हैदराबाद : आंध्र प्रदेश के तिरुपति में रूया अस्पताल के पास 23 जून को बरामद सॉफ्टवेयर इंजीनियर भुवनेश्वरी के शव के मामले में सीसीटीवी से फुटेज से जानकारी मिलने के बाद उसके पति श्रीकांत रेड्डी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वहीं इससे पहले 22 जून को देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी राजेश गुलाटी को नैनीताल हाई कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. इसमें आरोपी ने लव मैरिज के बाद पत्नी अनुपमा गुलाटी के शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में छुपा दिए थे. खास बात ये है कि दोनों ही हत्याकांड में आरोपी पति सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे.
तिरुपति में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पत्नी की हत्या मामले में आरोपी पति गिरफ्तार
आंध्र प्रदेश के तिरुपति में चित्तूर जिले की रहने वाली महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर भुवनेश्वरी की हत्या मामले में आरोपी पति श्रीकांत रेड्डी गिरफ्तार कर लिया गया है. पत्नी की हत्या के बाद से श्रीकांत फरार था. पुलिस ने उसे नेल्लोर के पास से धरदबोचा.
आंध्र प्रदेश पुलिस ने तिरुपति में महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर की हत्या मामले में आरोपी श्रीकांत रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया है. श्रीकांत को नेल्लोर के पास गिरफ्तार किया गया. पत्नी की हत्या के बाद से श्रीकांत फरार था. पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. पुलिस के मुताबिक, पूछताछ के दौरान आरोपी श्रीकांत हर सवाल का जवाब हंसते हुए देता था.
एक एनजीओ शुरू कर लोगों को ठगने लगा था श्रीकांत
श्रीकांत रेड्डी कडपा जिले में पीपुल अगेंस्ट करप्शन (People Against Corruption) नाम से एक एनजीओ शुरू किया और लोगों को ठगने लगा. लेकिन इस दौरान उसकी आदतें खराब हो गईं. पिछले कुछ दिनों से वह आर्थिक संकट से जूझ रहा था और उसने अपनी पत्नी भुवनेश्वरी से पैसे देने के लिए कहा. उसने उसे पैसे दिए और उसे अवैध आदतें रोकने और नया जीवन शुरू करने का सुझाव दिया.
भुवनेश्वरी का 22 जून की रात पति श्रीकांत रेड्डी से झगड़ा हुआ था और उसने बेटी के साथ घर छोड़ने की चेतावनी दी थी. लेकिन उसी रात श्रीकांत ने तकिये से दबा कर भुवनेश्वरी की हत्या कर दी.
अगले दिन सुबह श्रीकांत लाल सूटकेस खरीद कर लाया और पत्नी के शव को सूटकेस में भरकर ले गया और रूया हॉस्पिटल के पास फेंक दिया. पुलिस को मिले सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, सूटकेस लाने के बाद श्रीकांत करीब तीन घंटे तक घर में रहा. पुलिस के मुताबिक, श्रीकांत रेड्डी ने 23 जून की रात में पत्नी के शव को पेट्रोल से जला दिया.
सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा
श्रीकांत ने हत्या करने के बाद परिवार को बताया कि भुवनेश्वरी की कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी और उसका अंतिम संस्कार अस्पताल प्रबंधन द्वारा किया गया था. लेकिन पुलिस को श्रीकांत पर शक हुआ और जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई तो श्रीकांत रेड्डी की क्रूरता सामने आई.
देहरादून में लव मैरिज के बाद पत्नी अनुपमा गुलाटी के 72 टुकड़े कर दिए थे पति ने
वहीं एक दूसरे मामले में 22 जून को देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के आरोपी राजेश गुलाटी को नैनीताल हाई कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की खंडपीठ में हुई सुनवाई में राज्य सरकार को कोर्ट ने 10 दिन के भीतर अपनी आपत्ति व जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
हत्याकांड से दहल उठा था उत्तराखंड
17 अक्टूबर 2010 को आरोपी राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्मम हत्या कर उसके शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रीजर में छुपा दिए थे. 12 दिसंबर 2010 को अनुपमा की हत्या का खुलासा तब हुआ, जब अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून पहुंचा. भाई द्वारा राजेश से अपनी बहन के बारे में जानकारी ली गई तो राजेश ने अनुपमा की हत्या की बात कुबूली. अनुपमा के भाई ने राजेश के खिलाफ देहरादून कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. राजेश गुलाटी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. उसने अनुपमा के साथ 1999 में लव मैरिज की थी.
मामले में जांच के बाद देहरादून पुलिस ने अनुपमा की हत्या के मामले में उसके पति को दोषी मानते हुए देहरादून जिला न्यायालय में चार्जशीट दायर की. इस दौरान 1 सितंबर 2017 को देहरादून कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अनुपमा के पति राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. साथ ही राजेश गुलाटी पर 15 लाख का अर्थदंड लगाया गया था. कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस 15 लाख में से 70 हजार रुपये सरकारी कोष में जमा होंगे. जबकि बाकी रुपये अनुपमा के बच्चों की देखरेख में खर्च किए जाएंगे.
देहरादून कोर्ट के आदेश को HC में चुनौती
देहरादून की जिला न्यायालय के इस आदेश को राजेश गुलाटी द्वारा 2017 में हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. जिसके बाद से मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. मंगलवार को राजेश गुलाटी द्वारा अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की गई. इस पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश खंडपीठ ने राज्य सरकार को अपनी आपत्ति पेश करने के लिए 10 दिन का समय देते हुए जमानत को नामंजूर कर दिया है. मामले पर सुनवाई अब 10 दिन बाद की जाएगी.