कोयंबटूर : यहां एक कॉलेज के छात्रों को समूह में झगड़ा करने के लिए असामान्य सजा दी गई. यह सजा देने वाले प्रोफेसर या व्याख्याता नहीं थे, बल्कि पुलिस थी. कानून व्यवस्था का पालन कराने वाली पुलिस ने छात्रों को प्रख्यात तमिल संत-कवि तिरुवल्लुवर (poet Thiruvalluvar) के दोहे लिखने के लिए कहा.
घटना रविवार की है. मदुक्कराय (Madukkarai) में भगवान अयप्पा (Ayyappa) के वार्षिक उत्सव में हाथियों का जुलूस निकाला जा रहा था. इसी दौरान युवाओं में बहस हुई जो जल्द ही हाथापाई में बदल गई. मामला बढ़ता देख कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस झगड़ रहे 10 युवकों को थाने लाई. पूछताछ में पता चला कि सभी छात्र हैं.
पुलिस ने छात्रों के भविष्य का ख्याल रखते हुए केस तो दर्ज नहीं किया, लेकिन ऐसा सबक सिखाया कि वह जीवनभर याद रखेंगे. उन्होंने युवाओं को कुल 1,330 'कुराल' (छंद-दोहे) में से कम से कम 50 लिखने के लिए कहा. ये जाहिर तौर पर उनके लिए शारीरिक दंड से भी बद्तर था.
छात्र मुश्किल से 10 या 12 दोहे लिख पाए. पुलिस ने उनकी हालत पर तरस दिखाया. उनके माता-पिता को पुलिस स्टेशन बुलाकर बच्चों को अनुशासित रखने की हिदायत देते हुए छोड़ दिया.
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गौरतलब है कि आमतौर पर वल्लुवर के नाम से जाने जाने वाले तिरुवल्लुवर प्रसिद्ध तमिल कवि और दार्शनिक थे. उन्हें नैतिकता, राजनीतिक और आर्थिक मामलों और प्रेम पर दोहे के संग्रह तिरुक्कुण के लेखक के रूप में जाना जाता है.
(पीटीआई)