नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने चारधाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी के लिए गठित उच्चाधिकार समिति को दो सप्ताह के भीतर बैठक करके भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सड़कों को सात मीटर तक चौड़ा करने के लिए रक्षा मंत्रालय के आवेदन सहित विभिन्न आवेदनों पर विचार करने का बुधवार को निर्देश दिया.
सामरिक महत्व की 900 किमी लंबी चारधाम परियोजना का मकसद उत्तराखंड में स्थित चारों पवित्र नगरों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ- में सभी मौसमों के अनुकूल संपर्क सड़कों का निर्माण करना है.
रक्षा मंत्रालय ने शीर्ष अदालत के आठ सितंबर के आदेश में सुधार करने का अनुरोध किया है. न्यायालय ने इस आदेश में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 5.5 मीटर चौड़े राजमार्ग के निर्माण संबंधी परिपत्र का पालन करने के लिए कहा था.
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने सभी अंतरिम आवेदनों पर नोटिस जारी करते हुये इस मामले को जनवरी, 2021 के तीसरे सप्ताह में सूचीबद्ध कर दिया.
रक्षा मंत्रालय ने अपने आवेदन में कहा है कि वह आठ सितंबर के आदेश में सुधार और यह निर्देश चाहता है कि ऋषिकेश से माना, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ के राजमार्ग को दोहरी लेन के रूप में विकसित किया जाए.
मंत्रालय ने कहा है कि पांच सदस्यीय उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा सहित अल्पमत की रिपोर्ट ने थल सेनाध्यक्ष के 20 सितंबर, 2019 के इस बयान को आधार बनाया है कि भागीरथी पारिस्थितिकी संवेदनशील जोन में वर्तमान सड़कें सेना की जरूरतें पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं.
आवेदन में कहा गया है कि इस साल के प्रारंभ से ही हालात काफी बदल गये हैं और ऐसी स्थिति में सैन्य स्टेशनों से भारत-चीन सीमा के ठिकानों पर जवानों और उपकरणों को तेजी से पहुंचाने के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी हो गया है.
आवेदन में यह भी कहा गया है कि यद्यपि सैन्य जरूरतों का सामान्य रूप से उल्लेख किया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से आज यह स्थिति है कि इस समय चीन की सीमा पर संवेदनशील स्थिति की पृष्ठभूमि में राज्य की सुरक्षा ही खतरे में है.
आवेदन में कहा गया है कि इन परिस्थितियों में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के पांच अक्टूबर, 2012 और 23 मार्च, 2018 के परिपत्र देश की सीमाओं पर किसी भी तरह के आक्रामक रवैये का मुकाबला करने लिए तत्परता से सैनिकों, बख्तरबंद गाड़ियों, तोपखाने और टैंकों को ले जाने के लिये जरूरी सड़कों के बारे में नहीं हैं और इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि राज्य के मौजूदा हालात इसमें शामिल थे.
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रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस मूवमेन्ट में सैनिकों और उपकरणों को ले जा रही ट्रकों और दूसरी ओर से सीमा से लौट रहे वाहनों को बगैर इंतजार के उनका आवागमन सुगम बनाने के लिए सड़क का दोहरी लेन होना जरूरी है.
आवेदन में यह भी कहा गया है कि इन सड़कों की क्षमता सेना के वाहनों, तोपखानों और दूसरे भारी उपकरणों का भार सहन करने वाली होनी चाहिए. सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए सात मीटर या 7.5 मीटर चौड़ी दोहरी लेन की सड़कें आवश्यक हैं.
रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि आठ सितबर के आदेश का देश की सुरक्षा और उसके सुरक्षा के हितों पर गंभीर असर पड़ेगा, क्योंकि इसके अंतर्गत सीमा को जोड़ने वाले इलाकों के लिए सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर से ज्यादा नहीं हो सकती है.
आवेदन में कहा गया है कि आठ सितंबर के आदेश के तहत तीन सड़कें-ऋषिकेश से गंगोत्री, ऋषिकेश से माना और टनकपुर से पिथौरागढ़- शामिल हैं, जो चीन के साथ लगी उत्तरी सीमा तक जाती हैं और आपूर्ति वाली सड़कों की तरह काम आती हैं.
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आवेदन में कहा गया है कि तीन राजमार्ग सेना/इंडो तिब्बत सीमा के जोशीमठ, उत्तरकाशी, रुड़की, राइवाला, देहरादून, टनकपुर, पिथौरागढ़ आदि स्थानों पर स्थित केन्द्रों को अंतरराष्ट्रीय सीमा/चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा को जोड़ते हैं.
न्यायालय ने आठ सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि उत्तराखंड के चार पवित्र स्थलों को जोड़ने वाली सभी मौसम के अनुकूल सड़क बनाने संबंधी चारधाम राजमार्ग परियोजना के मामले पर्वतीय क्षेत्र में सड़कों की चौड़ाई के बारे में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के सर्कुलर का पालन करना होगा.
शीर्ष अदालत ने पर्यावरण से जुड़े मसले पर गौर करने के लिये उच्चाधिकार समिति गठित करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश में सुधार करते हुए पिछले साल अगस्त में चारधाम राजमार्ग परियोजना को हरी झंडी दी थी.