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दुर्लभ बीमारियों के लिए धन जुटाने का मामला, जानें हाईकोर्ट ने किसे कहा टॉम, डिक और हैरी - Strong comment of Kerala High Court

केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए लोगों से धन जुटाने पर सरकार का कुछ नियंत्रण होना चाहिए और हर टॉम, डिक तथा हैरी को इस तरह कोष एकत्र करने की अनुमति नहीं नहीं दी जा सकती.

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Published : Jul 9, 2021, 5:17 PM IST

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे इस बात को लेकर चिंता है कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए प्रत्येक टॉम, डिक और हैरी बड़ी संख्या में लोगों से धन एकत्र कर रहे हैं. इसने राज्य सरकार से पूछा कि क्या इस तरह के लेन-देन पर उसका कोई नियंत्रण है?

न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा कि अदालत लोगों से धन जुटाने पर रोक नहीं लगाना चाहती लेकिन यह चाहती है कि धन कुछ निजी व्यक्तियों के खातों में जाने की जगह सरकार के पास जाए. क्योंकि हो सकता है कि निजी व्यक्ति जरूरतमंद लोगों को धन दें या नहीं दें. न्यायाधीश ने एक ऑटोरिक्शा चालक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मैं भीड़ से धन जुटाए जाने पर रोक नहीं लगाना चाहता, लेकिन मैं इस पर सरकार का नियंत्रण चाहता हूं. अदालत ने कहा कि वह मामले में विस्तृत आदेश जारी करेगी.

यह भी पढ़ें-आईटी नियम : केंद्र सरकार को झटका, हाईकोर्ट में जारी रहेगी सुनवाई

ऑटोरिक्शा चालक ने अपनी याचिका में कहा है कि रीढ़ संबंधी एक बीमारी से पीड़ित उसके छह महीने के बेटे के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की जाए क्योंकि बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवा की कीमत 18 करोड़ रुपये है. उसके पास इतना धन जुटाने का कोई साधन नहीं है.

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे इस बात को लेकर चिंता है कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए प्रत्येक टॉम, डिक और हैरी बड़ी संख्या में लोगों से धन एकत्र कर रहे हैं. इसने राज्य सरकार से पूछा कि क्या इस तरह के लेन-देन पर उसका कोई नियंत्रण है?

न्यायमूर्ति पीबी सुरेश कुमार ने कहा कि अदालत लोगों से धन जुटाने पर रोक नहीं लगाना चाहती लेकिन यह चाहती है कि धन कुछ निजी व्यक्तियों के खातों में जाने की जगह सरकार के पास जाए. क्योंकि हो सकता है कि निजी व्यक्ति जरूरतमंद लोगों को धन दें या नहीं दें. न्यायाधीश ने एक ऑटोरिक्शा चालक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मैं भीड़ से धन जुटाए जाने पर रोक नहीं लगाना चाहता, लेकिन मैं इस पर सरकार का नियंत्रण चाहता हूं. अदालत ने कहा कि वह मामले में विस्तृत आदेश जारी करेगी.

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ऑटोरिक्शा चालक ने अपनी याचिका में कहा है कि रीढ़ संबंधी एक बीमारी से पीड़ित उसके छह महीने के बेटे के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की जाए क्योंकि बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवा की कीमत 18 करोड़ रुपये है. उसके पास इतना धन जुटाने का कोई साधन नहीं है.

(पीटीआई-भाषा)

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