मुंबई : महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने मुखपृष्ठ सामना में केंद्र की सरकार पर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि हिंदुस्थान की सीमा में घुसी चीन की सेना वापस लौट रही है और इस घटना का राजनीतिक उत्सव शुरू हो गया है. सालभर चीनी सेना ने हमारी जमीन पर लगभग २० किलोमीटर तक की घुसपैठ की थी. उस संघर्ष के दौरान गलवान घाटी में हमारे २० जवान शहीद हो गए थे.
सैनिकों के बलिदान पर विरोधियों ने सरकार से सवाल करके उनको घेरा. उस दौरान प्रधानमंत्री सहित भाजपा के कई नेता और मंत्री कई विषयों पर बोलते रहे, लेकिन जब उनसे चीन की घुसपैठ के मामले में सवाल किया जाता तो वे पलायन कर जाते. आखिरकार, चार दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जानकारी दी कि चीन से समझौता हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी दो महीने पहले कह रहे थे कि चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ नहीं की है.
वही, प्रधानमंत्री अब कह रहे हैं कि चीन ने हमारी जमीन से कब्जा छोड़ दिया है. मतलब चीन ने घुसपैठ की ये बात सच थी और प्रधानमंत्री देश से झूठ बोल रहे थे. अब इस मामले का जो राजनीतिक विजयोत्सव शुरू है वह मजेदार है. बड़े शौर्य का प्रचार और प्रचार मुहिम चलाई जा रही है. प्रधानमंत्री के अनुसार जो सेना हमारी सीमा में कभी घुसी ही नहीं थी वह सेना वैसे वापस लौट रही है, ‘पैंगांग’ से सटे चीनी निर्माण कार्य वैसे उद्ध्वस्त किए जा रहे हैं, इसकी तस्वीरें प्रकाशित की जा रही हैं.
पैंगांग परिसर में चीनियों द्वारा ठोंके गए तंबू निकाले जाने की तस्वीरें फैलाई जा रही हैं. चीन लौट रहा है ये खुशी की बात है. यह हिंदुस्थानी रक्षा विभाग की सजगता की जीत है, ये बात स्वीकार है, लेकिन चीन घुसपैठ प्रकरण में देश के सत्ताधीश लगातार झूठ क्यों बोलते रहे, यह सवाल अनुत्तरित है. संसद में इस विषय पर विपक्ष को सवाल नहीं पूछने दिया गया. राहुल गांधी द्वारा चीन के संदर्भ में सवाल उपस्थित करने पर, ५० साल पहले उनके परनाना के कारण चीन ने हिंदुस्थान की जमीन पर वैâसे कब्जा किया. इस बात को कुरेदने में ही अपने को धन्य मानते रहे.
५० साल पहले चीन ने जमीन हथिया ली तो आज की घुसपैठ माफ नहीं की जा सकती. ये बीते कल की बात हुई, आज की बात करो! लेकिन आखिरकार एक साल बाद चीन के मामले पर सरकार की बोली फूटी. चीन की सेना ‘पैंगांग’ से लौट रही है और इसका राजनीतिक समारोह शुरू हो चुका है. पैंगांग सरोवर के उत्तर और दक्षिण किनारे से सेना की वापसी की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से शुरू है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाल सेना कितनी बड़ी संख्या में हमारी सीमा में घुस आई थी. टैंक, तोप और बड़े प्रमाण में शस्त्र लेकर चीनी सैनिक लद्दाख में घुसे. घुसपैठ करते समय जो संघर्ष हुआ उस संघर्ष में हमारे २० जवान शहीद हो गए.
अब जो लौटने को लेकर समझौता हुआ है, उसके अनुसार चीन का बेस हमेशा के लिए फिंगर-८ के पूर्व और हिंदुस्थानी सेना फिंगर-३ पर रहेगी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमारी एक इंच जमीन भी चीन ने नहीं ली है और न हमने गवांई है. संसद में राजनाथ सिंह ने जब चीन के लौटने के संदर्भ में बात कही तब दलीय मतभेद भूलकर सभी ने मेज थपथपाकर रक्षामंत्री का अभिनंदन किया, लेकिन विरोधी पक्ष को सरकार से कुछ सवाल करने थे, जो कि पूछने नहीं दिए गए. विपक्ष अगर सवाल पूछ लेता तो कौन-सा आसमान टूट पड़ता. राष्ट्रीय सुरक्षा का अत्यंत संवेदनशील मामला होने की बात कहकर संसद का मुंह बंद कर दिया गया.
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सवाल सिर्फ इतना है कि चीन की सेना हमारी सीमा में इंच भर भी नहीं घुसी, विपक्ष भ्रम और अफवाह फैला रहा है, गत एक साल से सरकार की ओर से हर स्तर पर जो ऐसा कहा जा रहा है, वह सब लफ्फाजी थी, ये अब स्पष्ट हो चुका है. चीनी सेना के लौटने का उत्सव सरकार ने ही शुरू किया, अगर कोई इसे विजय का उत्सव कह रहा होगा तो उसके दिमाग की जांच होनी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में ऐसा फंसना-फंसाना शुरू होगा तो क्या करें?