ETV Bharat / bharat

MP Election 2023: जिस विंध्य क्षेत्र में मोदी और शाह कर चुके हैं दौरा, क्या यहां अब नई पार्टी VJP बिगाड़ेगी BJP का खेल...

author img

By

Published : Jul 16, 2023, 10:00 AM IST

MP Assembly Election 2023: एमपी के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की नई पार्टी विंध्य जनता पार्टी (VJP) की घोषणा के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है कि कहीं आदिवासी सीटों पर मजबूत रणनीति तैयार करने वाली भाजपा, मोदी के दौरे के भरोसे 2023 की नैया पार लगा पाएगी या फिर विंध्य जनता पार्टी, आदिवासी सीटों पर बीजेपी का खेल बिगाड़ देगी.

Etv Bharat
Etv Bharat

शहडोल। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एमपी में सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, बीजेपी हो या कांग्रेस बड़े-बड़े नेताओं के दौरे भी होने शुरू हो चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तो काफी पहले ही अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार मध्यप्रदेश का दौरा कर चुके हैं और अमित शाह तो कभी भी मध्यप्रदेश के दौरे पर अचानक जाते हैं. इस बार भारतीय जनता पार्टी का फोकस विंध्य क्षेत्र में बहुत ज्यादा है, बड़े नेताओं के दौरे से इसका अंदाजा भी लगा सकते हैं और अब मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की नई पार्टी विंध्य जनता पार्टी की घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गई हैं. चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं कहीं विंध्य जनता पार्टी आदिवासी सीटों पर बीजेपी का खेल न खराब कर दे.

MP Assembly Election 2023
विंध्य जनता पार्टी न बिगाड़ दे भाजपा का खेल

मोदी-शाह की चुनावी रणनीति में विंध्य खास: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही विंध्य क्षेत्र में राजनीति गरमा चुकी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों के दौरे के बाद से ही यहां राजनीति गर्म है. इसकी वजह है, जब पिछले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी तो, विंध्य क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा बढ़त मिली थी. इस क्षेत्र में एक खास बात और है कि शहडोल संभाग आदिवासी बहुल इलाका है, यहां कई आदिवासी सीट हैं, विंध्य क्षेत्र में फोकस करना मतलब कई वर्ग को एक साथ साधना और वैसे भी यह माना जा रहा है कि इस बार मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत की कुंजी आदिवासियों के बीच से ही निकलकर आ रही है, इसीलिए सभी पार्टियां आदिवासियों को साधने में लगे हैं.

भारतीय जनता पार्टी किस कदर मेहनत कर रही है, इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को रीवा दौरे पर आए थे और फिर 1 जुलाई को शहडोल दौरे पर रहे. इतना ही नहीं शहडोल दौरे में तो आदिवासियों के बीच में खाना भी खाया, उनके साथ चौपाल भी लगाई. वहीं कुछ महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी विंध्य के सतना का दौरा कर चुके हैं, जहां वह कोल महाकुंभ में शामिल हुए थे, इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से एक तीर से कई शिकार करने के फिराक में बीजेपी है. विंध्य क्षेत्र जो भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है, उसे और मजबूती प्रदान करने की कोशिश तो है ही, साथ ही इस क्षेत्र पर फोकस करके जिन आदिवासियों को इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत का अहम किरदार माना जा रहा है, उन्हें भी साधने का मौका मिल रहा है.

MP Assembly Election 2023
पीएम ने लगाई थी आदिवासियों के साथ चौपाल

विंध्य जनता पार्टी न बिगाड़ दे खेल: इस बार मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी है, विंध्य जनता पार्टी के नाम से सदस्यता अभियान भी शुरू कर चुके हैं. 14 जुलाई से सदस्यता अभियान की शुरुआत भी हो चुकी है, मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी से जब फोन पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि "14 जुलाई को महज कुछ घंटे ही सदस्यता अभियान चला, जिसमें लोगों में काफी उत्सुकता रही. आगे वृहद स्तर पर घर-घर जाकर सदस्यता अभियान चलाया जाएगा. "

MP Assembly Election 2023
एमपी के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी

विंध्य जनता पार्टी को लेकर नारायण त्रिपाठी बताते हैं कि "वैसे तो अभी 43 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात चल रही है, जिसमें से विंध्य क्षेत्र के 7 जिले के अंतर्गत आने वाली 30 विधानसभा सीटों पर तो प्रत्याशी उतारे ही जाएंगे, जिसमें शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली शामिल है. इसके अलावा बुंदेलखंड के 7 जिसमें कटनी के बड़वारा और विजयराघोगढ़, और 4 भोपाल की सीटों पर प्रत्याशी उतारने की विंध्य वासियों ने तय किया है. इसके लिए हमारे विंध्य क्षेत्र के लोग जाएंगे और उन जगहों पर चुनाव लड़वाएंगे, अभी 43 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मन बनाया है, यह संख्या आगे और बढ़ सकती है."

इन खबरों को भी जरूर पढ़िए:

विंध्य का मुद्दा भावनात्मक: मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी से जब यह पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 बार विंध्य का दौरा कर चुके हैं, इस पर वो कहते हैं कि "इन्हें राजनीति करनी है, सत्ता पाना है, व्यापार करना है, धंधा करना है, विंध्य का मुद्दा विंध्य जनता पार्टी के लिए राजनीतिक नहीं है. विंध्य जनता पार्टी का मुद्दा भावनात्मक है."

विंध्य जनता पार्टी को लेकर काफी उत्सुक नजर आए, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि "इसकी सदस्यता अभियान की अभी तो शुरुआत हुई है, अभी विंध्य क्षेत्र के लोग इसके लिए घर-घर पहुंचेंगे और इसकी सदस्यता के लिए लोगों से मिलेंगे. विंध्य जनता पार्टी का निर्माण विंध्य प्रदेश को एक अलग विंध्य प्रदेश की मांग के मुद्दे पर हुआ है."

विंध्य में पिछले तीन चुनाव का प्रदर्शन: विंध्य क्षेत्र की 30 विधानसभा सीटों पर पिछले 3 विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो यहां बीजेपी का दबदबा रहा है. एक तरह से कहा जाए तो ये बीजेपी का ये क्षेत्र गढ़ रहा है, हालांकि इस क्षेत्र के लोग यहां कई और पार्टियों को भी वोट देते रहे हैं.

  1. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, तब इस विंध्य क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी को 30 सीटों में से 24 सीट मिली थी. जबकि कांग्रेस 6 सीट पर ही सिमट गई थी, विंध्य क्षेत्र में दूसरे दल की पार्टियों को भी यहां के लोग वोट देते रहे हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 2018 के चुनाव में बसपा 2 सीटों पर नंबर 2 की पोजीशन पर रही थी, वहीं एक-एक सीट पर समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे. मतलब बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों को भी लोग यहां वोट देते हैं.
  2. साल 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 30 सीटों में से 16 सीट में जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली थी. इसके साथ ही बीएसपी के 2 विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे यह खास बात है और बीएसपी के 5 कैंडिडेट 2 नंबर पर रहे, यहां भाजपा को 16 सीटों पर जीत मिली थी.
  3. साल 2008 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो विंध्य क्षेत्र में भाजपा को यहां फिर से बंपर जीत मिली थी, भारतीय जनता पार्टी ने 24 सीटें 30 सीट में से जीती थी. 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बहुत ही करारी हार हुई थी, पार्टी को मात्र 2 सीटें मिली थी. यहां तक कि कांग्रेस से ज्यादा तो बसपा को सीट मिल गई थी, बसपा के 3 प्रत्याशियों को जीत मिली थी. इन चुनाव परिणामों से समझ सकते हैं कि किस तरह से विंध्य क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियों को भी वोटर्स वोट देते हैं, ऐसे में विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर बनाई गई पार्टी विंध्य जनता पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है.

आदिवासी बाहुल्य इलाका शहडोल: शहडोल संभाग में टोटल 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें से महज एक सीट कोतमा ही सामान्य सीट हैं, बाकी सब यहां आदिवासी सीट हैं. यह पूरा आदिवासी बहुल इलाका विंध्य क्षेत्र में आता है और आदिवासियों को इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत का अहम किरदार माना जा रहा है. राजनीतिक पंडितों की माने तो ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत की चाभी आदिवासियों के बीच से ही निकलेगी, इसीलिए सभी पार्टियां आदिवासियों पर फोकस कर रही हैं. ऐसे में विंध्य जनता पार्टी एक अलग विंध्य प्रदेश के मुद्दे के साथ ही विंध्य जनता पार्टी का अस्तित्व में आना बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

एक क्लिक में पढ़िए ये खबरें:

आदिवासियों के पास जीत की चाभी: मध्यप्रदेश में सभी पार्टियां आदिवासियों को साधने में लगी हुई है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि यहां जीत की चाभी आदिवासियों के पास ही है. इसे इस तरह से समझा जा सकता है मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा सीटों में से 47 आदिवासी वर्ग के लिए सीटें आरक्षित हैं और इसमें आदिवासी वोटर्स का भी खासा दखल है. प्रदेश में आदिवासियों की टोटल जनसंख्या लगभग 2 करोड़ से भी ज्यादा है, ऐसे में सभी दल इस वर्ग को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं और सभी नेता अपने अलग-अलग तरीके से काम कर रहे हैं.

MP Assembly Election 2023
मोदी-शाह की चुनावी रणनीति में विंध्य खास

आदिवासी आरक्षित 47 सीटों के गणित को ऐसे समझ सकते हैं कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के वोट बैंक के कारण ही कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज होने में सफल हो पाई थी. उस दौरान कांग्रेस को 47 सीटों में से 30 सीटें मिली थी, प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में देखें तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थी, तो कांग्रेस के खाते में महज 15 सीटें आई थी. मतलब सीधे उल्टा हो गया था, जो भी पार्टी आदिवासी आरक्षित सीटों में ज्यादा सीट जीतने में कामयाब होती है, सत्ता में वही पार्टी काबिज होती है.

शहडोल। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एमपी में सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, बीजेपी हो या कांग्रेस बड़े-बड़े नेताओं के दौरे भी होने शुरू हो चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तो काफी पहले ही अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार मध्यप्रदेश का दौरा कर चुके हैं और अमित शाह तो कभी भी मध्यप्रदेश के दौरे पर अचानक जाते हैं. इस बार भारतीय जनता पार्टी का फोकस विंध्य क्षेत्र में बहुत ज्यादा है, बड़े नेताओं के दौरे से इसका अंदाजा भी लगा सकते हैं और अब मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी की नई पार्टी विंध्य जनता पार्टी की घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गई हैं. चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं कहीं विंध्य जनता पार्टी आदिवासी सीटों पर बीजेपी का खेल न खराब कर दे.

MP Assembly Election 2023
विंध्य जनता पार्टी न बिगाड़ दे भाजपा का खेल

मोदी-शाह की चुनावी रणनीति में विंध्य खास: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही विंध्य क्षेत्र में राजनीति गरमा चुकी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों के दौरे के बाद से ही यहां राजनीति गर्म है. इसकी वजह है, जब पिछले विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी तो, विंध्य क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा बढ़त मिली थी. इस क्षेत्र में एक खास बात और है कि शहडोल संभाग आदिवासी बहुल इलाका है, यहां कई आदिवासी सीट हैं, विंध्य क्षेत्र में फोकस करना मतलब कई वर्ग को एक साथ साधना और वैसे भी यह माना जा रहा है कि इस बार मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत की कुंजी आदिवासियों के बीच से ही निकलकर आ रही है, इसीलिए सभी पार्टियां आदिवासियों को साधने में लगे हैं.

भारतीय जनता पार्टी किस कदर मेहनत कर रही है, इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को रीवा दौरे पर आए थे और फिर 1 जुलाई को शहडोल दौरे पर रहे. इतना ही नहीं शहडोल दौरे में तो आदिवासियों के बीच में खाना भी खाया, उनके साथ चौपाल भी लगाई. वहीं कुछ महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी विंध्य के सतना का दौरा कर चुके हैं, जहां वह कोल महाकुंभ में शामिल हुए थे, इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से एक तीर से कई शिकार करने के फिराक में बीजेपी है. विंध्य क्षेत्र जो भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है, उसे और मजबूती प्रदान करने की कोशिश तो है ही, साथ ही इस क्षेत्र पर फोकस करके जिन आदिवासियों को इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत का अहम किरदार माना जा रहा है, उन्हें भी साधने का मौका मिल रहा है.

MP Assembly Election 2023
पीएम ने लगाई थी आदिवासियों के साथ चौपाल

विंध्य जनता पार्टी न बिगाड़ दे खेल: इस बार मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी अपनी नई पार्टी की घोषणा कर दी है, विंध्य जनता पार्टी के नाम से सदस्यता अभियान भी शुरू कर चुके हैं. 14 जुलाई से सदस्यता अभियान की शुरुआत भी हो चुकी है, मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी से जब फोन पर बात हुई तो उन्होंने बताया कि "14 जुलाई को महज कुछ घंटे ही सदस्यता अभियान चला, जिसमें लोगों में काफी उत्सुकता रही. आगे वृहद स्तर पर घर-घर जाकर सदस्यता अभियान चलाया जाएगा. "

MP Assembly Election 2023
एमपी के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी

विंध्य जनता पार्टी को लेकर नारायण त्रिपाठी बताते हैं कि "वैसे तो अभी 43 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात चल रही है, जिसमें से विंध्य क्षेत्र के 7 जिले के अंतर्गत आने वाली 30 विधानसभा सीटों पर तो प्रत्याशी उतारे ही जाएंगे, जिसमें शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली शामिल है. इसके अलावा बुंदेलखंड के 7 जिसमें कटनी के बड़वारा और विजयराघोगढ़, और 4 भोपाल की सीटों पर प्रत्याशी उतारने की विंध्य वासियों ने तय किया है. इसके लिए हमारे विंध्य क्षेत्र के लोग जाएंगे और उन जगहों पर चुनाव लड़वाएंगे, अभी 43 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मन बनाया है, यह संख्या आगे और बढ़ सकती है."

इन खबरों को भी जरूर पढ़िए:

विंध्य का मुद्दा भावनात्मक: मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी से जब यह पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 बार विंध्य का दौरा कर चुके हैं, इस पर वो कहते हैं कि "इन्हें राजनीति करनी है, सत्ता पाना है, व्यापार करना है, धंधा करना है, विंध्य का मुद्दा विंध्य जनता पार्टी के लिए राजनीतिक नहीं है. विंध्य जनता पार्टी का मुद्दा भावनात्मक है."

विंध्य जनता पार्टी को लेकर काफी उत्सुक नजर आए, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि "इसकी सदस्यता अभियान की अभी तो शुरुआत हुई है, अभी विंध्य क्षेत्र के लोग इसके लिए घर-घर पहुंचेंगे और इसकी सदस्यता के लिए लोगों से मिलेंगे. विंध्य जनता पार्टी का निर्माण विंध्य प्रदेश को एक अलग विंध्य प्रदेश की मांग के मुद्दे पर हुआ है."

विंध्य में पिछले तीन चुनाव का प्रदर्शन: विंध्य क्षेत्र की 30 विधानसभा सीटों पर पिछले 3 विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो यहां बीजेपी का दबदबा रहा है. एक तरह से कहा जाए तो ये बीजेपी का ये क्षेत्र गढ़ रहा है, हालांकि इस क्षेत्र के लोग यहां कई और पार्टियों को भी वोट देते रहे हैं.

  1. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी, तब इस विंध्य क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी को 30 सीटों में से 24 सीट मिली थी. जबकि कांग्रेस 6 सीट पर ही सिमट गई थी, विंध्य क्षेत्र में दूसरे दल की पार्टियों को भी यहां के लोग वोट देते रहे हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 2018 के चुनाव में बसपा 2 सीटों पर नंबर 2 की पोजीशन पर रही थी, वहीं एक-एक सीट पर समाजवादी पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर आए थे. मतलब बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों को भी लोग यहां वोट देते हैं.
  2. साल 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 30 सीटों में से 16 सीट में जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली थी. इसके साथ ही बीएसपी के 2 विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे यह खास बात है और बीएसपी के 5 कैंडिडेट 2 नंबर पर रहे, यहां भाजपा को 16 सीटों पर जीत मिली थी.
  3. साल 2008 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो विंध्य क्षेत्र में भाजपा को यहां फिर से बंपर जीत मिली थी, भारतीय जनता पार्टी ने 24 सीटें 30 सीट में से जीती थी. 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बहुत ही करारी हार हुई थी, पार्टी को मात्र 2 सीटें मिली थी. यहां तक कि कांग्रेस से ज्यादा तो बसपा को सीट मिल गई थी, बसपा के 3 प्रत्याशियों को जीत मिली थी. इन चुनाव परिणामों से समझ सकते हैं कि किस तरह से विंध्य क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियों को भी वोटर्स वोट देते हैं, ऐसे में विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर बनाई गई पार्टी विंध्य जनता पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है.

आदिवासी बाहुल्य इलाका शहडोल: शहडोल संभाग में टोटल 8 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें से महज एक सीट कोतमा ही सामान्य सीट हैं, बाकी सब यहां आदिवासी सीट हैं. यह पूरा आदिवासी बहुल इलाका विंध्य क्षेत्र में आता है और आदिवासियों को इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत का अहम किरदार माना जा रहा है. राजनीतिक पंडितों की माने तो ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत की चाभी आदिवासियों के बीच से ही निकलेगी, इसीलिए सभी पार्टियां आदिवासियों पर फोकस कर रही हैं. ऐसे में विंध्य जनता पार्टी एक अलग विंध्य प्रदेश के मुद्दे के साथ ही विंध्य जनता पार्टी का अस्तित्व में आना बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

एक क्लिक में पढ़िए ये खबरें:

आदिवासियों के पास जीत की चाभी: मध्यप्रदेश में सभी पार्टियां आदिवासियों को साधने में लगी हुई है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि यहां जीत की चाभी आदिवासियों के पास ही है. इसे इस तरह से समझा जा सकता है मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा सीटों में से 47 आदिवासी वर्ग के लिए सीटें आरक्षित हैं और इसमें आदिवासी वोटर्स का भी खासा दखल है. प्रदेश में आदिवासियों की टोटल जनसंख्या लगभग 2 करोड़ से भी ज्यादा है, ऐसे में सभी दल इस वर्ग को साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं और सभी नेता अपने अलग-अलग तरीके से काम कर रहे हैं.

MP Assembly Election 2023
मोदी-शाह की चुनावी रणनीति में विंध्य खास

आदिवासी आरक्षित 47 सीटों के गणित को ऐसे समझ सकते हैं कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के वोट बैंक के कारण ही कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज होने में सफल हो पाई थी. उस दौरान कांग्रेस को 47 सीटों में से 30 सीटें मिली थी, प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में देखें तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थी, तो कांग्रेस के खाते में महज 15 सीटें आई थी. मतलब सीधे उल्टा हो गया था, जो भी पार्टी आदिवासी आरक्षित सीटों में ज्यादा सीट जीतने में कामयाब होती है, सत्ता में वही पार्टी काबिज होती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.