तेजपुर(असम): भारतीय सेना के स्ट्राइकिंग लायन-डिवीजन, त्रिशक्ति कोर के सैनिकों ने उत्तरी सिक्किम में 17500 फीट की ऊंचाई पर युद्ध अभ्यास किया. इस दौरान आधुनिक हथियारों के प्रयोग और इसमें तकनीकी के इस्तेमाल पर जोर दिया गया. प्रौद्योगिकी के बढ़ने से हथियारों की मारक क्षमता बढ़ी है. उत्तर सिक्किम के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी युद्ध परिदृश्य बदला है.
सेना अधिकारी ने कहा कि 17,000 फीट से 22,000 फीट की ऊंचाई पर शून्य से नीचे के तापमान और ऑक्सीजन की कमी के बावजूद, भविष्य की लड़ाई अत्यधिक तेज और डिजीटल वातावरण में होने की संभावना है. इसलिए यह इन्फैंट्री, आर्मर, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, आर्टिलरी, एविएशन, इंजीनियर्स और लॉजिस्टिक सपोर्ट एलिमेंट्स को शामिल करने के लिए जमीनी बलों के सभी तत्वों के एकीकृत और समन्वित प्रयोग पर बल देता है.
उन्होंने कहा कि, रिमोटली पायलटेड व्हीकल्स (RPVs), ऑल टेरेन व्हीकल (ATVs), क्विक रिएक्शन फायर व्हीकल (QRFVs), इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल (IPMV) और कई अन्य हथियार प्रणालियों और नई पीढ़ी के उपकरणों को इसमें शामिल किया गया है. उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध लड़ने के लिए भारतीय सेना की मौजूदा क्षमताओं में नए आयाम जुड़े हैं.
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भाग लेने वाली इकाइयों ने अभ्यास के दौरान सटीकता के साथ कठिन और तेजी से हिट करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया. लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार आइच, एवीएसएम, जनरल ऑफिसर कमांडिंग त्रिशक्ति कोर ने अभ्यास के परिणामों पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध में परिचालन और सामरिक स्तर पर उपलब्ध सभी हथियारों और सेवाओं के एकीकृत और समन्वित अनुप्रयोग की आवश्यकता होती है, जो इसका मुख्य उद्देश्य था.