नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने असम के कुछ हिस्सों में स्थायी शांति लाने के लिए आठ आदिवासी आतंकवादी संगठनों के साथ गुरुवार को एक समझौते किया. त्रिपक्षीय समझौते पर राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा तथा अन्य की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए. इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और आठ समूह शामिल हैं. इन आठ समूहों में ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, आदिवासी कोबरा मिलिटेंट ऑफ असम, बिरसा कमांडो फोर्स, संथाल टाइगर फोर्स और आदिवासी पीपुल्स आर्मी शामिल हैं. Security Review Meet.
अमित शाह ने कहा कि असम और पूरे उत्तर पूर्व के लिए आज का दिन बहुत महत्तवपूर्ण है. एक लंबी प्रक्रिया के बाद नार्थ ईस्ट को शांत और समृद्ध बनाने का काम पूरा हुआ है. अमित शाह ने कहा कि विकास को गति देकर नार्थ ईस्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि युवकों ने हथियार डालकर अपने आप को मुख्यधारा में जोड़ा है. हम हर विवाद को 2024 तक खत्म करना चाहते हैं.
शर्मा ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि समझौता होने से असम में शांति और सद्भाव के एक नए युग की शुरुआत होगी.' परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा के कट्टरपंथी गुट और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन को छोड़कर, राज्य में सक्रिय अन्य सभी विद्रोही समूहों ने सरकार के साथ शांति समझौता कर लिया है. तिवा लिबरेशन आर्मी और यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के सभी सदस्यों ने हथियारों और गोला-बारूद के साथ जनवरी में आत्मसमर्पण कर दिया था.
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Delhi | The Centre and Assam government sign a tripartite peace accord with eight Tribal outfits of Assam, in the presence of Union Home Minister Amit Shah pic.twitter.com/2JY7MfGFke
— ANI (@ANI) September 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 15, 2022
कुकी ट्राइबल यूनियन के आतंकवादियों ने अगस्त में अपने हथियार डाल दिए थे. दिसंबर 2020 में, बोडो उग्रवादी समूह एनडीएफबी के सभी गुटों के लगभग 4,100 सदस्यों ने अधिकारियों के सामने अपने हथियार डाल दिए थे. समूहों के साथ 2012 से संघर्ष विराम समझौता चल रहा है.
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