इन उम्मीदवारों ने फिलहाल पीएचडी की अनिवार्यता से छूट देने की मांग की थी. देशभर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इस समय शिक्षकों के 6,300 से अधिक पद खाली हैं.

बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्व विभिन्न विभागों में होने वाली सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. इन नियुक्तियों के लिए पीएचडी की योग्यता अनिवार्य तौर पर मांगी गई थी.

शिक्षक संगठनों ने की थी छूट की मांग
शिक्षक संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इस मामले में छूट दिए जाने की मांग की थी. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों की नियुक्तियों में पीएचडी क्लॉज से छूट और जो एडहॉक टीचर्स पढ़ा रहे हैं उन्हें तीन साल की छूट दिए जाने की मांग को लेकर यूजीसी चेयरमैन को पत्र भी लिखा गया.

डूटा के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि 'यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए पीएचडी के अनिवार्य खंड को जून 2023 तक दो साल के लिए टाल दिया है. विश्वविद्यालय विभागों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों के लिए यह एक बड़ी राहत है. समय पर हस्तक्षेप और अनुपालन के रूप में डूटा की एक बड़ी जीत है.' डूटा ने पहले 14 अगस्त को यूजीसी के सामने इस मुद्दे को उठाया और फिर 15 सितंबर को यूजीसी के अधिकारियों से मुलाकात की थी.

पढ़ें- शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए नहीं होगा CUCET, UGC ने सभी विश्वविद्यालयों को दिए निर्देश

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए जुलाई 2023 से पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी. यह अनिवार्यता 1 जुलाई 2023 से लागू की जाएगी. तब तक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में पीएचडी की अनिवार्यता से राहत प्रदान की गई है.

यूजीसी ने मंगलवार शाम यह अहम निर्णय लिया है. इस संदर्भ में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक फिलहाल कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए पीएचडी डिग्री की अनिवार्यता से 1 वर्ष की छूट प्रदान की गई थी, हालांकि अब निर्णय लिया गया है की है छूट 1 जुलाई 2023 तक जारी रहेगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने बताया कि 1 जुलाई 2023 से विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के पद पर होने वाली सभी नियुक्ति के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी.

मंगलवार को लिए गए इस निर्णय के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा शैक्षणिक वर्ष में भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए पीएचडी को अनिवार्य नहीं करेगा. सभी शिक्षण संस्थान इस नियम का पालन करेंगे. इससे पहले कुछ विश्वविद्यालयों ने सहायक प्रोफेसर के पद के लिए पीएचडी अनिवार्य कर दी थी.

छूट केवल 30 जून 2023 तक के लिए
शिक्षा मंत्रालय केंद्रीय के मुताबिक विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए पीएचडी की अनिवार्यता अभी नहीं होगी. ऐसे उम्मीदवार जिनके पास पीएचडी की डिग्री नहीं है वह भी असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन यह यह छूट केवल 30 जून 2023 तक के लिए है.

दरअसल कोरोना संकट के चलते कई छात्र समय पर अपनी पीएचडी थीसिस समय पर जमा नहीं करा सके हैं. इसी के चलते यूजीसी नेट पास कर चुके इन उम्मीदवारों ने फिलहाल पीएचडी की अनिवार्यता से छूट देने की मांग की थी. देशभर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इस समय शिक्षकों के 6,300 से अधिक पद खाली हैं.

बीते दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्व विभिन्न विभागों में होने वाली सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. इन नियुक्तियों के लिए पीएचडी की योग्यता अनिवार्य तौर पर मांगी गई थी.

शिक्षक संगठनों ने की थी छूट की मांग
शिक्षक संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इस मामले में छूट दिए जाने की मांग की थी. वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों की नियुक्तियों में पीएचडी क्लॉज से छूट और जो एडहॉक टीचर्स पढ़ा रहे हैं उन्हें तीन साल की छूट दिए जाने की मांग को लेकर यूजीसी चेयरमैन को पत्र भी लिखा गया.

डूटा के अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि 'यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए पीएचडी के अनिवार्य खंड को जून 2023 तक दो साल के लिए टाल दिया है. विश्वविद्यालय विभागों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों के लिए यह एक बड़ी राहत है. समय पर हस्तक्षेप और अनुपालन के रूप में डूटा की एक बड़ी जीत है.' डूटा ने पहले 14 अगस्त को यूजीसी के सामने इस मुद्दे को उठाया और फिर 15 सितंबर को यूजीसी के अधिकारियों से मुलाकात की थी.

पढ़ें- शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए नहीं होगा CUCET, UGC ने सभी विश्वविद्यालयों को दिए निर्देश

(आईएएनएस)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.