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कश्मीर में घरेलू आतंकवाद से सामरिक चुनौतियों का सामना कर रहीं सुरक्षा एजेंसियां

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के द्वारा स्थानीय युवाओं की भर्ती किए किए जाने से जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौतियां आ रही हैं. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

security forces
सुरक्षा बल (फाइल फोटो)
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Published : May 11, 2022, 8:25 PM IST

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात सुरक्षा एजेंसियों को एक रणनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहे हैं.इस बारे में एक सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह वास्तव में हमारे लिए एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहे हैं इस वजह से अचानक घरेलू आतंकवाद में वृद्धि हुई है.

स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए आतंकवादी संगठनों के तौर-तरीकों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि धार्मिक शिक्षकों के द्वारा बड़े पैमाने पर कट्टरपंथ और प्रेरणा के बाद युवाओं की भर्ती की जाती है. सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2018 में आतंकवादी संगठनों द्वारा 187 स्थानीय युवाओं की भर्ती की गई थी. इसके बाद 2019 में 121, 2020 में 181, 2021 में 142 और 2022 में 28 युवाओं की भर्ती की गई थी.

अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों के साथ मुठभेड़ में मारे जा रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों में स्थानीय आतंकवादी अधिक मारे जा रहे हैं. नई दिल्ली में ईटीवी भारत के सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पिछले दो वर्षों में घरेलू आतंकवाद में 60 प्रतिशत तक तेजी से वृद्धि हुई है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में मारे गए 71 आतंकियों में 19 विदेशी और 52 स्थानीय थे. वहीं वर्तमान में, 163 सक्रिय स्थानीय और साथ ही विदेशी आतंकवादी हैं.

गौरतलब है कि सीआरपीएफ को अगले कुछ वर्षों में भारत से वामपंथी चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) का सफाया करने का काम सौंपा गया है. इसी क्रम में अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ते हुए सीआरपीएफ एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में कई फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित कर रहा है. आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न राज्यों में वामपंथी उग्रवाद के क्षेत्रों में 58 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए गए हैं. 2020 में कुल 23 एफओबी स्थापित किए गए वहीं 2021 में 30 एफओबी तो 2022 में 5 एफओबी स्थापित किए गए.

ये भी पढ़ें - पढ़ने गए थे पाकिस्तान, मगर आतंकी बनकर लौटे, सुरक्षा बलों ने किया अब तक 17 टेररिस्टों का सफाया

वहीं छत्तीसगढ़ वामपंथी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां पर सीआरपीएफ ने 2020 में 13, 2021 में 4 और इस वर्ष 3 सहित विभिन्न क्षेत्रों में 20 एफओबी स्थापित किए हैं. इस बारे में सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, एफओबी स्थापित करने के अलावा हम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उसी के अनुरूप कई किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है.

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात सुरक्षा एजेंसियों को एक रणनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहे हैं.इस बारे में एक सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह वास्तव में हमारे लिए एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहे हैं इस वजह से अचानक घरेलू आतंकवाद में वृद्धि हुई है.

स्थानीय युवाओं की भर्ती के लिए आतंकवादी संगठनों के तौर-तरीकों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि धार्मिक शिक्षकों के द्वारा बड़े पैमाने पर कट्टरपंथ और प्रेरणा के बाद युवाओं की भर्ती की जाती है. सुरक्षा एजेंसियों के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2018 में आतंकवादी संगठनों द्वारा 187 स्थानीय युवाओं की भर्ती की गई थी. इसके बाद 2019 में 121, 2020 में 181, 2021 में 142 और 2022 में 28 युवाओं की भर्ती की गई थी.

अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों के साथ मुठभेड़ में मारे जा रहे आतंकवाद विरोधी अभियानों में स्थानीय आतंकवादी अधिक मारे जा रहे हैं. नई दिल्ली में ईटीवी भारत के सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पिछले दो वर्षों में घरेलू आतंकवाद में 60 प्रतिशत तक तेजी से वृद्धि हुई है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में मारे गए 71 आतंकियों में 19 विदेशी और 52 स्थानीय थे. वहीं वर्तमान में, 163 सक्रिय स्थानीय और साथ ही विदेशी आतंकवादी हैं.

गौरतलब है कि सीआरपीएफ को अगले कुछ वर्षों में भारत से वामपंथी चरमपंथी (एलडब्ल्यूई) का सफाया करने का काम सौंपा गया है. इसी क्रम में अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ते हुए सीआरपीएफ एलडब्ल्यूई क्षेत्रों में कई फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) स्थापित कर रहा है. आंकड़ों के अनुसार, विभिन्न राज्यों में वामपंथी उग्रवाद के क्षेत्रों में 58 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस स्थापित किए गए हैं. 2020 में कुल 23 एफओबी स्थापित किए गए वहीं 2021 में 30 एफओबी तो 2022 में 5 एफओबी स्थापित किए गए.

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वहीं छत्तीसगढ़ वामपंथी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. यहां पर सीआरपीएफ ने 2020 में 13, 2021 में 4 और इस वर्ष 3 सहित विभिन्न क्षेत्रों में 20 एफओबी स्थापित किए हैं. इस बारे में सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, एफओबी स्थापित करने के अलावा हम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उसी के अनुरूप कई किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा चुका है.

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