टिप्पार्टी (तेलंगाना): एक पुरानी कहावत है 'पूत सपूत तो क्या धन संचय, पूत कपूत तो क्या धन संचय' इसका अर्थ है कि अगर किसी का बेटा सज्जन है तो उसके माता-पिता को धन जोड़ने की जरूरत नहीं होती, वहीं अगर बेटा योग्य और सज्जन न हो तो भी माता-पिता द्वारा धन इकट्ठा करने का कोई फायदा नहीं होता है. कुछ ऐसा ही तेलंगाना के टिप्पार्टी में देखने को मिला है. जहां एक बुजुर्ग महिला के बेटे होने के बाद भी उसे दर-दर भीख मांगनी पड़ रही है और उसके बेटों ने उसे घर से निकाल कर खिलाने से भी मना कर दिया है.
घर से निकाले जाने के बाद अब वह बुजुर्ग महिला ठंड में कांपते हुए सड़क के किनारे रहने के लिए मजबूर है. यह दिल दहला देने वाली घटना टिपरती मंडल के इंदलुरु गांव की है. टिपार्थी मंडल के इंदलूर की एक बूढ़ी महिला वंतेपका रामुलम्मा के तीन बेटे और दो बेटियां हैं. जहां बड़े बेटे की मौत हो गई, वहीं पति की भी कुछ साल पहले मौत हो गई. मां, जिसने सोचा था कि उसके बेटे, जिन्हें उसने कड़ी मेहनत से पाला था, बुढ़ापे में उसका साथ देंगे, लेकिन अब वह निराश हो गई. मां दर-दर भटकने को मजबूर है, क्योंकि उसके बेटों ने उसे सड़क पर छोड़ दिया है. अब यह महिला भीख मांग कर अपना पेट भर रही है.
अपने पति की मृत्यु के बाद, वह कुछ वर्षों तक अपने बेटों के साथ रही. उन्होंने पति के नाम की 3.20 एकड़ जमीन को एक-एक एकड़ की दर से तीनों बेटों में बराबर-बराबर बांट दिया. बाकी आधा एकड़ जमीन उनके नाम पर डीड की गई. पिछले कुछ दिनों से रामुलम्मा के बेटे अपनी मां को खाना नहीं दे रहे हैं. उसे घर से निकाल दिया गया है. उसके नाम से आधा एकड़ जमीन के दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं.
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नतीजतन, वह गांव में सड़क किनारे की दुकानों के सामने कांपती रहता है. उसके पास सब कुछ होते हुए भी वह जीवन के लिए संघर्ष कर रही है. उस गांव की एमपीपी नागुलवंचा विजयलक्ष्मी और उनके पति लिंग राव पिछले कुछ दिनों से उन्हें खाना खिला रहे हैं. रामुलम्मा अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से उनके साथ न्याय करने को कह रही हैं. इस मामले की जानकारी कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी है.