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बलौदाबाजार में बारिश के बाद सिद्धखोल जलप्रपात का नजारा हुआ और खूबसूरत, लगी पर्यटकों की भीड़ - सिद्धखोल जलप्रपात

बलौदाबाजार जिले का सिद्धखोल जलप्रपात (siddkhol waterfall) बारिश के कारण पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है. दूर-दूर से पर्यटक इस वॉटरफॉल को देखने पहुंच रहे हैं. यहां आने पर वॉटरफॉल के साथ ही सिद्धबाबा का मंदिर और वॉच टावर देखने लायक जगह है. अगर आप भी यहां आने का प्लान कर रहे हैं तो पढ़ें ये खबर.

waterfall in chhattisgarh
बलौदाबाजार में जलप्रपात
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Published : Jun 29, 2021, 3:22 AM IST

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ तो वैसे काफी खूबसूरत हैं. लेकिन बारिश के दिनों में इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है. हरी-भरी वादियां, लबालब भरी नदियां, जलप्रपात देखते ही बनते हैं. प्रदेश में कई जलप्रपात हैं. जिनमें से चित्रकोट, तीरथगढ़, जतमई, घटारानी, चित्रधारा, तामर घूमर, मलांजकुडुम जलप्रपात, चर्रे-मर्रे जलप्रपात, केंदई झरना है. इन्हीं झरनों के साथ बलौदाबाजार जिले में भी खूबसूरत सिद्धखोल जलप्रपात है. जो बारिश होते ही अपने शबाब पर रहता है. इसकी इसी खूबसूरती के कारण बारिश के दिनों में दूर-दूर से पर्यटक इसका नजारा देखने पहुंचते हैं. हर साल की तरह इस साल भी लोग सिद्धखोल जलप्रपात का खूबसूरत नजारा देखने पहुंच रहे हैं.

पर्यटकों से गुलजार हुआ सिद्धखोल जलप्रपात

90 फीट की ऊंचाई से बहता है झरना

बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर जंगल के बीच सिद्धखोल का झरना इन दिनों लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है. करीब 90 फीट की ऊंचाई से ये खूबसूरत झरना बहता है. मानसून के बाद से ही सिद्धखोल झरना देखने पर्यटकों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है. जो नवंबर तक बनी रहती है. परिवार के साथ लोग यहां आकर अपना अच्छा समय बिताते हैं. पिकनिक मनाने के लिए भी आसपास के लोग यहां पहुंचते हैं.

सिद्धबाबा के नाम पर इस झरने का नाम पड़ा सिद्धखोल

सिद्धखोल जलप्रपात अपने आप में एक प्रसिद्ध जलप्रपात है. इस जगह पर सिद्धबाबा का एक मंदिर है. जिनके नाम पर ही इस जगह को सिद्धखोल कहा जाता है. यहां आने पर वॉटरफॉल, बाबा का मंदिर, वॉच टावर देखने लायक है. बारिश के दौरान यहां पर रहने के लिए शेड की भी व्यवस्था है.

वन विभाग पर है सुरक्षा की जिम्मेदारी

बड़ी संख्या में जलप्रपात को देखने वालों की भीड़ लगने के बाद वन विभाग पिछले 3 सालों से इस जगह को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा है. ये जलप्रपात सोनाखान वनक्षेत्र के अंदर आता है. सुरक्षा की दृष्टि से इस जगह पर पहुंचने से पहले एक नाका लगा हुआ है. जलप्रपात देखने आने वालों की सुरक्षा के लिए घाटी के चारों तरह लोहे की फेंसिंग लगाई गई है. यहां सबसे ज्यादा बारिश के मौसम में पर्यटक पहुंचते है. कभी-कभी तेज बारिश भी हो जाती है. जिससे बचने के लिए शेड्स और चबूतरे का निर्माण भी किया गया है.

हर रोज पहुंचते हैं 200 से 300 सौ पर्यटक

नाका प्रभारी अरुण कुमार ध्रुव ने बताया कि हर रोज सिद्धखोल जलप्रपात को देखने 200 से 300 पर्यटक पहुंचते हैं. गाड़ियों की संख्या की बात करें तो 100 गाड़ियां हर रोज पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि यहां बैरिकेट्स लगाए गए हैं. जहां आने वालों का नाम, पता पूरा लिखा जाता है. इसके बाद ही उन्हें इंट्री मिलती है. वॉटरफॉल के साथ ही यहां मंदिर, वॉच टावर है. इसके साथ ही बारिश होने पर लोगों को रुकने के लिए शेड की भी व्यवस्था की गई है.

यहां आने वाले स्थानीय पर्यटक संतोष कुमार वर्मा बताते हैं कि वह बलौदाबाजार के ही रहने वाले हैं, वे हर साल बारिश के दिनों में आते रहते हैं. सिद्धखोल जलप्रपात यहां का लोकल पर्यटन स्थल है. जहां सभी अपने परिवार के साथ इसका आनंद लेने पहुंचते हैं.

'ससुराल आए थे तो देखने पहुंचे'

पिथौरा से आने वाले मनोज कुमार निषाद बताते हैं कि, वे यहां अपने परिवार के साथ पहली बार घूमने आए हैं. यहां आने के बाद उन्हें काफी अच्छा लगा. उन्होंने बताया कि सिद्धखोल जलप्रपात के बारे में उन्होंने काफी सुना था. जिसके बाद वे इस वॉटरफॉल को देखने पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन को इसे और ज्यादा विकसित करना चाहिए.

'सिद्धखोल के बारे में काफी सुना था'

रायपुर से सिद्धखोल वॉटरफॉल देखने पहुंचे उमेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस टूरिस्ट प्लेस के बारे में उन्होंने काफी सुना था. जिसके बाद परिवार के साथ उन्होंने बलौदाबाजर आने का मन बनाया. वे कहते हैं कि बारिश बढ़ने के बाद यहां का नजारा और खूबसूरत लगेगा.

पर्यटकों के लिए जानकारी

पर्यटकों के घूमने और भ्रमण के लिए सिद्धखोल जल प्रपात की समय सीमा तय है. हर रोज यह सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खोला जाता है. यहां आने के बाद गाड़ियों की जांच और अपने और परिवार की नाम की इंट्री करना जरूरी है. स्वच्छता का यहां खास ख्याल रखा जाता है. प्लास्टिक और मादक पदार्थों पर बैन है.

आज भी इस जगह में घूमते दिखते है जंगली जानवर

सिद्धखोल एक छोटी घाटी है. जहां ऊपर झरना है. कहा ये भी जाता है कि झरने के नीचे एक शेर की गुफा है. जिसमें पहले कभी शेर भी हुआ करते थे. लेकिन अब लगातार लोगों के आने से अब कोई शेर नहीं है. यह भी माना जाता है कि जंगली जानवरों को ये जगह बहुत पसंद थी. सैकड़ों हिरण यहां चारा खाने पहुंचते थे.

जिले का सबसे अच्छा पिकनिक स्पॉट माना जाता है सिद्धखोल

सिद्धखोल जिले का एकमात्र ऐसा पर्यटन स्थल है. जहां पूरे साल लोगों का आना-जाना लगा रहता है. इस जगह सबसे ज्यादा लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते है. प्रकृति की गोद में बसा यह अद्भुत और सुंदर जगह लोगों को खूब पंसद आता है.

बलौदाबाजार: छत्तीसगढ़ तो वैसे काफी खूबसूरत हैं. लेकिन बारिश के दिनों में इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है. हरी-भरी वादियां, लबालब भरी नदियां, जलप्रपात देखते ही बनते हैं. प्रदेश में कई जलप्रपात हैं. जिनमें से चित्रकोट, तीरथगढ़, जतमई, घटारानी, चित्रधारा, तामर घूमर, मलांजकुडुम जलप्रपात, चर्रे-मर्रे जलप्रपात, केंदई झरना है. इन्हीं झरनों के साथ बलौदाबाजार जिले में भी खूबसूरत सिद्धखोल जलप्रपात है. जो बारिश होते ही अपने शबाब पर रहता है. इसकी इसी खूबसूरती के कारण बारिश के दिनों में दूर-दूर से पर्यटक इसका नजारा देखने पहुंचते हैं. हर साल की तरह इस साल भी लोग सिद्धखोल जलप्रपात का खूबसूरत नजारा देखने पहुंच रहे हैं.

पर्यटकों से गुलजार हुआ सिद्धखोल जलप्रपात

90 फीट की ऊंचाई से बहता है झरना

बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर जंगल के बीच सिद्धखोल का झरना इन दिनों लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है. करीब 90 फीट की ऊंचाई से ये खूबसूरत झरना बहता है. मानसून के बाद से ही सिद्धखोल झरना देखने पर्यटकों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है. जो नवंबर तक बनी रहती है. परिवार के साथ लोग यहां आकर अपना अच्छा समय बिताते हैं. पिकनिक मनाने के लिए भी आसपास के लोग यहां पहुंचते हैं.

सिद्धबाबा के नाम पर इस झरने का नाम पड़ा सिद्धखोल

सिद्धखोल जलप्रपात अपने आप में एक प्रसिद्ध जलप्रपात है. इस जगह पर सिद्धबाबा का एक मंदिर है. जिनके नाम पर ही इस जगह को सिद्धखोल कहा जाता है. यहां आने पर वॉटरफॉल, बाबा का मंदिर, वॉच टावर देखने लायक है. बारिश के दौरान यहां पर रहने के लिए शेड की भी व्यवस्था है.

वन विभाग पर है सुरक्षा की जिम्मेदारी

बड़ी संख्या में जलप्रपात को देखने वालों की भीड़ लगने के बाद वन विभाग पिछले 3 सालों से इस जगह को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा है. ये जलप्रपात सोनाखान वनक्षेत्र के अंदर आता है. सुरक्षा की दृष्टि से इस जगह पर पहुंचने से पहले एक नाका लगा हुआ है. जलप्रपात देखने आने वालों की सुरक्षा के लिए घाटी के चारों तरह लोहे की फेंसिंग लगाई गई है. यहां सबसे ज्यादा बारिश के मौसम में पर्यटक पहुंचते है. कभी-कभी तेज बारिश भी हो जाती है. जिससे बचने के लिए शेड्स और चबूतरे का निर्माण भी किया गया है.

हर रोज पहुंचते हैं 200 से 300 सौ पर्यटक

नाका प्रभारी अरुण कुमार ध्रुव ने बताया कि हर रोज सिद्धखोल जलप्रपात को देखने 200 से 300 पर्यटक पहुंचते हैं. गाड़ियों की संख्या की बात करें तो 100 गाड़ियां हर रोज पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि यहां बैरिकेट्स लगाए गए हैं. जहां आने वालों का नाम, पता पूरा लिखा जाता है. इसके बाद ही उन्हें इंट्री मिलती है. वॉटरफॉल के साथ ही यहां मंदिर, वॉच टावर है. इसके साथ ही बारिश होने पर लोगों को रुकने के लिए शेड की भी व्यवस्था की गई है.

यहां आने वाले स्थानीय पर्यटक संतोष कुमार वर्मा बताते हैं कि वह बलौदाबाजार के ही रहने वाले हैं, वे हर साल बारिश के दिनों में आते रहते हैं. सिद्धखोल जलप्रपात यहां का लोकल पर्यटन स्थल है. जहां सभी अपने परिवार के साथ इसका आनंद लेने पहुंचते हैं.

'ससुराल आए थे तो देखने पहुंचे'

पिथौरा से आने वाले मनोज कुमार निषाद बताते हैं कि, वे यहां अपने परिवार के साथ पहली बार घूमने आए हैं. यहां आने के बाद उन्हें काफी अच्छा लगा. उन्होंने बताया कि सिद्धखोल जलप्रपात के बारे में उन्होंने काफी सुना था. जिसके बाद वे इस वॉटरफॉल को देखने पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन को इसे और ज्यादा विकसित करना चाहिए.

'सिद्धखोल के बारे में काफी सुना था'

रायपुर से सिद्धखोल वॉटरफॉल देखने पहुंचे उमेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस टूरिस्ट प्लेस के बारे में उन्होंने काफी सुना था. जिसके बाद परिवार के साथ उन्होंने बलौदाबाजर आने का मन बनाया. वे कहते हैं कि बारिश बढ़ने के बाद यहां का नजारा और खूबसूरत लगेगा.

पर्यटकों के लिए जानकारी

पर्यटकों के घूमने और भ्रमण के लिए सिद्धखोल जल प्रपात की समय सीमा तय है. हर रोज यह सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खोला जाता है. यहां आने के बाद गाड़ियों की जांच और अपने और परिवार की नाम की इंट्री करना जरूरी है. स्वच्छता का यहां खास ख्याल रखा जाता है. प्लास्टिक और मादक पदार्थों पर बैन है.

आज भी इस जगह में घूमते दिखते है जंगली जानवर

सिद्धखोल एक छोटी घाटी है. जहां ऊपर झरना है. कहा ये भी जाता है कि झरने के नीचे एक शेर की गुफा है. जिसमें पहले कभी शेर भी हुआ करते थे. लेकिन अब लगातार लोगों के आने से अब कोई शेर नहीं है. यह भी माना जाता है कि जंगली जानवरों को ये जगह बहुत पसंद थी. सैकड़ों हिरण यहां चारा खाने पहुंचते थे.

जिले का सबसे अच्छा पिकनिक स्पॉट माना जाता है सिद्धखोल

सिद्धखोल जिले का एकमात्र ऐसा पर्यटन स्थल है. जहां पूरे साल लोगों का आना-जाना लगा रहता है. इस जगह सबसे ज्यादा लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते है. प्रकृति की गोद में बसा यह अद्भुत और सुंदर जगह लोगों को खूब पंसद आता है.

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