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असम चुनाव में अरबपति राजनीतिक घराने से मैदान में तीन सदस्य

वंशवाद की राजनीति की आलोचना की परवाह किए बिना एक अरबपति राजनीतिक घराने के तीन सदस्य असम विधानसभा चुनाव में बराक घाटी की अलग-अलग सीटों के लिए चुनावी मैदान में हैं.

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Published : Mar 30, 2021, 2:15 PM IST

असम चुनाव
असम चुनाव

सिलचर : वंशवाद की राजनीति की आलोचना की परवाह किए बिना एक अरबपति राजनीतिक घराने के तीन सदस्य असम विधानसभा चुनाव में बराक घाटी की अलग-अलग सीटों के लिए चुनावी मैदान में हैं. लगातार छह बार से विधायक एवं भाजपा का दामन थाम चुके पूर्व कांग्रेस मंत्री गौतम रॉय, उनका बेटा एवं पूर्व विधायक राहुल तथा बहू डेजी क्रमश: कतिगोरा, उधरबोंड और अल्गापुर निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं. डेजी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं.

ये तीन निर्वाचन क्षेत्र कछार और हैलाकांडी जिलों के तहत आते हैं जहां दूसरे चरण में एक अप्रैल को चुनाव होना है. तीनों उम्मीदवारों के शपथपत्रों के अनुसार बराक घाटी के ताकतवर रॉय परिवार की कुल संपत्ति 142.57 करोड़ रुपये की है. गौतम रॉय की पत्नी मंदिरा 2013 के उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर अल्गापुर सीट जीतने के बाद विधायक बनी थीं जबकि उनके पिता संतोष कुमार रॉय 1972-78 तक कतलीचेर्रा से विधायक रहे.

रॉय पार्टी विरोधी गतिविधियों के मामले में कांग्रेस से निलंबित होने के बाद 2019 में भाजपा में शामिल हो गए। भगवा पार्टी ने उन्हें मौजूदा विधायक अमर चंद जैन के स्थान पर कतिगोरा सीट से टिकट दिया है और उनकी कतलीचेर्रा सीट सुब्रत नाथ को दी है, सीट बदले जाने के बारे में पूछने पर रॉय ने कहा यह पार्टी के फैसले के अनुसार हुआ है और मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है. मैं इस बार कतिगोरा से चुनाव जीतने को लेकर 100 फीसदी आश्वस्त हूं.

उनके बेटे राहुल (46) ने 2006 में कांग्रेस के टिकट पर अल्गापुर सीट जीती लेकिन 2011 और 2016 में हार गए। उन्होंने नागरिक (संशोधन) कानून के समर्थन में 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. अल्गापुर सीट अपनी पत्नी डेजी (46) को देते हुए राहुल उधरबोंड से चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों पति और पत्नी इस बार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. अपने बेटे और बहू के बारे में बात करते हुए गौतम रॉय ने कहा वे परिवक्व इंसान हैं. वे अलग रहते हैं और उनके कारोबार अलग हैं. उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला अलग-अलग लिया है. मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना.

यह पूछने पर कि क्या उनके चुनाव लड़ने से उधरबोंड और अल्गापुर में भाजपा को नुकसान पहुंचेगा, इस पर रॉय ने कहा मैं इसमें क्या कर सकता हूं. उनका मेरे साथ कोई राजनीतिक संबंध नहीं है. वे मेरी नहीं सुनते हैं वरना राहुल इससे पहले दो बार चुनाव नहीं हारता. असम की 126 विधानसभा सीटों के लिए इस बार 946 उम्मीदवार मैदान में हैं. राज्य में तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं.

सिलचर : वंशवाद की राजनीति की आलोचना की परवाह किए बिना एक अरबपति राजनीतिक घराने के तीन सदस्य असम विधानसभा चुनाव में बराक घाटी की अलग-अलग सीटों के लिए चुनावी मैदान में हैं. लगातार छह बार से विधायक एवं भाजपा का दामन थाम चुके पूर्व कांग्रेस मंत्री गौतम रॉय, उनका बेटा एवं पूर्व विधायक राहुल तथा बहू डेजी क्रमश: कतिगोरा, उधरबोंड और अल्गापुर निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं. डेजी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं.

ये तीन निर्वाचन क्षेत्र कछार और हैलाकांडी जिलों के तहत आते हैं जहां दूसरे चरण में एक अप्रैल को चुनाव होना है. तीनों उम्मीदवारों के शपथपत्रों के अनुसार बराक घाटी के ताकतवर रॉय परिवार की कुल संपत्ति 142.57 करोड़ रुपये की है. गौतम रॉय की पत्नी मंदिरा 2013 के उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर अल्गापुर सीट जीतने के बाद विधायक बनी थीं जबकि उनके पिता संतोष कुमार रॉय 1972-78 तक कतलीचेर्रा से विधायक रहे.

रॉय पार्टी विरोधी गतिविधियों के मामले में कांग्रेस से निलंबित होने के बाद 2019 में भाजपा में शामिल हो गए। भगवा पार्टी ने उन्हें मौजूदा विधायक अमर चंद जैन के स्थान पर कतिगोरा सीट से टिकट दिया है और उनकी कतलीचेर्रा सीट सुब्रत नाथ को दी है, सीट बदले जाने के बारे में पूछने पर रॉय ने कहा यह पार्टी के फैसले के अनुसार हुआ है और मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है. मैं इस बार कतिगोरा से चुनाव जीतने को लेकर 100 फीसदी आश्वस्त हूं.

उनके बेटे राहुल (46) ने 2006 में कांग्रेस के टिकट पर अल्गापुर सीट जीती लेकिन 2011 और 2016 में हार गए। उन्होंने नागरिक (संशोधन) कानून के समर्थन में 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. अल्गापुर सीट अपनी पत्नी डेजी (46) को देते हुए राहुल उधरबोंड से चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों पति और पत्नी इस बार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. अपने बेटे और बहू के बारे में बात करते हुए गौतम रॉय ने कहा वे परिवक्व इंसान हैं. वे अलग रहते हैं और उनके कारोबार अलग हैं. उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला अलग-अलग लिया है. मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना.

यह पूछने पर कि क्या उनके चुनाव लड़ने से उधरबोंड और अल्गापुर में भाजपा को नुकसान पहुंचेगा, इस पर रॉय ने कहा मैं इसमें क्या कर सकता हूं. उनका मेरे साथ कोई राजनीतिक संबंध नहीं है. वे मेरी नहीं सुनते हैं वरना राहुल इससे पहले दो बार चुनाव नहीं हारता. असम की 126 विधानसभा सीटों के लिए इस बार 946 उम्मीदवार मैदान में हैं. राज्य में तीन चरणों में चुनाव हो रहे हैं.

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