हैदराबाद : रिटायरमेंट वर्षों तक काम करने के बाद आराम का समय है और फाइनेंशियल प्रेशर नहीं रहने से ही रिटायरमेंट लाइफ में शांति रह सकती है. इसलिए जब आप वर्किंग हों, तभी से रिटायरमेंट की फाइनेंशियल प्लानिंग करना जरूरी है. विश्व बैंक के अनुसार, 2019 में भारतीयों की औसत जीवन प्रत्याशा 69.7 वर्ष है. 1980 के आंकड़ों की तुलना में जीवन प्रत्याशा में लगभग 15 वर्षों की बढ़ोतरी हुई है यानी आम आदमी के पास रिटायरमेंट के बाद लंबा जीवन बचता है. रिटायर्ड लाइफ में आनंद बनाए रखने के लिए फाइनेंशिलय प्लानिंग जरूरी है.
प्लानिंग की शुरू करें (Start with the plan) : सबसे पहले रिटायरमेंट की प्लानिंग करें कि उस उम्र में आपकी जरूरतें क्या हो सकती हैं. प्लानिंग करते समय अपनी वास्तविकता को नहीं भूलें. मसलन आपकी आर्थिक स्थिति अभी कैसी है. अपनी प्लानिंग में समय के हिसाब से बदलाव की गुंजाइश बनाए रखें. ऐसा नहीं है कि आपने एक बार प्लानिंग कर ली तो उसमें चेंज नहीं हो सकता है. बदलती जरूरतों, लाइफस्टाइल, महंगाई और बढ़ती लागत जैसे कई मुद्दे हैं, जिसके कारण आपकी मौजूदा प्लानिंग अगले 10 साल में पूरी तरह बदल सकती है. इसलिए, पहले वास्तविक स्थिति के बारे में सोचें, जिसमें आप अभी हैं और भविष्य में यह कैसा हो सकता है. इसके हिसाब से पैसे की बचत के लिए राशि आवंटित करें. याद रखें रिटायरमेंट की प्लानिंग एक सतत प्रक्रिया है. अगर नौकरी में रहने के दौरान आपने इसे रोक दिया तो रिटायर्ड लाइफ में दिक्कतें बढ़ जाएंगी.
कैसी होगी लाइफस्टाइल ( To adapt to the lifestyle ): आप सेवानिवृत्ति के बाद का जीवन कैसा चाहते हैं? रिटायरमेंट के बाद कैसे घर में रहेंगे खुद के या किराये के? इन सवालों के जवाब आपको नौकरी में रहने के दौरान ही ढूंढने होंगे. जैसे ही आप रिटायरमेंट के करीब पहुंचते हैं तो देखें कि आप अपने आंकलन के लिए क्या-क्या कंप्लीट कर सकते है. घर, भोजन और सामान्य मेडिकल खर्च और जीवन से जुड़े अन्य खर्चों का हिसाब-किताब पहले ही कर लें. फिर जिस हिसाब से आप अपने भविष्य का अनुमान लगाते हैं, उसके हिसाब से इन्वेस्टमेंट शुरू कर दें. अनुमान लगाने के दौरान भविष्य में बढ़ने वाली महंगाई को दरकिनार कतई न करें. अगर आपको लगता है कि आपके पास रिटायर होने के लिए और पांच साल हैं। वर्तमान मासिक खर्च और गणना करें कि पांच साल बाद कितना होगा ? फिर इसके हिसाब से पैसे बचाने और रेवेन्यू जेनरेट करने की कोशिश करें.
सेविंग्स में ग्रोथ ( Growth in savings) : जब आपके महीने भर में होने वाले खर्चों का अनुमान लगाने की बात आती है, तो आपको यह देखना होगा कि आपकी बचत और निवेश उसके अनुरूप हैं या नहीं. इसके लिए आपके रिटायरमेंट होने तक जरूरतों के हिसाब से पैसे जमा हो जाएंगे या नहीं. ज्यादातर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट आदि में निवेश करते हैं. यह निवेश रिटायरमेंट के हिसाब से लंबा चलने वाला नहीं है, क्योंकि जरूरतों के हिसाब से इसमें कमी हो जाती है, उदाहरण के लिए, बच्चों की शिक्षा और हेल्थ इमरजेंसी में अक्सर लोग ऐसे इनवेस्टमेंट का उपयोग करते हैं. इसलिए रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स की रकम को धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए. ऐसे लॉन्ग टर्म स्कीम में निवेश करें, जो भविष्य की महंगाई के दौरान भी रिटायरमेंट लाइफ में पैसे की जरूरत को पूरा करे.
घाटे की भरपाई करना भी जरूरी (To make up the deficit ) : प्लानिंग के बाद अगर आप यह अनुमान लगा लेते हैं कि रिटायरमेंट के बाद आपको हर महीने कितने रुपयों कितनी जरूरत होगी तो अपनी वर्तमान बचत की समीक्षा करें. यह भी देखें कि भविष्य में बचत कितनी बढ़ सकती है. अभी की गई बचत की रकम किस हद तक बाद में मददगार होगी. उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपने अनुमान लगाया कि रिटायरमेंट के बाद हर महीने आपके हर महीने 50,000 रुपये खर्च होंगे. अभी की गई बचत के हिसाब से यह राशि सिर्फ 30 हजार रुपये है यानी आपको 20 हजार रुपये और सेविंग करने की तैयारी करनी होगी. आप तत्काल ऐन्युअल स्कीम (Immediate annuity plans ) जैसे पेंशन प्लान में निवेश कर सकते हैं, क्योंकि इससे आपको रिटायरमेंट के तुरंत बाद पैसे मिलने लगेंगे. इसके अलावा आप डेफर्ड ऐन्युटी प्लान (Deferred annuity) में भी निवेश शुरू कर दें. ऐसे प्लाव को 10 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए चुना जा सकता है. इन पॉलिसी को लेते समय यह सुनिश्चित करें कि आपको आजीवन पेंशन मिलती रहे.आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के हेड ऑफ प्रोडक्ट्स श्रीनिवास बालासुब्रमण्यम कहते हैं, यह मत भूलें कि यह तभी संभव है जब आप आर्थिक रूप से मजबूत हों, इसलिए अपनी सेवानिवृत्ति से पहले सब कुछ योजना बना लें.
पढ़ें : चेक करें आपने सही फाइनेंशियल प्लानिंग की है या कुछ गड़बड़ है?