नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग की तरफ से मतगणना कक्ष में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों अथवा उनके एजेंट के लिए उनके पास कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट होने को अनिवार्य किया गया है. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस ने इस बात पर हैरानी जताई कि निर्वाचन अधिकारियों और केंद्रीय सशस्त्र बलों के लिए यह व्यवस्था लागू नहीं की गई.
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी ने चुनाव आयोग को दिए एक पत्र में यह भी कहा कि इस फैसले से उन हजारों केंद्रीय बलों का जीवन और स्वास्थ्य में खतरे में आएगा जो, मतगणना कक्षों के बाहर तैनात होंगे.
निर्वाचन आयोग की तरफ से मतगणना वाले दिन के लिए बुधवार को जारी नए दिशा-निर्देशों में कहा गया है, किसी भी प्रत्याशी या उनके एजेंटों को कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट दिखाए बिना उन सभागारों में प्रवेश नहीं मिलेगा, जहां मतगणना की जा रही होगी.
कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि की पृष्ठभूमि में बुधवार को जारी इन दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है, प्रत्याशी या उनके एजेंट जिन्हें कोविड-19 टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं वे भी दो मई को मतगणना कक्षों में प्रवेश कर सकते हैं.
आगामी दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है. इसके अलावा लोकसभा और अन्य विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनावों में डाले गए मतों की गिनती भी होगी.
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तृणमूल कांग्रेस ने कहा, मतगणना कक्ष में प्रवेश के लिए चुनाव एजेंट, मतगणना एजेंट और उम्मीदवारों के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट सौंपने को अनिवार्य किया गया है. बहरहाल, यह हैरान करने वाली बात है कि चुनाव अधिकारियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया.
उसने कहा, मतगणना केंद्रों के बाहर 23-24 हजार केंद्रीय पुलिस बल के जवान तैनात होंगे. हैरानी इस बात की है कि इन सुरक्षा बलों के लिए पीपीई किट का इस्तेमाल करने और कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट सौंपने का कोई प्रावधान नहीं है. इससे इनके जीवन और स्वास्थ्य को खतरा पैदा होगा.
तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग केंद्रीय बलों की सुरक्षा को लेकर बेपरवाह है. उसने यह मांग भी की है कि ईवीएम के वोटों की गिनती से पहले मतपत्रों की गिनती पूरी की जाए.