न्यूयॉर्क : न्यूयॉर्क स्थित रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि इस महीने की शुरुआत में देश में सरकार विरोधी और सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों के कारण कोलंबो श्रीलंका की राज्य के स्वामित्व वाली बीमा फर्म को 1 बिलियन श्रीलंकन रुपये से अधिक का नुकसान हो सकता है. 9 मई को, श्रीलंका में पूर्व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा शांतिपूर्ण सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद हिंसा भड़क उठी. झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई. 200 से अधिक लोग घायल हो गए. 78 सरकारी सांसदों की संपत्तियों को आगजनी का सामना करना पड़ा. फिच ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि हिंसक झड़पों के कारण होने वाले नुकसान का खामियाजा राष्ट्रीय बीमा ट्रस्ट फंड बोर्ड (NITFB) को भुगतना पड़ेगा. राष्ट्रीय बीमा ट्रस्ट फंड बोर्ड (NITFB) राज्य के स्वामित्व वाली संस्था है. जो द्वीप राष्ट्र को हड़ताल, दंगा, नागरिक हंगामा और आतंकवाद कवर (SRCCT) प्रदान करता है. जबकि प्राथमिक बीमाकर्ताओं को बहुत कम प्रभाव का अनुभव होगा.
पढ़ें: श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति गोटाबाया ने बनाया वित्त मंत्री
इकोनॉमी नेक्स्ट समाचार वेबसाइट ने फिच के हवाले से कहा कि हमारा मानना है कि दंगों से सकल नुकसान 1 बिलियन श्रीलंकन रुपये से अधिक से होने की संभावना है. हालांकि, एनआईटीएफबी का नुकसान एक बिलियन श्रीलंकन रुपये तक सीमित होगा. क्योंकि सरकार अपने कवर के तहत अधिकतम 10 बिलियन तक की अतिरिक्त नुकसान की वसूली कर सकता है. फिच का कहना है कि हानि पुनर्बीमा कवर द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा के कारण NITFB का शुद्ध नुकसान इस राशि तक सीमित रहेगा. हम उम्मीद करते हैं कि उसके पास अपने दावे के दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरल संपत्ति होगी. प्राथमिक बीमाकर्ताओं के पास SRCCT कवर के तहत मोटर दावों के लिए 2.5 मिलियन श्रीलंकन रुपये का शुद्ध प्रतिधारण है.
पढ़ें: श्रीलंकाई पुलिस ने नौ मई को हुई हिंसा के मामले में 1,500 लोगों को गिरफ्तार किया
हिंसा के दौरान, गुस्साई भीड़ ने गाले फेस में बनाए गए कई टेंट और अन्य संरचनाओं को नष्ट कर दिया और कुछ प्रदर्शनकारियों पर भी हमला किया. इस हिंसा में हंबनटोटा में राजपक्षे के पैतृक घर सहित कई राजनेताओं के घरों में आगजनी हुई. देश के इतिहास में अब तक का सबसे खराब आर्थिक संकट, कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को संभालने में विफल रही सरकार के खिलाफ श्रीलंका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. 22 मिलियन का देश 1948 में ब्रिटेन से अपनी स्वतंत्रता के बाद से अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है.