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2020 : कश्मीर में हर महीने 12 युवाओं ने हथियार उठाए - sanjib kumar barua

जम्मू कश्मीर में हथियार उठाने वाले युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी आई है. 2020 में लगभग 144 युवाओं के अलग-अलग आंतकी संगठनों में शामिल होने की खबर है. हालांकि, इन नई भर्तियों की सेल्फ-लाइफ बहुत कम है, जो लगातार कम हो रही है. वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट....

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Published : Dec 11, 2020, 10:16 PM IST

नई दिल्ली : पिछले साल पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया. उसके बाद इस साल की शुरुआत में कोरोना ने दस्तक दे दी. ऐसे में कई कश्मीरी युवाओं के लिए ये दोनों साल अच्छे नहीं रहे. उनमें से कइयों ने इस दौरान बंदूक का विकल्प चुन लिया. आतंकी संगठन में शामिल हो गए.

2019 के मुकाबले 2020 में आतंकी संगठनों में बढ़ोतरी देखने को मिली. एक अनुमान के मुताबिक इस साल हर महीने औसतन 12 कश्मीरी युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए.

ईटीवी भारत द्वारा सुरक्षा प्रतिष्ठान से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 30 नवंबर, 2020 तक रिकॉर्ड 144 स्थानीय युवाओं ने बंदूक उठाई, जबकि 2019 में यह संख्या 119 थी. दिसंबर 2020 के आंकड़े अभी भी आने बाकी हैं.

2018 में यहा संख्या 191 थी, जो 2017 में घटकर 128 रह गई, 2016 में 88 और 2015 में यह संख्या 66 थी.

इसकी एक वजह राजनीति में स्पेस की कमी को माना जाता है, जिसका इस्तेमाल आंतकियों द्वारा युवाओं को भड़काने के लिए आम तौर पर किया जाता है.

अपेक्षित रूप से दक्षिण कश्मीर का पुलवामा स्थानीय भर्ती का केंद्र बना हुआ है और 35 भर्तियों के साथ सूची में सबसे आगे है, उसके बाद शोपियां 29 और कुलगाम 24 का नंबर आता है.

प्रमुख आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा ने सबसे अधिक भर्तियां की हैं.

नई भर्तियों के दौरान एक बात सामने आई है कि सोशल मीडिया और तकनीक के जानकार होने के बावजूद जब आतंकी संगठनों के ऑपरेशन की बात आती है, तो उनकी तैयारी की खामियां स्पष्ट रूप से नजर आती हैं.

सरकार ने जब पूरी तरह से धन और हथियारों के स्रोतों को बंद करने और घुसपैठ की जांच करने पर ध्यान केंद्रित किया , तो इन युवाओं में से अधिकांश को पहले की तुलना में अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित और बेकार हथियारों से लैस किया गया. हालांकि पहले आतंकवादी संगठन धन और हथियारों से लैस थे.

इस मुद्दे पर एक सूत्र ने बताया कि इन नई भर्तियों की सेल्फ-लाइफ बहुत कम है, जो लगातार कम हो रही है.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : शोपियां जिले में सेना की कार्रवाई, आतंकी ठिकाने ध्वस्त

सूत्र ने कहा कि वर्तमान में एक समूह खुद को दूसरे समूह में बांटे ऐसा कम ही देखने को मिलता है. इसके अलावा वैश्विक रूप से ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से कई नए समूह फ्रंट मोर्चों जैसे नामों के साथ सामने आए हैं, जो निश्चित रूप से अपनी पहचान धर्मनिरपेक्ष संगठन के रुप में पेश करना चाहते हैं.

इस साल 30 नवंबर तक 211 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. 2019 में संबंधित संख्या 153, 2018 में 215 और 2017 में 213 थी.

नई दिल्ली : पिछले साल पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया. उसके बाद इस साल की शुरुआत में कोरोना ने दस्तक दे दी. ऐसे में कई कश्मीरी युवाओं के लिए ये दोनों साल अच्छे नहीं रहे. उनमें से कइयों ने इस दौरान बंदूक का विकल्प चुन लिया. आतंकी संगठन में शामिल हो गए.

2019 के मुकाबले 2020 में आतंकी संगठनों में बढ़ोतरी देखने को मिली. एक अनुमान के मुताबिक इस साल हर महीने औसतन 12 कश्मीरी युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए.

ईटीवी भारत द्वारा सुरक्षा प्रतिष्ठान से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 30 नवंबर, 2020 तक रिकॉर्ड 144 स्थानीय युवाओं ने बंदूक उठाई, जबकि 2019 में यह संख्या 119 थी. दिसंबर 2020 के आंकड़े अभी भी आने बाकी हैं.

2018 में यहा संख्या 191 थी, जो 2017 में घटकर 128 रह गई, 2016 में 88 और 2015 में यह संख्या 66 थी.

इसकी एक वजह राजनीति में स्पेस की कमी को माना जाता है, जिसका इस्तेमाल आंतकियों द्वारा युवाओं को भड़काने के लिए आम तौर पर किया जाता है.

अपेक्षित रूप से दक्षिण कश्मीर का पुलवामा स्थानीय भर्ती का केंद्र बना हुआ है और 35 भर्तियों के साथ सूची में सबसे आगे है, उसके बाद शोपियां 29 और कुलगाम 24 का नंबर आता है.

प्रमुख आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर ए तैयबा ने सबसे अधिक भर्तियां की हैं.

नई भर्तियों के दौरान एक बात सामने आई है कि सोशल मीडिया और तकनीक के जानकार होने के बावजूद जब आतंकी संगठनों के ऑपरेशन की बात आती है, तो उनकी तैयारी की खामियां स्पष्ट रूप से नजर आती हैं.

सरकार ने जब पूरी तरह से धन और हथियारों के स्रोतों को बंद करने और घुसपैठ की जांच करने पर ध्यान केंद्रित किया , तो इन युवाओं में से अधिकांश को पहले की तुलना में अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित और बेकार हथियारों से लैस किया गया. हालांकि पहले आतंकवादी संगठन धन और हथियारों से लैस थे.

इस मुद्दे पर एक सूत्र ने बताया कि इन नई भर्तियों की सेल्फ-लाइफ बहुत कम है, जो लगातार कम हो रही है.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : शोपियां जिले में सेना की कार्रवाई, आतंकी ठिकाने ध्वस्त

सूत्र ने कहा कि वर्तमान में एक समूह खुद को दूसरे समूह में बांटे ऐसा कम ही देखने को मिलता है. इसके अलावा वैश्विक रूप से ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से कई नए समूह फ्रंट मोर्चों जैसे नामों के साथ सामने आए हैं, जो निश्चित रूप से अपनी पहचान धर्मनिरपेक्ष संगठन के रुप में पेश करना चाहते हैं.

इस साल 30 नवंबर तक 211 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. 2019 में संबंधित संख्या 153, 2018 में 215 और 2017 में 213 थी.

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