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वो बदकिस्मत क्रिकेटर्स जो भारत के लिए तो खेले लेकिन कभी भारत में नहीं खेल सके - UNLUCKY INDIAN CRICKETERS

Unlucky Indian Cricketers: कुछ भारतीय क्रिकेटरों ने राष्ट्रीय टीम के लिए डेब्यू करने के बावजूद भारत में कभी कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेल सके.

Indian cricket team
भारतीय क्रिकेटर्स (IANS PHOTO)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Oct 13, 2024, 10:35 PM IST

नई दिल्ली: भारत में क्रिकेट के मजबूत घरेलू ढांचे के साथ साथ प्रतिभाओं का एक बड़ा समूह है. भारतीय क्रिकेटर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए घरेलू क्रिकेट में कड़ी मेहनत करते हैं और चयनकर्ता ऐसे खिलाड़ियों को शॉर्टलिस्ट भी करते हैं. उभरते हुए खिलाड़ियों को आमतौर पर बांग्लादेश या जिम्बाब्वे जैसे कमजोर देशों के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए भारतीय टीम में जगह दी जाती है.

लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, उन्हें लंबे समय तक राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका मिलता है और वे विदेशी धरती पर भी सीरीज खेलते हैं. हालांकि, ऐसे कई उदाहरण भी हैं जब किसी क्रिकेटर को घर से बाहर डेब्यू करने का मौका मिला, लेकिन उसे कभी अपने देश में खेलने का मौका नहीं मिल सका. उनमें से कुछ ने विदेशी धरती पर केवल एक अंतरराष्ट्रीय मैच खेला, जबकि अन्य ने कुछ ज्यादा मैच खेले. यहां उन खिलाड़ियों की सूची दी गई है जिन्होंने भारतीय टीम के लिए डेब्यू तो किया, लेकिन उन्हें कभी भारत में खेलने का मौका नहीं मिला.

फैज फजल: फैज प्रथम श्रेणी क्रिकेट में विदर्भ के लिए खेलते थे, जब उन्हें टीम इंडिया में डेब्यू करने का मौका मिला तो उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 2016 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला. वह 30 की उम्र में डेब्यू करने वाले 16 साल में पहले भारतीय खिलाड़ी भी बने. उन्होंने पारी की शुरुआत की और 55 रनों की पारी खेली. हालांकि, इसके बाद उन्होंने अर्धशतक बनाने के बावजूद कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला.

केनिया जयंतीलाल: हैदराबाद रणजी टीम के दिग्गज खिलाड़ियों में से एक माने जाने वाले केनिया वेस्टइंडीज दौरे पर रिजर्व ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर खेले थे. उन्होंने 1971 की सीरीज में टीम के लिए उस वक्त खेला, जब सुनील गावस्कर चोटिल हो गए थे, लेकिन अपने डेब्यू मैच में वे केवल पांच रन ही बना पाए थे. उन्होंने केवल एक बार देश का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन अपने घरेलू करियर में 91 प्रथम श्रेणी मैचों में 4687 रन बनाकर शानदार प्रदर्शन किया.

बाका जिलानी: इस क्रिकेटर ने 1936 में इंग्लैंड दौरे पर भारत के लिए डेब्यू किया, जहां उन्होंने नॉट आउट 4 और 12 रन की पारी खेली. जिलानी 1934-35 में रणजी ट्रॉफी के उद्घाटन संस्करण में पहली हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज भी हैं.

पवन नेगी: बाएं हाथ के स्पिनर ने यूएई के खिलाफ एशिया कप 2016 में भारत के लिए एकमात्र टी20 मैच खेला है. नेगी अपने प्रदर्शन से ज़्यादा प्रभावित करने में विफल रहे और उन्हें फिर कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.

अभिजीत काले: बॉम्बे सर्किट के सबसे होनहार खिलाड़ियों में से एक, अभिजीत काले ने 2003 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे डेब्यू का मौका मिला. भारत के चयनकर्ता किरण मोरे और प्रणब रॉय ने उन पर भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए रिश्वत देने का आरोप भी लगाया. अभिजीत काले ने स्वीकार किया कि उन्होंने चयनकर्ताओं को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन रिश्वत देने के आरोपों को खारिज कर दिया. जिसके बाद क्रिकेटर पर दिसंबर 2003 तक प्रतिबंध लगा दिया गया.

अरविंद आप्टे: पूर्व सलामी बल्लेबाज ने घरेलू सर्किल में मुंबई रणजी टीम का प्रतिनिधित्व किया. अरविंद ने 58 प्रथम श्रेणी मैचों में हिस्सा लिया और 33.51 की औसत से 2782 रन बनाए. उन्होंने 1959 में इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स में डेब्यू किया और सिर्फ 8, 7 रन बनाने में सफल रहे. उन्होंने 1972 तक घरेलू सर्किट में खेलना जारी रखा.

अजीत पई: लंबे कद के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने बॉम्बे क्रिकेट में रैंक हासिल की और 1968-69 के सत्र में रणजी ट्रॉफी में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू किया. उन्होंने 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना एकमात्र टेस्ट खेला और कुछ विकेट भी लिए. खेल छोड़ने के बाद, उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा के लिए एक आर्किटेक्ट के रूप में काम किया.

रमेश सक्सेना: दिल्ली के इस स्पिनर ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया. 11 टेस्ट मैच में टीम का हिस्सा भी रहे. हालांकि, उन्होंने अपना एकमात्र टेस्ट 1967 में लीड्स, हेडिंग्ले में इंग्लैंड के खिलाफ खेला. दाएं हाथ के बल्लेबाज ने इस मैच में केवल 9 और 16 रन बनाए, लेकिन उसके बाद वह भारतीय टीम के लिए नहीं खेले.

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नई दिल्ली: भारत में क्रिकेट के मजबूत घरेलू ढांचे के साथ साथ प्रतिभाओं का एक बड़ा समूह है. भारतीय क्रिकेटर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए घरेलू क्रिकेट में कड़ी मेहनत करते हैं और चयनकर्ता ऐसे खिलाड़ियों को शॉर्टलिस्ट भी करते हैं. उभरते हुए खिलाड़ियों को आमतौर पर बांग्लादेश या जिम्बाब्वे जैसे कमजोर देशों के खिलाफ घरेलू सीरीज के लिए भारतीय टीम में जगह दी जाती है.

लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, उन्हें लंबे समय तक राष्ट्रीय टीम में खेलने का मौका मिलता है और वे विदेशी धरती पर भी सीरीज खेलते हैं. हालांकि, ऐसे कई उदाहरण भी हैं जब किसी क्रिकेटर को घर से बाहर डेब्यू करने का मौका मिला, लेकिन उसे कभी अपने देश में खेलने का मौका नहीं मिल सका. उनमें से कुछ ने विदेशी धरती पर केवल एक अंतरराष्ट्रीय मैच खेला, जबकि अन्य ने कुछ ज्यादा मैच खेले. यहां उन खिलाड़ियों की सूची दी गई है जिन्होंने भारतीय टीम के लिए डेब्यू तो किया, लेकिन उन्हें कभी भारत में खेलने का मौका नहीं मिला.

फैज फजल: फैज प्रथम श्रेणी क्रिकेट में विदर्भ के लिए खेलते थे, जब उन्हें टीम इंडिया में डेब्यू करने का मौका मिला तो उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 2016 में हरारे में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला. वह 30 की उम्र में डेब्यू करने वाले 16 साल में पहले भारतीय खिलाड़ी भी बने. उन्होंने पारी की शुरुआत की और 55 रनों की पारी खेली. हालांकि, इसके बाद उन्होंने अर्धशतक बनाने के बावजूद कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला.

केनिया जयंतीलाल: हैदराबाद रणजी टीम के दिग्गज खिलाड़ियों में से एक माने जाने वाले केनिया वेस्टइंडीज दौरे पर रिजर्व ओपनिंग बल्लेबाज के तौर पर खेले थे. उन्होंने 1971 की सीरीज में टीम के लिए उस वक्त खेला, जब सुनील गावस्कर चोटिल हो गए थे, लेकिन अपने डेब्यू मैच में वे केवल पांच रन ही बना पाए थे. उन्होंने केवल एक बार देश का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन अपने घरेलू करियर में 91 प्रथम श्रेणी मैचों में 4687 रन बनाकर शानदार प्रदर्शन किया.

बाका जिलानी: इस क्रिकेटर ने 1936 में इंग्लैंड दौरे पर भारत के लिए डेब्यू किया, जहां उन्होंने नॉट आउट 4 और 12 रन की पारी खेली. जिलानी 1934-35 में रणजी ट्रॉफी के उद्घाटन संस्करण में पहली हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज भी हैं.

पवन नेगी: बाएं हाथ के स्पिनर ने यूएई के खिलाफ एशिया कप 2016 में भारत के लिए एकमात्र टी20 मैच खेला है. नेगी अपने प्रदर्शन से ज़्यादा प्रभावित करने में विफल रहे और उन्हें फिर कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.

अभिजीत काले: बॉम्बे सर्किट के सबसे होनहार खिलाड़ियों में से एक, अभिजीत काले ने 2003 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ वनडे डेब्यू का मौका मिला. भारत के चयनकर्ता किरण मोरे और प्रणब रॉय ने उन पर भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए रिश्वत देने का आरोप भी लगाया. अभिजीत काले ने स्वीकार किया कि उन्होंने चयनकर्ताओं को प्रभावित करने की कोशिश की, लेकिन रिश्वत देने के आरोपों को खारिज कर दिया. जिसके बाद क्रिकेटर पर दिसंबर 2003 तक प्रतिबंध लगा दिया गया.

अरविंद आप्टे: पूर्व सलामी बल्लेबाज ने घरेलू सर्किल में मुंबई रणजी टीम का प्रतिनिधित्व किया. अरविंद ने 58 प्रथम श्रेणी मैचों में हिस्सा लिया और 33.51 की औसत से 2782 रन बनाए. उन्होंने 1959 में इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स में डेब्यू किया और सिर्फ 8, 7 रन बनाने में सफल रहे. उन्होंने 1972 तक घरेलू सर्किट में खेलना जारी रखा.

अजीत पई: लंबे कद के दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने बॉम्बे क्रिकेट में रैंक हासिल की और 1968-69 के सत्र में रणजी ट्रॉफी में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू किया. उन्होंने 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना एकमात्र टेस्ट खेला और कुछ विकेट भी लिए. खेल छोड़ने के बाद, उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा के लिए एक आर्किटेक्ट के रूप में काम किया.

रमेश सक्सेना: दिल्ली के इस स्पिनर ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया. 11 टेस्ट मैच में टीम का हिस्सा भी रहे. हालांकि, उन्होंने अपना एकमात्र टेस्ट 1967 में लीड्स, हेडिंग्ले में इंग्लैंड के खिलाफ खेला. दाएं हाथ के बल्लेबाज ने इस मैच में केवल 9 और 16 रन बनाए, लेकिन उसके बाद वह भारतीय टीम के लिए नहीं खेले.

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