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तेलंगाना : महज 12 साल की छात्रा की लिखी किताब प्रकाशित - तेलंगाना 12 साल की लड़की किताब लिखी

तेलंगाना की महज 12 साल की छात्रा इसाबेला ने किताब लिखी है. किताब में उसने आसपास की बस्तियों की स्थिति के साथ ही बच्चों के शिक्षा और स्वस्थ जीवन के अधिकार की वकालत की है.

schoolgirl Isabella
छात्रा इसाबेला
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Published : Apr 27, 2022, 5:17 PM IST

Updated : Apr 27, 2022, 10:46 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना की महज 12 साल की उम्र में स्कूली छात्रा ने किताब लिखकर सभी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. जी हां मेरिडियन स्कूल की कक्षा आठवीं की छात्रा इसाबेला ने 'प्रिंसेस चिन्नी गोज टू स्कूल' किताब लिखी है. इसको लेकर इसाबेला की हर कोई प्रशंसा कर रहा है.

हालांकि इसाबेला के पुस्तकालय में जाने से पुस्तक पढ़ने के साथ ही पुस्तकालयों से किताबें घर लाकर पढ़ने की रुचि विकसित हुई. बाद में उसकी रुचि लेखन में भी हो गई. इसके साथ ही उसने सात साल की उम्र में खाद बनाने पर एक कविता लिखी थी. वहीं उसके द्वारा लिखी गई कहानी सागर ब्लू नाम से प्रकाशित कहानियाों के संग्रह में छपी थी. यह किताब दो साल पहले बाजार में उपलब्ध हो गई थी.

इसाबेला के पिता दीपेश दीपू इकफई विश्वविद्यालय में प्रबंधन सलाहकार हैं और उनकी मां सुप्रिया एक्यूपंक्चर चिकित्सक हैं. वहीं इस संबंध में इसाबेला ने बताया कि मेरी किताब हमारे आस-पास हुई घटनाओं पर आधारित है. उसने बताया कि जब मैं अपनी मां के साथ कॉलोनियों में गई तो मैंने वहां की स्थिति का शब्दों के रूप में किताब में उसका वर्णन किया. उसने कहा कि कड़ी मेहनत के बल पर किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता है. इसाबेला ने बताया कि किताब उसने 9 साल की उम्र में लिखी थी. लेकिन प्रकाशकों के नहीं मिलने की वजह से किताब के छपने में ही करीब तीन साल लग गए.

ये भी पढ़ें - 10 साल के सिरीश ने जलवायु परिवर्तन पर लिखी किताब

इसाबेला ने किताब में लोगों के जीवन के तरीके और बच्चों की स्थिति जानने के लिए शहर की दो बस्तियों में वहां के लोगों के जीवन को देखने के बाद वहां के बच्चों के शिक्षा और स्वस्थ जीवन के अधिकार की वकालत की है. इसाबेला ने अपनी किताब में नैतिक और सामाजिक मूल्यों के अलावा पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता, सतत विकास और प्रौद्योगिकी पर भी प्रकाश डाला है.

हैदराबाद : तेलंगाना की महज 12 साल की उम्र में स्कूली छात्रा ने किताब लिखकर सभी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. जी हां मेरिडियन स्कूल की कक्षा आठवीं की छात्रा इसाबेला ने 'प्रिंसेस चिन्नी गोज टू स्कूल' किताब लिखी है. इसको लेकर इसाबेला की हर कोई प्रशंसा कर रहा है.

हालांकि इसाबेला के पुस्तकालय में जाने से पुस्तक पढ़ने के साथ ही पुस्तकालयों से किताबें घर लाकर पढ़ने की रुचि विकसित हुई. बाद में उसकी रुचि लेखन में भी हो गई. इसके साथ ही उसने सात साल की उम्र में खाद बनाने पर एक कविता लिखी थी. वहीं उसके द्वारा लिखी गई कहानी सागर ब्लू नाम से प्रकाशित कहानियाों के संग्रह में छपी थी. यह किताब दो साल पहले बाजार में उपलब्ध हो गई थी.

इसाबेला के पिता दीपेश दीपू इकफई विश्वविद्यालय में प्रबंधन सलाहकार हैं और उनकी मां सुप्रिया एक्यूपंक्चर चिकित्सक हैं. वहीं इस संबंध में इसाबेला ने बताया कि मेरी किताब हमारे आस-पास हुई घटनाओं पर आधारित है. उसने बताया कि जब मैं अपनी मां के साथ कॉलोनियों में गई तो मैंने वहां की स्थिति का शब्दों के रूप में किताब में उसका वर्णन किया. उसने कहा कि कड़ी मेहनत के बल पर किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता है. इसाबेला ने बताया कि किताब उसने 9 साल की उम्र में लिखी थी. लेकिन प्रकाशकों के नहीं मिलने की वजह से किताब के छपने में ही करीब तीन साल लग गए.

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इसाबेला ने किताब में लोगों के जीवन के तरीके और बच्चों की स्थिति जानने के लिए शहर की दो बस्तियों में वहां के लोगों के जीवन को देखने के बाद वहां के बच्चों के शिक्षा और स्वस्थ जीवन के अधिकार की वकालत की है. इसाबेला ने अपनी किताब में नैतिक और सामाजिक मूल्यों के अलावा पर्यावरण संरक्षण, लैंगिक समानता, सतत विकास और प्रौद्योगिकी पर भी प्रकाश डाला है.

Last Updated : Apr 27, 2022, 10:46 PM IST
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