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केरल गोल्ड स्मगलिंग केस : सुप्रीम कोर्ट में NIA की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सनसनीखेज तस्करी मामले में केरल उच्च न्यायालय द्वारा 12 आरोपियों को दी गई जमानत रद्द करने की मांग करने वाली NIA की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. इस मामले में पांच जुलाई को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर 14.82 करोड़ रुपये मूल्य का सोना जब्त किया गया था. वजन के मुताबिक सोना 24 कैरेट का 30 किलो था.

केरल गोल्ड स्मगलिंग केस
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Published : Jul 13, 2021, 3:37 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 5:16 PM IST

नई दिल्ली : केरल में पिछले साल सीमा शुल्क विभाग ने 30 किलो सोना जब्त किया था. इस मामले में 12 आरोपियों को एनआईए (National Investigation Agency-NIA) ने नामजद किया, जिन्हें बाद में केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) से जमानत मिल गई. अब ताजा घटनाक्रम में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एनआईए की उस अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया है, जिसमें NIA ने 12 आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग की थी.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि केरल उच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न कानूनी प्रश्न की जांच करने के लिए अदालत सहमत है. केरल हाईकोर्ट के फैसले में यह माना गया था कि सोने की तस्करी का अपराध, सरल (simplicitor), सीमा शुल्क अधिनियम के तहत कवर किया गया है और यह आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा.

पढ़ें : केरल गोल्ड स्मगलिंग केस: तीसरी बार बढ़ा सीएम पिनराई विजयन के पूर्व प्रधान सचिव का निलंबन

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि वे (आरोपी) सभी सरकार के कर्मचारी हैं. हम जमानत रद्द करने के पहलू में नहीं जाएंगे. यदि आप चाहें तो हम कानूनी प्रश्न को खुला छोड़ सकते हैं.

इस मामले में एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि जमानत देने के अलावा, उच्च न्यायालय ने तस्करी के संबंध में आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा की व्याख्या की है और इस पहलू पर शीर्ष अदालत को विचार करने की आवश्यकता है.

उन्होंने जब इस मुद्दे पर एक और अपील भी शीर्ष अदालत में लंबित रहने की बात बताई, तब इस पर पीठ ने कहा कि हम एक और एसएलपी (Special Leave Petition-SLP) पर नोटिस क्यों जारी करें, जबकि हम पहले ही इसकी जांच कर रहे हैं.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने तब 12 आरोपियों को नोटिस जारी कर दी, जिन्हें मामले में जमानत दी गई थी, और UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत आतंकवादी अधिनियम (terrorist act) की व्याख्या के संबंध में कानूनी पहलू की जांच करने के लिए सहमत हुई.

बता दें कि सोने की तस्करी में आतंकी कोण की जांच कर रही NIA ने शुरू में सरित, स्वप्ना सुरेश, संदीप नायर और फाजिल फरीद को मामले में आरोपी के रूप में नामित किया था. ये चारों लोग 5 जुलाई को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 30 किलो के 24 कैरेट सोने की जब्ती मामले से जुड़े हुए हैं. जब्त सोने की कीमत 14.82 करोड़ रुपये की बताई गई है.

मामले की जांच के दौरान, NIA ने कम से कम 30 लोगों को गिरफ्तार किया है. NIA के अलावा, सीमा शुल्क और प्रवर्तन निदेशालय (Customs and Enforcement Directorate) भी नवंबर, 2019 से तिरुवनंतपुरम में सोने की तस्करी के मामले की जांच कर रहा है.

वहीं, आरोपियों का आतंकी संगठनों से संबंध को साबित करने के लिए सबूतों की कमी के कारण NIA की एक विशेष अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत दी थी.

इसके बाद NIA ने केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) के समक्ष आरोपियों की जमानत खारिज करने की अपील की, जिसमें उच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को NIA की विशेष अदालत के फैसले को सुरक्षित रखा और जमानत को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केरल में पिछले साल सीमा शुल्क विभाग ने 30 किलो सोना जब्त किया था. इस मामले में 12 आरोपियों को एनआईए (National Investigation Agency-NIA) ने नामजद किया, जिन्हें बाद में केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) से जमानत मिल गई. अब ताजा घटनाक्रम में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एनआईए की उस अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया है, जिसमें NIA ने 12 आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग की थी.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि केरल उच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न कानूनी प्रश्न की जांच करने के लिए अदालत सहमत है. केरल हाईकोर्ट के फैसले में यह माना गया था कि सोने की तस्करी का अपराध, सरल (simplicitor), सीमा शुल्क अधिनियम के तहत कवर किया गया है और यह आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा.

पढ़ें : केरल गोल्ड स्मगलिंग केस: तीसरी बार बढ़ा सीएम पिनराई विजयन के पूर्व प्रधान सचिव का निलंबन

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि वे (आरोपी) सभी सरकार के कर्मचारी हैं. हम जमानत रद्द करने के पहलू में नहीं जाएंगे. यदि आप चाहें तो हम कानूनी प्रश्न को खुला छोड़ सकते हैं.

इस मामले में एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि जमानत देने के अलावा, उच्च न्यायालय ने तस्करी के संबंध में आतंकवादी अधिनियम की परिभाषा की व्याख्या की है और इस पहलू पर शीर्ष अदालत को विचार करने की आवश्यकता है.

उन्होंने जब इस मुद्दे पर एक और अपील भी शीर्ष अदालत में लंबित रहने की बात बताई, तब इस पर पीठ ने कहा कि हम एक और एसएलपी (Special Leave Petition-SLP) पर नोटिस क्यों जारी करें, जबकि हम पहले ही इसकी जांच कर रहे हैं.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने तब 12 आरोपियों को नोटिस जारी कर दी, जिन्हें मामले में जमानत दी गई थी, और UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत आतंकवादी अधिनियम (terrorist act) की व्याख्या के संबंध में कानूनी पहलू की जांच करने के लिए सहमत हुई.

बता दें कि सोने की तस्करी में आतंकी कोण की जांच कर रही NIA ने शुरू में सरित, स्वप्ना सुरेश, संदीप नायर और फाजिल फरीद को मामले में आरोपी के रूप में नामित किया था. ये चारों लोग 5 जुलाई को तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 30 किलो के 24 कैरेट सोने की जब्ती मामले से जुड़े हुए हैं. जब्त सोने की कीमत 14.82 करोड़ रुपये की बताई गई है.

मामले की जांच के दौरान, NIA ने कम से कम 30 लोगों को गिरफ्तार किया है. NIA के अलावा, सीमा शुल्क और प्रवर्तन निदेशालय (Customs and Enforcement Directorate) भी नवंबर, 2019 से तिरुवनंतपुरम में सोने की तस्करी के मामले की जांच कर रहा है.

वहीं, आरोपियों का आतंकी संगठनों से संबंध को साबित करने के लिए सबूतों की कमी के कारण NIA की एक विशेष अदालत ने उन्हें सशर्त जमानत दी थी.

इसके बाद NIA ने केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) के समक्ष आरोपियों की जमानत खारिज करने की अपील की, जिसमें उच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को NIA की विशेष अदालत के फैसले को सुरक्षित रखा और जमानत को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 13, 2021, 5:16 PM IST
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